कई महिलाएं पीरियड्स के दौरान असहनीय क्रैंप्स का अनुभव करती हैं। ज्यादातर महिलाएं क्रैंप्स को पीरियड्स का नॉर्मल साइड इफेक्ट समझती हैं, परंतु असल में यह शरीर में मैग्नीशियम की कमी का संकेत हो सकते हैं। अब स्वयं अपने आसपास कई महिलाओं को देखती होंगी, जिन्हें पीरियड्स में कम क्रैंप्स होते होंगे।
क्या आपने कभी जानने की कोशिश की है आपको पीरियड्स में अधिक क्रैंप्स का अनुभव क्यों करना पड़ता है? यदि नहीं! तो आपको यह मालूम होना चाहिए कि मैग्नीशियम और पीरियड्स क्रैंप्स एक दूसरे से जुड़े होते हैं, और मैग्नीशियम की कमी पीरियड्स में नजर आने वाले लक्षण को अधिक बढ़ा सकती है (magnesium deficiency and periods cramps)।
डॉ. आस्था दयाल, डायरेक्टर – आब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजी, सी के बिरला हॉस्पिटल गुरुग्राम ने मैग्नीशियम की कमी से पीरियड्स क्रैंप के बढ़ने का कारण बताया है। साथियों उन्होंने बताया है कि किस तरह शरीर में मैग्नीशियम को मेंटेन रखा जा सकता है। यदि आप भी पीरियड्स के दौरान अधिक दर्द का अनुभव करती हैं, तो इसलिए को जरूर पढ़ें (magnesium deficiency and periods cramps)।
मैग्नीशियम की कमी से मेंस्ट्रूअल साइकिल के दौरान क्रैंप्स बढ़ सकता है और असुविधा हो सकती है। मैग्नीशियम नर्व एक्टिविटी, मांसपेशियों को आराम देने और शरीर के हार्मोन को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक होते हैं। जब शरीर में मैग्नीशियम की कमी हो जाति है, तो मांसपेशियां, विशेष रूप से गर्भाशय में, अधिक प्रेशर के साथ सिकुड़ सकती हैं, जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं में पीरियड्स के दौरान दर्दनाक ऐंठन का अनुभव होता है।
मासिक धर्म के दौरान मैग्नीशियम का स्तर स्वाभाविक रूप से कम हो जाता है, जिससे ऐंठन, सूजन और मूड स्विंग्स होते हैं। मैग्नीशियम की कमी का प्रोस्टाग्लैंडीन पर नकारात्मक असर पड़ता है, जिसे गर्भसाय कॉन्ट्रैक्शन हार्मोन कहते हैं। कम मैग्नीशियम के स्तर से अधिक गंभीर ऐंठन और सूजन होती है, जो प्रोस्टाग्लैंडीन के स्तर को बढ़ाती है। इस प्रकार मैग्नीशियम की कमी क्रैंप्स की स्थिति को बदतर बना सकती है।
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पीएमएस वाली महिलाओं में अक्सर मैग्नीशियम का स्तर कम होता है। वहीं जब मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थों का उचित सेवन नहीं किया जाता तो उनमें इसकी अधिक कमी हो सकती है, जिसकी वजह से प्री मेंस्ट्रूअल सिंड्रोम के लक्षण और ज्यादा गंभीर हो जाते हैं। जिसकी वजह से महिलाओं को पीरियड्स के दौरान अधिक दर्द एवं बेचैनी का सामना करना पड़ सकता है।
डॉक्टर अस्था दयाल ने यहां मैग्नीशियम की जरूरत को पूरा करने के लिए कुछ खास सुझाव दिए हैं, तो चलिए जानते हैं इस बारे में अधिक विस्तार से।
मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थों या सप्लीमेंट्स का सेवन बढ़ाने से पीरियड्स के दर्द को कम करने में मदद मिल सकती है। डार्क चॉकलेट, साबुत अनाज, नट्स, बीज और पत्तेदार साग में भरपूर मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है। ये खाद्य पदार्थ मांसपेशियों को आराम देने और ऐंठन की गंभीरता को कम करने में भी मदद कर सकते हैं।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार अपने पीरियड्स से पहले और उसके दौरान मैग्नीशियम सप्लीमेंट्स लेने से ऐंठन की तीव्रता को कम करने में मदद मिलती है। साथ ही थकान और मूड स्विंग्स सहित अन्य पीएमएस लक्षण भी कम हो सकते हैं। अपने नियमित आहार पर्याप्त मैग्नीशियम लेने से आप संतुलित हार्मोन चक्र बनाए रख सकती हैं। मासिक धर्म के दौरान होने वाली ऐंठन को कम करते हुए समग्र मेंस्ट्रूअल साइकिल हेल्थ को बेहतर बना सकती हैं।
क्लीनिकल डाइटिशियन न्यूट्रीशनिस्ट और डायबिटीज एजुकेटर शिवानी कंडवाल ने एक खास घरेलू नुस्खा शेयर किया है, जिससे शरीर में मैग्नीशियम मेंटेन रखना आसान हो जाएगा। इस घरेलू नुस्खे को पीरियड शुरू होने के 10 दिन पहले से लेना शुरू करें, इससे आपको क्रैंप्स में काफी राहत मिलेगा।
4 से 5 काली किशमिश और 4 से 5 केसर के धागों को पानी में भिगोकर रात भर के लिए छोड़ दें, और सुबह उठते के साथ इसे पानी के साथ लेना है। केसर और किशमिश दोनों ही मैग्नीशियम के एक बेहतरीन स्रोत है उनके नियमित सेवन से शरीर में मैग्नीशियम की मात्रा को मेंटेन रखने में मदद मिल सकती है।
इसके अलावा यह कई अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व जैसे आयरन, कॉपर, कैल्शियम, जिंक, फास्फोरस, मैंगनीज आदि के एक अच्छे स्रोत हैं। जो शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को मेंटेन रखने में मदद करते हैं। साथ ही साथ यह हारमोंस को भी बैलेंस करते हैं, जिससे कि पीरियड्स क्रैंप्स नियंत्रित रहती है।
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