वजन को तेजी से घटाने के लिए हम कीटो डाइट लेते हैं। वेट लॉस में कारगर होने के बावजूद कुछ विशेषज्ञ इसे फैड डाइट भी कहते हैं, क्योंकि मूवी वर्ल्ड में काम करने वाले लोगों को जब भी तुरंत वजन घटाना होता है, तो वे कीटो डाइट का पालन करते हैं। हालांकि एपिलेप्सी के उपचार में प्रयोग किया जाने वाला कीटो डाइट कई मायने में स्वास्थ्यवर्द्धक है, तो कई मायने में स्वास्थ्य के लिए सही नहीं भी (keto diet for vagina) है। पर यह योनि के स्वास्थ्य (keto diet for Vaginal health) को भी प्रभावित कर देती है। यह जानने से पहले इस डाइट के बारे में जानते हैं।
कीटो डाइट(KD) एक ऐसी डाइट है, जिसमें व्यक्ति को कई घंटों तक लगातार भूखा (Starved) रहना पड़ता है। इसके कारण मेटाबॉलिज्म में परिवर्तन हो जाता है और शरीर उसी के अनुकूल ढल जाता है। यह प्रक्रिया कीटोसिस कहलाती है, जो बिल्कुल भूखा रहने पर भी शरीर को जीवित रहने के अनुकूल बना देती है। कीटो डाइट में फैट बहुत ज्यादा मात्रा में लिया जाता है।
कार्बोहाइड्रेट न के बराबर लिया जाता है और प्रोटीन बहुत कम मात्रा में लिया जाता है। इसमें जब हमारे शरीर को कार्बोहाइड्रेट नहीं मिलता है, तो ब्लड में ग्लूकोज भी नहीं बन पाता। ग्लूकोज एनर्जी का मुख्य स्रोत है। तब एनर्जी पाने के लिए शरीर में कीटोंस बनने लगते हैं। यह एक प्रकार का फ्यूल है, जो फैट से लिवर प्रोड्यूस करता है।
इस डाइट के अंतर्गत आपको अपनी कैलोरी का 75 प्रतिशत फैट से ही पूरा करना पड़ता है। इसके लिए कार्बोहाइड्रेट से 5 प्रतिशत कैलोरी और प्रोटीन से 15 प्रतिशत कैलोरी ही लेनी होती है।
जर्नल ऑफ़ द अकैडमी ऑफ़ नुट्रीशन एंड डाइटिक्स में प्रकाशित शोध के अनुसार, कीटो डाइट के कारण पीएच बैलेंस में बदलाव आ जाता है।
इसके कारण बैक्टीरियल वैजीनोसिस (Bacterial Vaginosis) होने की संभावना भी बनने लगती है। योनि गंध में भी बदलाव आ जाता है। दरअसल, कीटो डाइट में मीडियम प्रोटीन के साथ हाई फैट, कम कार्ब वाले खाद्य पदार्थ लिए जाते हैं। इससे ही बैक्टीरियल वैजिनोसिस और योनि की गंध जैसे कुछ दुष्प्रभाव सामने आ सकते हैं।
जब वसा और प्रोटीन जैसे मैक्रोन्यूट्रिएंट्स को बड़ी मात्रा में आहार में शामिल किया जाता है, तो खाद्य पदार्थ शरीर के पीएच को बदल देते हैं। इसके कारण शरीर से अलग तरह की गंध भी निकलती है। कीटो डाइट योनि के पीएच को बदल देता है। पीएच असंतुलन के कारण जलन, दुर्गंध और संक्रमण की संभावना बनने लगती है। योनि संक्रमण की संभावना पीरियड में अधिक हो जाती है। 7 से कम पीएच एसिडिक माना जाता है और 7 से अधिक का पीएच बेसिक माना जाता है।
इंडियन जर्नल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित आर हेमलता और ए रामालक्ष्मी के अध्ययन आलेख के अनुसार, कीटो आहार का संतृप्त वसा योनि पीएच को बढ़ा देता है। इसलिए बैक्टीरियल वेजिनोसिस का जोखिम भी बढ़ जाता है। योनि का पीएच लेवल 3.8 – 4.5 के बीच होना चाहिए।
हालांकि प्रजनन वर्षों के दौरान 15- 49 वर्ष की आयु में योनि पीएच 4.5 के नीचे या उसके बराबर होना चाहिए। पीरियड से पहले और मेनोपॉज के बाद पीएच 4.5 से अधिक हो जाता है। अम्लीय वातावरण योनि के लिए स्वास्थ्यकर है। यह बैड बैक्टीरिया और यीस्ट को संक्रमण पैदा करने से रोकता है। योनि पीएच स्तर 4.5 से ऊपर होने पर हानिकारक बैक्टीरिया को ग्रो करने के लिए सही वातावरण प्रदान करता है।
यदि आप कीटो डाइट ले रही हैं और बैक्टीरियल वेजिनोसिस से जूझ रही हैं, तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें और अपनी डाइट पर बात करें। संभव है, वे आपको बैलेंस डाइट पर लौटने की सलाह देंगे।
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