अधिक वजन (Overweight) या मोटा (Obesity) होना अपने आप में हानिकारक है। यह स्वास्थ्य को निश्चित रूप से प्रभावित करता है। वजन और हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज (टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस), कोलेस्ट्रॉल डिसऑर्डर और हृदय संबंधी बीमारियों (हृदय-संवहनी रोग) के बीच सीधा संबंध है, यह हम सभी जानते हैं। जिस बात पर सार्वजनिक तौर पर शायद ही कभी चर्चा की जाती है, वह है ओवरवेट या ओबेसिटी के कारण मेल फर्टिलिटी (Obesity and Male infertility) पर प्रभाव। विश्व आईवीएफ दिवस (World IVF day) पर आइए इसके बारे में बात करते हैं।
ओबीज कपल (Obese couple) जो खुद को स्वस्थ मानते हैं, वास्तव में वे यह नहीं जानते कि मोटापे की वजह से उनके गर्भ धारण करने की क्षमता प्रभावित हो रही है। डॉक्टरों द्वारा उन्हें मोटापे और इन्फर्टिलिटी के बीच के संबंध को समझाने के बाद ही वे आश्वस्त हो पाते हैं और क्षति को ठीक करना शुरू कर देते हैं।
स्टडीज से पता चला है कि मोटे पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या कम होने की संभावना अधिक थी और उनके इजेकुलेशन के लगभग 40 प्रतिशत से अधिक में स्पर्म होने की संभावना ही नहीं थी।
मोटापे की एक वजह हमारा जेनेटिक कंस्ट्रक्ट भी हाे सकता है, जो भारतीय परिदृश्य के अनुकूल है। यह पश्चिमी दुनिया के अन्य हिस्सों से अलग होगा। सौ से अधिक चिकित्सा विशेषज्ञों को शामिल करते हुए सर्वसम्मति से भारत में मोटापे की परिभाषा को निकाला गया। इसे मापने के 3 उपाय हो सकते हैं:
18.0-22.9 किग्रा/एम2 के बीच बीएमआई को सामान्य रूप में वर्गीकृत किया जाता है। 23.0 और 24.9 किग्रा/एम2 के बीच अधिक वजन के रूप में और एक बीएमआई> 25 किग्रा/एम2 को मोटे के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। जानें कि बीएमआई या शरीर का वजन स्वास्थ्य का बेहतर संकेतक हैं या नहीं।
पुरुषों के लिए कमर की परिधि 78 सेमी और महिलाओं के लिए 72 सेमी पर सर्वसम्मति को एक्शन 1 के रूप में वर्गीकृत किया गया है और पुरुषों के लिए 90 सेमी और महिलाओं के लिए 80 सेमी को एक्शन 2 के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
पुरुषों और महिलाओं के लिए कमर से कूल्हे का अनुपात कट-ऑफ क्रमशः 0.88 और 0.81 है।
पुरुष प्रजनन क्षमता पर उच्च बीएमआई या डब्ल्यूसी के नकारात्मक प्रभाव की आमतौर पर अनदेखी की जाती है। मोटापे का पुरुष प्रजनन क्षमता पर एक निश्चित प्रभाव पड़ता है जैसा कि मोटे पुरुषों में होता है;
लो टेस्टोस्टेरोन
लोअर स्पर्म काउंट
पूअर स्पर्म मॉर्फोलोजी
लोअर स्पर्म मोटिलिटी
इनमें से प्रत्येक इन्फर्टिलिटी के लिए स्वतंत्र रूप से योगदान देता है। जब प्रजनन विशेषज्ञ वजन लेते हैं, तो वे इसी इरादे से लेते हैं। वजन एक हेल्पफुल सरोगेट मार्कर है। रोगी को दवा शुरू करने से पहले ही इन्फर्टिलिटी का इलाज शुरू किया जाता है।
मरीजों को वजन कम करने की सलाह दी जाती है और क्रैश डाइट न लेने की सलाह दी जाती है।
इसकी बजाय उन्हें एक योग्य फिजिशियन और एक योग्य डायटीशियन की देखरेख में धीरे-धीरे वजन घटाने की दिशा में काम करने का आग्रह किया जाता है।”
आहार, व्यायाम, नींद और तनाव में कमी के संयोजन के माध्यम से वजन का प्रबंधन करना बहुत आसान है। वेट और इन्फर्टिलिटी के साथ मोटापे का संबंध सिर्फ एक महिला की समस्या नहीं है यह पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है।
स्वस्थ जीवन के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव बेहद जरूरी है। पोषक तत्वों की कमी वाली डाइट, तनाव, वजन बढ़ने और सेल्फ स्टीम में कमी के कारण भी वजन और बढ़ सकता है।
बॉडी बिल्डिंग एनाबॉलिक स्टेरॉयड का अनियंत्रित उपयोग या दवाओं का सेवन भी फर्टिलिटी को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
वजन बढ़ाने और इन्फर्टिलिटी के लिए शराब और धूम्रपान भी योगदान देता है। पुरुषों को अपने शराब के सेवन को नियंत्रित करने की जरूरत है। यदि संभव हो तो स्मोकिंग भी छोड़ दें।
हमारे शरीर की मांग के अनुसार, समय पर और आवश्यक डाइट ली जाती है। इससे ही शरीर स्वस्थ रहता है और उससे जरूरी काम लिए जा सकते हैं।