जब गले में पाई जाने वाली थायराइड ग्रंथि सामान्य कार्य करना बंद कर देती है, तब थायराइड की समस्या आती है। तितली के आकार की यह ग्रंथि वोकल कॉर्ड के नीचे और गले के सामने वाले भाग में पाई जाती है। दरअसल, थायराइड शरीर में मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करती है। छोटी-छोटी थैली के टुकड़ों से जैसी बनी थायराइड ग्रंथि में एक तरह का गाढ़ा द्रव पाया जाता है। इसी गाढ़े द्रव में थायराइड हार्मोन (thyroid hormones) पाए जाते हैं। थायराइड हार्मोन विभिन्न रासायनिक पदार्थों को इकट्ठा करके रक्त में भेजने का काम करते हैं।
थायराइड बीमारी दो प्रकार की होती है। एक हाइपर थायराइड और दूसरी हाइपो थायराइड। तो आइए जानते हैं थायराइड बीमारी के लक्षण, कारण और उपचार –
भोपाल के सीनियर एंडोक्रिनोलोजिस्ट (Endocrinologist) डॉ. जम्बू जैन का कहना हैं कि थायराइड एक गंभीर बीमारी है। आज दुनिया भर में हर पांच में से एक व्यक्ति इस बीमारी से ग्रस्त है। थायराइड हार्मोन शरीर में डाइजेस्टिव जूस को बढ़ाने में मददगार है।
यह बॉडी के टेम्प्रेचर को संतुलित रखने के साथ टिश्यूज को बढ़ाने का काम करता है। थायराइड हार्मोन रक्त से खराब कोलेस्ट्रॉल को निकालने में लीवर की मदद करता है। यह मल-मूत्र के माध्यम से कोलेस्ट्रॉल को शरीर से बाहर निकालता है।
थायराइड से पीड़ित लोगों में थायराइड का कम या ज्यादा निर्माण होने लगता है। इससे कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
जानिए थायराइड बीमारी के लक्षण (Know the symptoms of hyper thyroid disease)
जो लोग थायराइड से पीड़ित है, उनमें कई तरह के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। जैसे-
-चिंता और तनाव का बढ़ना। अच्छी नींद लेने के बावजूद सुबह-सुबह थकान महसूस करना।
-हाइपर थायराइड के कारण दिन भर थकान होने लगती है। वहीं, भूख में अत्यधिक इजाफा हो जाता है। इससे मोटापा बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है।
-शरीर में थायराइड की कमी के कारण डिप्रेशन बढ़ सकता है। दरअसल, मस्तिष्क में बायोकेमिकल सेरोटोनिन एलिमेंट पाया जाता है, जो आपको अच्छा फील कराने में मददगार है। यह एलिमेंट थायराइड हार्मोन से अटैच रहता है। इसकी कमी के कारण सेरोटोनिन एलिमेंट प्रभावित होता है और आप स्ट्रेस महसूस करते हैं।
-थायराइड के कारण ही शरीर ऊर्जावान महसूस करता है। ऐसे में इसकी अनियमितता के कारण शरीर में थकान होने लगती है और सेक्स में दिलचस्पी कम हो जाती है।
-महिलाओं में थायराइड की कमी के कारण माहवारी में अनियमितता आ जाती है। इससे पीरियड्स के बीच का समय बढ़ जाता है। वहीं, इसकी अधिकता के कारण पीरियड्स का समय घट जाता है।
-लोगों में ब्लडप्रेशर समस्या आ जाने के साथ-साथ हाथ पैरों में सुन्नता और दर्द होने लगता है।
-इससे पीड़ित लोगों को कभी अत्यधिक गर्मी लगती है या कभी अत्यधिक ठंड का अहसास होता है।
-इस बीमारी में थायराइड ग्रंथि में सूजन आ जाती है, इस वजह से आवाज़ बदल जाती है।
-थायराइड की कमी की वजह शरीर के विभिन्न हिस्सों जैसे सिर, आइब्रो में बालों की कमी हो जाती है।
शरीर में हाइपर थायराइड कई वजहों से होता है। तो आइए जानते हैं इस बीमारी की प्रमुख वजहें-
– थायराइड में बॉडी का 80 फीसदी आयोडीन पाया जाता है। ऐसे में जब शरीर में आयोडीन की कमी हो जाती है तब थायराइड ग्रंथि में सूजन आ जाती है।
– आयोडीन की कमी बच्चों से लेकर बड़ों तक को हो सकती है। ऐसे में जब शरीर में आयोडीन की कमी हो जाती है, तब थायराइड हार्मोन का निर्माण कम हो जाता है। इस वजह से शरीर का विकास रुक जाता है जिसे क्रीटीनिज़्म कहा जाता है।
-कई बार विभिन्न प्रकार की दवाइयों के साइड इफ़ेक्ट के कारण भी यह प्रॉब्लम हो सकती है।
-थायराइड की समस्या सोया पाउडर, सोया प्रोटीन और सोया कैप्सूल के अधिक इस्तेमाल से भी हो सकती है।
– कई लोग स्किन प्रॉब्लम को दूर करने के लिए रेडिएशन थेरेपी लेते हैं। इस वजह से भी थायराइड की समस्या आ सकती है।
– महिलाओं में मेनोपॉज के कारण हार्मोन परिवर्तन होता है। इस वजह से भी थायराइड हो सकता है।
-जो लोग अत्यधिक तनाव लेते हैं, उन्हें भी यह बीमारी हो सकती है। दरअसल, अत्यधिक स्ट्रेस का असर थायराइड ग्रंथि पर पड़ता है।
-थायराइड की समस्या आनुवांशिक भी हो सकती है। जिन बच्चों के पेरेंट्स को यह प्रॉब्लम है, वे भी इससे ग्रस्त हो सकते हैं।
थायराइड की समस्या दो प्रकार की होती है-
जो लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं, उनमें अत्यधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन बनता है और इससे शरीर का वजन कम हो जाता है।
हाइपर थायराइड से पीड़ित लोगों के बाल अत्यधिक झड़ने लगते हैं। इससे कमजोरी का अहसास होने लगता है और पूरा शरीर कांपने लगता है। हाइपर थायराइड के कारण वजन कम हो जाता है और दिल जोर से धड़कने लगता है। इसकी वजह से अत्यधिक पसीना आता है या फिर बिल्कुल पसीना नहीं आता। महिलाओं को माहवारी आने में परेशानी होती है।
जो लोग हाइपर थायराइड से ग्रस्त है, उन्हें संतुलित आहार करना बेहद जरुरी है। जो लोग इससे पीड़ित हैं उन्हें अंडे, नटस, फलियों को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। थायराइड के निर्माण को रोकने के लिए आइसोथायोसाइनेट्स और गॉइट्रोजेन्स जैसे तत्वों से भरपूर ब्रोकली का सेवन करना चाहिए।
थायराइड हार्मोन के संतुलन के लिए ओमेगा 3 फैटी एसिड्स से भरपूर चीजें जैसे, अखरोट, फ्लैक्स सीड्स और फिश खानी चाहिए। इसके प्रोटीन से भरपूर सोया प्रोडक्ट्स का सेवन भी किया जा सकता है।
इसके अलावा, आंवला, ब्लैक बेरीज, स्ट्रॉबेरीज और चेरी भी फायदेमंद है।
इससे पीड़ित मरीजों का वजन बढ़ जाता है। वहीं, इसमें थायराइड हार्मोन का निर्माण कम हो जाता है। इस वजह से पाचन शक्ति कम हो जाती है और मोटापा बढ़ने लगता है।
ऐसे लोगों का वजन तेजी बढ़ने के साथ चिड़चिड़ापन व अत्यधिक गुस्सा आने लगता है। इसके अलावा एसिडिटी, कब्ज, अत्यधिक थकान, स्किन में रूखापन और शरीर फूलने लगता है।
जो लोग इस समस्या से परेशान है उनमें विटामिन-बी और कैल्शियम की कमी हो जाती है। इसलिए अपनी डाइट में विटामिन से भरपूर साबुत अनाज, बाजरा, ज्वार, फल, सब्जियां शामिल करना चाहिए। ऐसे मरीजों के लिए अदरक का सेवन फायदेमंद हो सकता है। इसके अलावा एंटी-बायोटिन, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी ऑक्सीडेंट तत्वों से भरपूर आहार लेना चाहिए।
थायराइड के उपचार के लिए रक्त में टीएसएच और थायराइड हार्मोन की जाँच की जाती है। इसका इलाज एक्युप्रेशर थेरेपी द्वारा भी किया जा सकता है। हाइपो थायराइड का पता लगाने के लिए टीएसएच, टी 3 और टी4 जैसी जांच की जाती है।
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