प्रेगनेंसी स्टार्ट होने के साथ ही शरीर में कई हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। इनमें से एक है सेक्स की इच्छा और अनिच्छा। प्रेगनेंसी के दौरान कुछ महिलाओं में सेक्स की जबरदस्त इच्छा होती है। जबकि कुछ बढ़ते वजन के कारण सेक्स प्रति असहज हो जाती हैं। हालांकि यह किसी भी जोड़े की आपसी सहमति और इच्छा पर निर्भर करता है कि आप प्रेगनेंसी के दौरान कब तक सेक्स करना चाहते हैं। पर कुछ चीजें हैं जिनका इस दौरान ध्यान रखना बहुत जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान सेक्स करना चाहिए या नहीं (sex during pregnancy safe or not ) इस बात को जानना दोनों के लिए जरूरी है।
कनेडियन मेडिकल जर्नल एसोसिएशन के अनुसार, गर्भावस्था में यौन गतिविधियां होना एकदम स्वभाविक है। इसके बावजूद पहली तिमाही में जहां ज्यादातर जोड़े सेक्स का आनंद लेते हैं, वहीं अंतिम तिमाही तक आते-आते कुछ महिलाओं की इच्छा सेक्स के प्रति घटने लगती है।
हालांकि जैसे-जैसे गर्भावधि बढ़ती है, सेक्सुअल डिजायर घटने लगती है। यौन गतिविधि में कमी के लिए मतली, गर्भपात का डर, भ्रूण को नुकसान पहुंचने का डर, रुचि की कमी, बेचैनी आदि कारण हो सकते हैं। शारीरिक रूप से परेशान रहने, झिल्ली फटने का डर, संक्रमण या थकान का डर भी सेक्स गतिविधियों में कमी ला सकता है। गर्भावस्था आगे बढ़ने पर यौन संतुष्टि में कमी भी आ सकती है। दर्दनाक संभोग में वृद्धि हो सकती है।
कुछ गर्भावस्था जटिल होती है, जिसमें महिला को बेड रेस्ट के लिए भी कहा जाता है।
हालांकि सामान्य हो या जटिल गर्भावस्था, इनके दौरान सेक्स किसी भी स्तर पर बच्चे को नुकसान नहीं पहुंचा सकता है। मजबूत गर्भाशय की मांसपेशियां, एमनियोटिक फ्लूइड और गर्भाशय ग्रीवा के प्लग द्वारा बच्चे को संरक्षण मिलता है।
कनेडियन मेडिकल जर्नल एसोसिएशन की स्टडी के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान योनि सेक्स में सावधानी बरतना जरूरी है। इससे समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ जाता है।
इसलिए डॉक्टर यह परामर्श दे सकते हैं कि गर्भावस्था के दौरान या बाद के चरणों में यौन संभोग से बचा जाये। यह संभव है कि संभोग सुख या यौन पैठ गर्भावस्था के अंत में ब्रेक्सटन हिक्स संकुचन को प्रभावित कर सकता है। ब्रेक्सटन हिक्स हल्के संकुचन हैं, जो कुछ महिलाएं अपनी गर्भावस्था के अंत में अनुभव करती हैं। हालांकि, ये संकुचन श्रम को इंगित या प्रेरित नहीं करते हैं, इसलिए चिंता का कारण नहीं होना चाहिए।
गर्भावस्था के बाद के चरणों के दौरान ऐसे पोज का चयन करना चाहिए, जिससे गर्भवती के पेट पर दबाव न पड़ सके। यदि कोई महिला अपनी पीठ के बल लेटी है, तो बच्चे का वजन उसके आंतरिक अंगों या प्रमुख धमनियों पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है।
यदि गर्भवती महिला पार्टनर के ऊपर हो या अगल-बगल हो या फिर बिस्तर के किनारे बैठी हो। ये सभी स्थिति उसके लिए आरामदायक हो सकती है।
ओरल सेक्स गर्भावस्था के लिए ओरल सेक्स पूरी तरह से सुरक्षित है। हालांकि इस समय गर्भवती महिला कयोनि में हवा जाने से बचना चाहिए। इससे वायु आघात हो सकता है। इससे हवा का एक बुलबुला ब्लड वेसल को अवरुद्ध कर सकता है। एयर एम्बोलिज्म मां और बच्चे दोनों के लिए जानलेवा हो सकता है।
इसमें फेफड़ों से हवा ब्लड वेसल्स में जा सकती है या नाइट्रोजन के बुलबुले रक्त वाहिकाओं में बन सकते हैं। एम्बोलिज्म के कारण स्ट्रोक या दिल का दौरा पड़ सकता है।
एनल सेक्स से गर्भ में पलने वाले बच्चे को कोई नुकसान नहीं होता। पर गर्भवती महिला के कम्फर्ट का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। इस दौरान ज्यादातर महिलाएं कमर के निचले हिस्से में दर्द महसूस करती हैं। साथ ही कुछ महिलाएं गर्भावस्था संबंधी बवासीर की भी शिकार हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में एनल सेक्स असहज हो सकता है। अगर आप योनि सेक्स कर रहे हैं, तो उसके बाद गुदा मैथुन से बचना चाहिए। क्योंकि इससे बैक्टीरिया मलाशय से योनि में फैल सकता है। इससे योनि में संक्रमण हो सकता है।
1 यदि सर्विक्स यानी गर्भाशय ग्रीवा के साथ समस्या है, तो इससे गर्भपात होने की संभावना बढ़ सकती हैं
2 यदि जुड़वा बच्चों के साथ गर्भावस्था हो, तो सेक्स से परहेज करना चाहिए।
3 जहां प्लेसेंटा पूरी तरह से गर्भाशय ग्रीवा के प्रवेश द्वार को कवर करता है।
4 गर्भाशय ग्रीवा समय से पहले खुल जाती है, तो सेक्स से परहेज करें।
5 समय से पहले प्रसव होने की संभावना हो।
6 योनि से अत्यधिक रक्तस्राव हो रहा हो, इसके कारण का पता नहीं चल पाया हो।
7 एमनियोटिक द्रव का रिसाव या पानी टूटने पर संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
इसलिए इस दौरान सेक्स से बचें।
यह भी पढ़ें :- क्या वाकई शादी के बाद कम हो जाते हैं पीरियड क्रैम्प्स? एक्सपर्ट बता रहीं हैं इस दर्द का कारण और बचाव के उपाय