‘बांझपन’ एक खराब शब्द है। खासतौर से भारत में यह एक ‘कलंक’ से जुड़ा है। सामाजिक ताना-बाना ऐसा है कि विवाह को बच्चे पैदा करने का शुभ मुहूर्त माना जाता है। जबकि अब महिलाओं की जीवन स्थितियां, प्राथमिकताएं और चुनौतियां बदल रही हैं। पुरुषों के लिए भी विवाह केवल संतानोत्पत्ति का माध्यम न होकर एक ‘कंपेनियन’ की तलाश है। ऐसे में कुछ जोड़े बच्चों की योजना देर से बनाते हैं, जबकि कुछ के लिए यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं है। जबकि और बहुत सारे बदलावों के कारण महिलाओं और पुरुषों की प्रजनन क्षमता भी प्रभावित हुई है। ऐसा ही एक कॉमन कारण है एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओएस (PCOS pregnancy)।
पीसीओएस के कारण न केवल लड़कियों के पीरियड पेनफुल (Painful period) हो जाते हैं, बल्कि उनकी प्रजनन क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। मगर यह लाइलाज नहीं है और एक्सपर्ट के निर्देशन में पीसीओएस (PCOS and infertility) के साथ भी मां बना जा सकता है।
डॉ. शिवानी सचदेव, ग्रेटर कैलाश स्थिति एससीआई आईवीएफ अस्पताल की निदेशक हैं। उनसे जानते हैं पीसीओएस के कारण प्रजनन क्षमता पर होने वाले प्रभाव और उपचार के बारे में सब कुछ।
डॉ शिवानी कहती हैं, “किसी जोड़े के नियमित बिना सुरक्षा वाले यौन संबंध के 12 महीने या उससे अधिक समय तक गर्भधारण न होने पर विशेषज्ञ यह मानते हैं कि प्रजनन क्षमता में कोई समस्या है। पुरुष और महिला दोनों में से किसी के साथ भी यह समस्या हो सकती है। अध्ययनों में यह अनुपात 33:33:33 है। यानी 33% मामलों में प्रजनन संबंधी समस्या महिला में, 33 फीसदी पुरुष में और 33 फीसदी किन्हीं अज्ञात कारणों से भी हो सकती है।”
शिशु मां की कोख में पनपता है, इसलिए अप्रत्यक्ष तौर पर मां को ही गर्भ न ठहरने के लिए दोषी मान लिया जाता है। और इसका अकसर उल्टा परिणाम होता है। प्रजनन क्षमता में हल्की सी परेशानी भी तनाव और अवसाद के कारण जटिल हो जाती है।
महिलाओं में प्रजनन क्षमता का प्रभावित होना एक जटिल समस्या है, जो दुनिया भर में लाखों महिलाओं को प्रभावित करती है। उम्र, हार्मोनल असंतुलन, अनियमित मासिक धर्म, अंडे उत्पन्न करने में असमर्थता, शारीरिक संरचना की समस्याएं और जीवनशैली के विकल्प जैसे विभिन्न कारक महिलाओं में इस समस्या का कारण बन सकते हैं।
एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओएस के बारे में बात करते हुए डॉ शिवानी कहती हैं, ” ये दोनों सामान्य लेकिन जटिल विकार हैं जो कई महिलाओं में गर्भधारण को काफी प्रभावित कर सकते हैं। यह जानना महत्वपूर्ण है कि ये विकार प्रजनन क्षमता पर कैसे असर डालते हैं। दुर्भाग्यवश, पीसीओएस और एंडोमेट्रियोसिस अक्सर कम पहचान में आते हैं या इनकी गलत पहचान की जाती है, जिससे उपचार में देरी और भावनात्मक तनाव बढ़ता है।
समय पर निदान, सतर्कता और उचित उपचार विकल्प लक्षणों को नियंत्रित करने और सफल गर्भधारण के अवसरों को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। अंततः, चिकित्सा प्रबंधन, मनोवैज्ञानिक सहयोग के मिश्रण को अपनाकर अधिकांश महिलाएं एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओएस के बावजूद मां बन सकती हैं।”
एंडोमेट्रियोसिस एक बीमारी है जिसमें गर्भाशय की आंतरिक परत जैसा ऊतक गर्भाशय के बाहर मौजूद होता है। जिससे अक्सर गंभीर दर्द और असुविधा होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 190 मिलियन महिलाएं इस बीमारी से पीड़ित हैं।
एंडोमेट्रियोसिस हार्मोनल असंतुलन का कारण बनता है, जो ओव्यूलेशन को प्रभावित करता है और महिलाओं के लिए गर्भधारण करना मुश्किल बना देता है।
एंडोमेट्रियल प्रकार के ऊतकों का बढ़ना चिपकने और दाग-धब्बे का कारण बन सकता है, जिससे पेल्विक संरचना में विकृति और फैलोपियन ट्यूबों में रुकावट हो जाती है, जिससे शुक्राणु अंडाणु तक नहीं पहुंच पाते।
गंभीर रूपों में, एंडोमेट्रियोसिस अंडाशय में सिस्ट का निर्माण करता है, जिससे स्वस्थ अंडों का उत्पादन करना मुश्किल हो जाता है।
बाहरी एंडोमेट्रियल ऊतकों की उपस्थिति पेल्विक क्षेत्र में सूजन का कारण बन सकती है, जो अंडाणु की गुणवत्ता और गर्भाशय की आंतरिक परत (एंडोमेट्रियम) में इम्प्लांटेशन को प्रभावित करती है।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, एक जीवनशैली से संबंधित स्थिति है। इसमें हाइपरएंड्रोजेनिज्म, अनियमित मासिक धर्म और पॉलीसिस्टिक अंडाशय शामिल हैं। यह प्रजनन क्षमता को निम्नलिखित तरीकों से प्रभावित कर सकता है:
अधिकांश महिलाओं में पीसीओएस के कारण इंसुलिन प्रतिरोध होता है, जिससे वजन बढ़ने और हार्मोनल असंतुलन की अधिक समस्याएं हो सकती हैं, जो प्रजनन क्षमता को जटिल बना सकती हैं।
पीसीओएस वाली महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण अनियमित या कोई ओव्यूलेशन नहीं होता, जिससे गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है।
इसके कारण गर्भधारण करने के बाद भी गर्भपात का जोखिम ज्यादा हो सकता है, जो मुख्य रूप से हार्मोनल असंतुलन के कारण होता है।
पीसीओएस और एंडोमेट्रियोसिस के कारण मानसिक तनाव भी हो सकता है। जो महिलाएं बेबी प्लान नहीं कर पा रही हैं, वे खुद को असमर्थ, निराश और अवसादग्रस्त महसूस कर सकती हैं। मगर निराश होने या हिम्मत हारने की जरूरत नहीं है।
सही काउंसलिंग और सही उपचार के साथ आप एंडोमीट्रियोसिस और पीसीओएस के बावजूद मां बन सकती हैं। इसमें दोस्तों और परिवार की भूमिका भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता। अगर वे भावनात्मक सहयोग बनाए रखें तो वे इस टैबू से बच सकती हैं। तनावमुक्त होने पर ही किसी भी उपचार की सफलता दर अपने आप बढ़ जाती है।
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