शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ और सक्रिय रहने के लिए शरीर में पोषक तत्वों की एक उचित मात्रा को बनाये रखना बेहद महत्वपूर्ण है। हालांकि, पोषक तत्वों की कमी किसी को भी हो सकती है। खानपान के प्रति बरती गई लापरवाही, कुछ प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं आदि पोषक तत्वों की कमी के लिए जिम्मेदार होती हैं। पोषक तत्वों की कमी का प्रभाव समग्र सेहत पर नजर आ सकता है। वहीं न्यूट्रिशन डेफिशिएंसी वेजाइनल हेल्थ (Nutrition deficiency and vaginal health) को भी प्रभावित कर सकती है।
हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर सीके बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्राम की ऑब्सटेट्रिक्स और गाइनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर आस्था दयाल से बात की। डॉक्टर ने पोषक तत्वों की कमी से योनि स्वास्थ में होने वाले बदलाव पर बात की है। तो चलिए जानते हैं न्यूट्रिशन डेफिशिएंसी होने पर हमारी योनि क्या संकेत देती है।
योनि स्वास्थ्य कई कारकों पर निर्भर करता है। कई बार स्टोर में मिलने वाले केमिकल युक्त ल्यूब के इस्तेमाल से योनि में सूखापन आ जाता है तो कई बार पब्लिक वॉशरूम के इस्तेमाल से बैक्टीरियल इन्फेक्शन का सामना करना पड़ता है। वहीं पार्टनर के गलत कंडोम चुनने के कारण योनि प्रभावित हो सकती है, इन सभी से परे पोषण की कमी भी आपकी योनि को प्रभावित कर सकती है।
जिस तरह शरीर को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना जरुरी होता है, उसी तरह योनि को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन भी बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। वेजाइना की सेहत को बनाये रखने के लिए विटामिन से भरपूर खद्य पदार्थ आवश्यक होते हैं। विटामिन डी की कमी वेजाइनल ड्राइनेस का कारण बन सकती है, यदि वेजाइना में सूखापन या खुजली का अनुभव हो रहा है तो विटामिन युक्त आहार लेना शुरू करें। यह योनि को स्वस्थ रखने के लिए बहुत जरूरी हैं।
डॉ आस्था दयाल कहती हैं “शरीर में आवश्यक विटामिन (best vitamins for vaginal health) की पर्याप्त मात्रा सेल फंक्शनिंग में आपकी मदद करती हैं। यह आपके वेजाइनल पीएच वैल्यू को भी सामान्य रखती है। इनकी कमी से योनि में सूखापन, खुजली और दुर्गंध जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं। योनि स्वास्थ्य के लिए विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन ई और विटामिन डी विशेष रूप से महत्वपूर्ण होते हैं।”
डॉक्टर के अनुसार विटामिन ई में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो वेजाइना को परेशानियों से बचाने में मदद करता है। नियमित रूप से विटामिन ई का सेवन वेजाइना को ड्राई नहीं होने देता। विटामिन ई की पर्याप्त मात्रा से संक्रमण को रोकने और उसके इलाज में मदद मिलती है। आप जैतून का तेल, नट्स, बीज और एवोकाडो जैसे कुछ खाद्य पदार्थों के माध्यम से स्वाभाविक रूप से विटामिन ई प्राप्त कर सकती हैं।
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डॉक्टर के अनुसार विटामिन डी सामान्य कोशिका कार्य को बनाए रखने और योनि संक्रमण को रोकने में मदद करता है। विटामिन डी वेजाइनल पीएच में सुधार करता है और मेनोपॉज के बाद वेजाइना को अत्यधिक ड्राई नहीं होने देता। इसकी कमी से वेजाइनल फ्लोरा में मौजूद माइक्रोऑर्गनिज्म असंतुलित हो जाते हैं जिसकी वजह से योनि अधिक संबेदनशील हो सकती है।
विटामिन डी इम्युनिटी बूस्ट करने में मदद करता है, ऐसे में इसकी कमी से आप योन संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकती हैं, जैसे कि यीस्टइन्फेक्शन, यूटीआई और बैक्टीरियल वेजिनोसिस।
आपके शरीर को सूरज की रोशनी से विटामिन डी प्राप्त करने में मदद मिलती है, लेकिन शरीर में इसके स्तर को बढ़ाने के लिए आप विटामिन डी सप्लीमेंट ले सकती हैं। अंडे, डेयरी उत्पाद, सैल्मन, संतरे का रस और मछली में प्राकृतिक रूप से विटामिन डी की मात्रा मौजूद होती है।
विटामिन सी को आमतौर पर इम्युनिटी को बढ़ावा देने के लिए लिया जाता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जो शरीर को डिटॉक्स करने और संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। विटामिन सी के प्राकृतिक स्रोतों में स्ट्रॉबेरी, बेल मिर्च और केल शामिल हैं। नेशनल लाइब्रेरी द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार विटामिन सी का नियमित इंटेक बैक्टीरियल वेजिनोसिस के लिए एक सफल उपचार के रूप में काम करता है।
लहसुन में प्राकृतिक रूप से एंटी बैक्टीरियल और एंटिफंगल प्रॉपर्टी पाई जाती है। गार्लिक पिल्स लेने से योनि संक्रमण के लक्षणों का इलाज करने और भविष्य में संक्रमण को रोकने में मदद मिल सकती है। आप चाहें तो लहसुन की गोलियों की जगह कच्चे लहसुन को अपनी डेली डाइट का हिस्सा बना सकती हैं।
क्रैनबेरी में एसिडिक पीएच होता है जिससे की यह योनि में स्वस्थ पीएच स्तर का समर्थन करते हैं। बहुत से लोग यूटीआई और अन्य योनि संक्रमणों के इलाज के लिए क्रैनबेरी पिल्स लेते हैं। क्रैनबेरी प्राकृतिक रूप से बहुत एसिडिक होते हैं, इस प्रकार वे हानिकारक बैक्टीरिया को मारने और संक्रमण को रोकने में मदद कर सकते हैं। आप क्रैनबेरी सप्लीमेंट की जगह क्रैनबेरी जूस का सेवन कर सकती हैं।
डॉक्टर के अनुसार जिस प्रकार प्रोबायोटिक्स पाचन संबंधी समस्यायों में सहायक होती है ठीक उसी प्रकार यह वेजाइनल हेल्थ के लिए भी बेहद फायदेमंद हो सकती है। बहुत से लोगों को यह एहसास नहीं है कि प्रोबायोटिक्स योनि सहित शरीर के अन्य क्षेत्रों का समर्थन करती है। आंत की तरह, योनि में भी स्वस्थ बैक्टीरिया होते हैं जिन्हे स्वाभाविक रूप से बेहतर वातवरण की आवश्यकता होती है। प्रोबायोटिक्स लेने से इन स्वस्थ बैक्टीरिया को समर्थन देने में मदद मिलती है, जिससे हानिकारक बैक्टीरिया को पनपने से रोका जा सकता है। इससे यीस्ट इंफेक्शन और यूटीआई जैसे संक्रमण का खतरा बेहद कम हो जाता है।
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