लोगों में किसी विषय पर सही जानकारी नहीं होने का फायदा ही अफवाह फैलाने वाले लोग उठाते हैं। इन दिनों इंटरनेट पर लोगों के कई घंटे बीतते हैं। इसलिए इन दिनों सेक्सुअली ट्रांसमिट डिजीज के बारे में भी लोग ब्लू वफ़ल डिजीज के बारे में फैला रहे हैं। इन दिनों नीले रंग की योनि का फोटोग्राफ प्रस्तुत कर कई पोस्ट, विडियो वायरल किये जा रहे हैं। वे अपनी पोस्ट में यह दावा करते हैं कि ब्लू वफ़ल (योनि का नीला पड़ना) एक रोग है, जो सेक्सुअली ट्रांसमिट होता है। विशेषज्ञ से जानते हैं कि यह किस तरह का रोग (blue waffle disease) है।
प्राइमस सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में गायनेकोलोजिस्ट और ऑब्सटेट्रीशियन कन्सल्टेंट डॉ. रश्मि बालियान (Gynaecologist and Obstetrician Dr Rashmi Baliyan) कहती हैं, ‘वास्तव में ब्लू वफ़ल (Blue Waffle) किसी तरह का रोग नहीं है। किसी व्यक्ति की नीले रंग की योनि दिखाने वाले फोटोग्राफिक साक्ष्य के बावजूद यह किसी प्रकार का कोई संक्रमण नहीं है। यह इंटरनेट पर फर्जी खबर के समान है, जो किसी भी क्षेत्र से सामने आ सकती है। मानसिक रूप से बीमार लोग इस रोग के बारे में अफवाह फैलाते हैं।
डॉ. रश्मि कहती हैं, ‘ब्लू वफ़ल डिजीज एक नकली यौन संचारित संक्रमण (Sexually Transmitted Infection) है। इसे 2010 में इंटरनेट प्रैंकस्टर्स द्वारा मनगढ़ंत रूप से बनाया गया था। इसमें दावा किया गया था कि यह बीमारी योनि को नीला कर देती है। यह ह्यूमन पैपिलोमावायरस (HPV) के कारण होती है। ब्लू वफ़ल मिथ ने 2013 में तब और जोर पकड़ा जब न्यू जर्सी काउंसिल पर्सन कैथी मैकब्राइड को इस चाल में शामिल किया गया। उन्हें इस काल्पनिक स्वास्थ्य खतरे के बारे में लोगों से बताने को कहा गया।’
यह एक इंटरनेट मेम है, जिसमें लेबिया (योनि के चारों ओर की त्वचा की तह) की एक तस्वीर पोस्ट की जाती है। इसे फोटोशॉप की मदद से नीला दिखाया जाता है। महिलाओं की योनि को बीमारी का वाहक मानकर उसे चित्रित किया जाता है। यह फोटो देखकर लोग संशय में आ जाते हैं, भले ही इसका अस्तित्व नहीं है। वफ़ल शब्द का अर्थ योनि होता है।
डॉ. रश्मि के अनुसार, ब्लू वफ़ल रोग के झांसे में आने की वजह यह है कि यह वास्तविक एसटीआई के कारण शरीर में होने वाले जो लक्षण दिखते हैं, इसमें भी दिखाया जाता है। प्रैंक करने वाले लोगों ने दावा किया कि यह बीमारी यौन संचारित है, जिसके कारण योनि में घाव, खुजली, जलन और बदबूदार स्राव होता है। ये सभी लक्षण एसटीआई जैसे गोनोरिया या क्लैमाइडिया में भी दिखाई पड़ सकते हैं।
यह रोग जानबूझकर ट्रोलिंग या ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से बनाया गया। यह शरारत दहशत और संकट पैदा करने में कामयाब रही। इसके माध्यम से यह कहना चाहता है कि यौन रूप से सक्रिय महिलाओं को अंततः अपने यौन व्यवहार का परिणाम भुगतना (blue waffle disease) पड़ेगा। यह इस तथ्य को रेखांकित करता है कि ब्लू वफ़ल रोग केवल महिलाओं को प्रभावित करता है, पुरुषों को नहीं।
यह उसी अफवाह की तरह है, जिसमें कहा जाता है कि पुरुषों के यौन रूप से सक्रिय नहीं होने पर उन्हें “ब्लू बॉल्स” हो सकता है। इसका एक मात्र उपचार यह है कि लोग इंटरनेट पर प्रस्तुत की गयी जानकारियों को देखते समय विशेष सतर्कता बरतें। हर खबर पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं करें। अपने मेंटल हेल्थ की मजबूती के लिए नियमित रूप से योग और एक्सरसाइज करें।
सही यौन शिक्षा के अभाव में इस तरह की अफवाह के लोग शिकार (blue waffle disease)होते हैं। जरूरी यौन शिक्षा के लिए समय-समय पर वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन की साइट पर उपलब्ध सूचना जरूर देखें। इस पर एसटीआई या अन्य रोगों के बारे में सही सूचना प्रसारित की जाती है। उचित यौन शिक्षा से कंडोम के उपयोग को बढ़ाने और किशोर गर्भधारण को भी रोकने में मदद मिल सकती है।
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