इन 7 कारणों से पीरियड्स में कम या ज्यादा हो सकता है आपका ब्लड फ्लो

पीरियड्स में यदि आपका ब्लड फ्लो कभी कम तो कभी ज्यादा हो जाता है, तो इस स्थिति को आपको नजरंदाज नहीं करना चाहिए। इसपर समय रहते ध्यान दें और डॉक्टर से इस बारे में संपर्क करें।
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पीरियड 8 से 14 साल के बीच कहीं भी शुरू हो सकता है। चित्र : एडॉबीस्टॉक
अंजलि कुमारी Published: 19 Jan 2024, 21:26 pm IST
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कई बार पीरियड्स में अधिक ब्लीडिंग होती है, तो कई बार पीरियड्स में बेहद कम ब्लीडिंग होती है। आखिर ऐसा क्यों होता है? क्या कारण है जो पीरियड्स में आपका ब्लड फ्लो कभी लाइट तो कभी हैवी हो जाता है। इसके पीछे कई स्थितियां जिम्मेदार हो सकती हैं। स्ट्रेस, कुछ आवश्यक पोषक तत्वों की कमी और वजन में असंतुलित रूप से बदलाव आने से मेंस्ट्रुएशन के दौरान ब्लड फ्लो प्रभावित हो सकता है (bleeding in period)।

हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर क्लाउड नाइन ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल की ऑब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजी डिपार्टमेंट की कंसल्टेंट डॉक्टर पूजा सी ठुकराल से सलाह ली। तो चलिए जानते हैं, इरेगुलर पीरियड्स ब्लड फ्लो (periods blood flow) को लेकर क्या कहते हैं एक्सपर्ट।

जानें आखिर कौन सी स्थितियां ब्लड फ्लो को प्रभावित कर सकती हैं

1. विटामिन के डिफिशिएंसी

विटामिन के ब्लड क्लॉटिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, शरीर में विटामिन के की कमी मेंस्ट्रूअल ब्लीडिंग को इफेक्ट करती है। विटामिन के की कमी से ब्लड को क्लॉट होने में लंबा समय लगता है, जिसकी वजह से पीरियड्स में हैवी ब्लीडिंग हो सकती है। विटामिन के की डिफिशिएंसी आपके मेंस्ट्रूअल साइकिल को प्रभावित कर रही है, तो इसके लिए डॉक्टर से कंसल्ट करें और अपने डाइट में बदलाव लाएं।

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ब्रेस्टफीडिंग के दौरान हो सकती है लाइट पीरियड्स। चित्र:एडॉबीस्टॉक

2. लैक्टेशन

लेक्टेटिंग महिलाओं की बॉडी में प्रोलेक्टिन का स्तर बहुत ज्यादा होता है, यह एक ऐसा हार्मोन है जो पिट्यूटरी ग्लैंड द्वारा प्रोड्यूस किया जाता है और ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन को स्टिम्युलेट करता है। प्रोलेक्टिन मेंस्ट्रूअल साइकिल के रेगुलेशन में एक महत्वपूर्ण रोल प्ले करता है।

जब आप ब्रेस्टफीडिंग करवा रही होती हैं, तो इस दौरान पीरियड्स में आपका ब्लड फ्लो काफी हल्का हो सकता है। इसके अलावा कई बार मेडिकेशन और मेडिकल कंडीशन के कारण भी प्रोलेक्टिन का प्रभावित हो सकता है। जिसकी वजह से भी ब्लड फ्लो में असामान्यता देखने को मिलती है।

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3. स्ट्रेस

इमोशनल स्ट्रेस जैसे कि अपने लव्ड वन को खोना, वर्क प्रेशर, रिलेशनशिप स्ट्रेस आदि बॉडी में स्ट्रेस हार्मोन को बढ़ा देते हैं। जिसकी वजह से मेंस्ट्रूअल साइकिल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वहीं हार्मोनल इंबैलेंस की वजह से पीरियड्स में ब्लड फ्लो काफी हल्का होता है, जिसे हम लाइट पीरियड कहते हैं।

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एंग्जायटी और पेट की समस्याएं आपस में जुड़ी हुई हैं। चित्र :- अडोबी स्टॉक

4. सडेन वेट लॉस और वेट गेन

यदि आप किसी वजह से अचानक से बहुत ज्यादा वेट गेन कर लेती हैं, या अचानक से वेट लॉस होना शुरू हो जाता है, तो इसकी वजह से भी मेंस्ट्रूअल साइकिल के दौरान ब्लड फ्लो प्रभावित होता है। अंडरवेट होने से फैट की कमी ओवुलेशन को रोक सकती है, जिसकी वजह से पीरियड्स में काफी कम ब्लीडिंग होती है। वहीं अत्यधिक फैट गेन करने से भी पीरियड पर प्रभाव पड़ता है। क्योंकि इस दौरान शरीर में हार्मोन का स्तर बदल जाता है।

5. मेडिकल कंडीशन

कुछ सामान्य मेडिकल कंडीशंस हैं, जिनमें मेंस्ट्रूअल साइकिल के दौरान ब्लड फ्लो काफी कम होता है। इस स्थिति में डॉक्टर से मिल संपर्क करना जरूरी है।

6 थायराइड डिसऑर्डर

थायराइड डिसऑर्डर की वजह से आपका पीरियड्स ब्लड फ्लो काफी हल्का हो सकता है। थायराइड ग्लैंड मेंस्ट्रूअल साइकिल को रेगुलेट करने में मदद करते हैं, वहीं इनमें उतार-चढ़ाव आने से पीरियड ब्लड फ्लो पर इसका नकारात्मक असर नजर आ सकता है।

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चलिए जानते हैं इस विषय के बारे में सब कुछ। चित्र : एडॉबीस्टॉक

7 पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से ग्रसित महिलाओं में नॉरमल पीरियड की तुलना में काफी कम ब्लड फ्लो होता है। यह एक प्रकार का हार्मोनल डिसऑर्डर है, जिसमें पीरियड्स को रेगुलेट करने वाले हारमोंस असंतुलित हो जाते हैं। ऐसे में पीरियड ब्लड फ्लो काफी लाइट होता है।

नोट : यदि आपका मेंस्ट्रूअल साइकिल के दौरान पीरियड्स ब्लड फ्लो काफी हल्का या बहुत ज्यादा होता है, तो इस स्थिति में आपको अपने शरीर में हो रहे अन्य बदलाव पर गौर करना चाहिए। उसके बाद आपको जो भी संभावित परेशानी की संभावना लगे, उस विषय पर डॉक्टर से मिल सलाह लेनी चाहिए। इसे भूलकर भी नजरअंदाज न करें, क्योंकि कई बार यह ओवेरियन कैंसर जैसी बड़ी समस्याओं का संकेत हो सकती है। इसके अलावा इन्हें लंबे समय तक नजरअंदाज करने से इनफर्टिलिटी का खतरा बढ़ जाता है।

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इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं। ...और पढ़ें

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