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सेक्सुअल डिजायर को बैलेंस करता है सिद्धयोनि आसन, यहां है इसे करने का सही तरीका

सिद्धयोनि आसन महिलाओं के सेक्सुअल ऑर्गन के स्वास्थ्य में सुधार करता है। जिससे उनके यौन जीवन और प्रजनन क्षमता में सुधार होता है। 
सिद्ध योनि आसन महिलाओं के सेक्सुअल ऑर्गन के स्वास्थ्य में सुधार करता है। चित्र: शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 20 Oct 2023, 09:29 am IST
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शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योगासन और योग मुद्राएं सबसे विश्वसनीय अभ्यासों में से एक हैं। कई शोधों में भी यह माना गया है कि योग शरीर को संपूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करता है। यदि आप काम की व्यस्तता के कारण घर से बाहर निकल कर वॉकिंग, स्वीमिंग, रनिंग नहीं कर पाती हैं, तो घर पर योगासनों के माध्यम से उतना ही स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकती हैं। बशर्ते कि उन आसनों को सही तरीके से किया जाए। आपकी सेक्स क्षमता को संतुलित करने वाला ऐसा ही एक आसन है सिद्ध योनि आसन। आइए जानते हैं इसे करने का तरीका और फायदे। 

फर्टिलिटी को बढ़ावा देता है

कई शारीरिक समस्याओं के साथ-साथ सेक्सुअल डिजायर का अत्यधिक होना या कम होना भी एक शारीरिक समस्या है। साथ ही खराब लाइफ स्टाइल के कारण महिलाओं की फर्टिलिटी भी प्रभावित हो रही है। इन दोनों समस्याओं का निदान योग में है। सेक्सुअल डिजायर को संतुलित करने (siddha yoni asana to boost sex health) के साथ-साथ फर्टिलिटी को भी बढ़ावा देता है।

योगाचार्य विप्लव किशोर बताते हैं, ‘योग हमारे समग्र कल्याण के लिए अविश्वसनीय रूप से फायदेमंद है। सेक्सुअल डिजायर यानी काम वासना को संतुलित करने में मदद करता है सिद्धयोनि आसन’।

कैसे करें सिद्धयोनि आसन

आचार्य विप्लव के अनुसार, ‘महिलाओं के रिप्रोडक्टिव हेल्थ को फायदा पहुंचाता है सिद्धयोनि आसन’।

1 योनि के अंदर एड़ी जमाएं

सबसे पहले पैरों को सामने फैलाकर बैठ जाएं।

बायें पैर को मोड़कर दायी जांघ से सटाएं। बायां पैर यह इस तरह हो कि एड़ी योनि के अंदर जम जाए।

दायें पैर को मोड़कर पंजे की बायीं पिंडली और जांघ के ऊपर रखें।

2 एक सीध में हो रीढ़ की हड्डी, गर्दन और सिर

पंजे को पिंडली और जांघ के बीच में दबायें।

फिर बायें पैर के पंजे को दायीं पिंडली और जांघ के मध्य में ऊपर की ओर खींचें।

रीढ़ की हड्डी, गर्दन और सिर को एक सीध में रखना चाहिए।

3 सांस लेना और छोड़ना हो सामान्य

हाथों को दोनों घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रखें।

सामान्य रूप से सांस लें और छोड़ें। तेज सांस लेने और छोड़ने की क्रिया बिल्कुल न करें।

4 रिप्रोडक्टिव मसल्स होते हैं प्रभावित

यदि शुरुआत में परेशानी होती है तो नितंब के नीचे गद्​दी रखकर इसका अभ्यास किया जा सकता है।

अगर घुटनों में परेशानी होती है, तो नीचे गद्​दी रखी जा सकती है।

इसका प्रभाव रिप्रोडक्टिव सिस्टम को नियंत्रित करने वाले मसल्स सेंटर्स पर पड़ता है। इससे काम भावना भी नियंत्रित होती है।

बरतें सावधानियां

यदि आपको साइटिका या रीढ़ के निचले हिस्से में किसी प्रकार की प्रॉब्लम है, तो यह आसन न करें।

यदि पीठ या हिप एरिया में किसी प्रकार की सर्जरी हुई है, तो यह आसन न करें।

घुटनों में दर्द, अर्थराइटिस या किसी प्रकार की नी इंजरी हुई है तो यह आसन न करें।

सिद्धयोनि आसन के फायदे

सुखासन, सिद्धासन, सिद्धयोनि आसन, पद्मासन, स्वास्तिकासन, वीरासन, सिहांसन आदि ध्यान के आसनों के अन्तर्गत आता है। इसके माध्यम से शरीर को बिल्कुल शांत किया जाता है।

सिद्धयोनि आसन से काम वासना भी नियंत्रित होती है। फर्टिलिटी में सुधार लाता है।

पाइल्स को कम करता है।

सुखासन भी सेक्स को कंट्रोल करने में सहायता करता है। चित्र: शटरस्टॉक

एक बार यह आसन सीख लिया जाए, तो यह लंबर रीजन और पेट में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है।

यह एकाग्रता बढ़ाने में भी मदद करता है।

कार्डिएक फंक्शन और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है।

नींद न आने की समस्या को कम करता है।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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