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हेल्दी ब्रेकफास्ट कंट्रोल कर सकता है पीएमएस के लक्षण, एक स्त्री रोग विशेषज्ञ बता रही हैं इसकी अहमियत

मूड स्विंग्स, क्रैंप्स और ब्लोटिंग ये वे समस्याएं हैं, जिनका ज्यादातर महिलाओं को मेंस्ट्रुअल पीरियड से पहले और उस दौरान सामना करना पड़ता है। पर विशेषज्ञ मानती हैं कि अगर ब्रेकफास्ट में हेल्दी मील ली जाए तो इसे बहुत हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।
Published On: 26 Dec 2023, 09:00 pm IST
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Dr. Ritu Sethi
मेडिकली रिव्यूड
Breakfast skip na karein
नाश्ता छोड़ने और शरीर के वजन के बीच एक गहरा संबंध पाया जाता है। चित्र : शटरस्टॉक

प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम या पीएमएस के दौरान महिलाएं तमाम परेशानियों से रूबरू होती हैं। इससे बचने के लिए कुछ महिलाओं को दवाइयों अथवा थेरेपी तक का सहारा लेना पड़ जाता है। आजकल फास्टिंग का चलन भी बढ़ा है। कुछ प्रयोग के तौर पर, तो कुछ बीमारियों को ठीक करने के लिए उपवास कर रही हैं। कोई सुबह का नाश्ता, तो कोई दोपहर का लंच छोड़ रही हैं। लेकिन, जब बात हो प्रीमेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम की, तो क्या भोजन स्किप करना ठीक है? विशेष रूप से सुबह का नाश्ता, जो पीएमएस के प्रभावों से सीधा ताल्लुक रखता है। स्टडीज से पता चलता है कि सुबह का नाश्ता पीएमएस के लक्षणों को कम कर सकता है। आइए जानें कि आखिर किस तरह ब्रेकफास्ट पीएमएस के दौरान खास भूमिका (breakfast in PMS) अदा करता है।

प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (Premenstrual Syndrome)

सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (Premenstrual Syndrome) होता क्या है? मेंस्ट्रुएशन के दौरान महिलाओं में हार्मोनल बदलाव से होने वाली समस्या को प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम कहते हैं। पीरियड्स शुरू होने के पहले हर महिला में शारीरिक और भावनात्मक बदलाव होते हैं, जिसके चलते उनको मूड स्विंग, डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, दर्द, सूजन, ज्यादा ब्लीडिंग, थकावट जैसी परेशानियां हो जाती हैं। यह दिक्कतें मेंस्ट्रुएशन के कुछ दिनों पहले या उसके दौरान भी हो सकती हैं। हर महिला में पीएमएस के लक्षण अलग-अलग होते हैं।

प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम एवं भूख का संबंध (pms and hunger relation)

प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के दौरान हार्मोन तेजी से बदलते हैं, जिसकी वजह से कई बार भूख कम होने लगती है। कुछ खाने को मन नहीं करता। वहीं कभी-कभी कुछ महिलाओं में भूख बढ़ भी सकती है।

भूल कर भी स्किप नहीं करें नाश्ता (don’t forget to have breakfast)

पीएमएस में सुबह का नाश्ते सबसे अहम है, जो कि सीधे-सीधे पीएमएस के लक्षणों पर प्रभाव डालता है। नाश्ता नहीं लेने से आपके ब्लड में शुगर लेवल असंतुलित हो सकता है। साथ ही पीएमएस को ट्रिगर करने वाला सेरोटीन हार्मोन घट जाता है। इससे दिक्कतें बढ़ जाती हैं। इसलिए कुछ भी हो जाए, आप सुबह का नाश्ता स्किप करने की भूल नहीं करें।

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पीएमएस में सुबह का नाश्ते सबसे अहम है, जो कि सीधे-सीधे पीएमएस के लक्षणों पर प्रभाव डालता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

ब्रेकफास्ट नहीं करने से बढ़ जाता है पीरियड पेन (skipping breakfast can trigger pain)

जापान में 18 से 20 आयु वर्ग की करीब 450 महिलाओं के ग्रुप पर हुए अध्ययन में पीएमएस के दौरान नाश्ता न करने और मेंस्ट्रुएशन के दर्द (जो पीरियड शुरू होने से पहले भी हो सकता है) के उच्च स्तर के बीच सीधा संबंध पाया गया। जिन महिलाओं ने नाश्ता नहीं किया था, उन्हें मेंस्ट्रुएशन के दौरान तेज दर्द हुआ। साथ ही पीरियड संबंधी अन्य विकारों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

पीएमएस के लक्षणों में कमी लाता है हेल्दी ब्रेकफास्ट (breakfast reduces pms symptoms)

सेरोटीन हार्मोन पीएमएस के मानसिक और भावनात्मक लक्षणों को कम करता है। नाश्ता करने से आप इसे बढ़ाकर पीएमएस के लक्षणों को कम कर सकती हैं। इसके विपरीत अगर आप नाश्ता नहीं करती हैं, तो यह हार्मोन घट जाता है और पीएमएस संबंधी दिक्कतें बढ़ जाती हैं। सेरोटीन आंतों के लिए भी अच्छा है। कुछ महिलाओं में मेंस्ट्रुएशन से पहले डायरिया या कॉन्स्टिपेशन जैसी परेशानियां हो जाती हैं। ऐसे में सेरोटीन-अनुकूल नाश्ता पीरियड के दौरान पेट की परेशानी को मैनेज करता है।

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सेरोटीन-अनुकूल नाश्ता पीरियड के दौरान पेट की परेशानी को मैनेज करता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

इन फूड्स को करें ब्रेकफास्ट में शामिल (include fibre in breakfast)

नाश्ते में आपको क्या खाना है इसका ख्याल भी रखना होगा। नाश्ता हल्का, लेकिन फाइबर से भरपूर हो। सब्जियों वाला दलिया, ओट्स,शकरकंद, सूप आदि ही इस दौरान लें। कार्बोहाइड्रेट की मात्रा वाला नाश्ता सबसे अच्छा होगा। फाइबर युक्त चीजें आपके इंसुलिन स्तर को संतुलित रखने में मदद करती हैं जिससे मूड भी बेहतर रहता है।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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