हेल्दी रिप्रोडक्टिव लाइफ के लिए मेंस्ट्रुअल हाइजीन को बनाए रखना ज़रूरी है। इसी के लिए पीरियड्स के दौरान पैड्स का इस्तेमाल किया जाता है। सेंटर फॉर यंग वुमन्स हेल्थ के मुताबिक वॉकिंग, रनिंग और अन्य प्रकार के व्यायाम या एक्टिविटीज़ पीरियड के दौरान रैशिज़ का कारण साबित हो सकती है। जो योनि में इंफेक्शन का कारण भी बन सकता है (how to choose perfect sanitary pads)।
ऐसे में पैड्स को खरीदने के वक्त हमें कई बातों का ख्याल रखना ज़रूरी है। इसका चयन ब्लड फलो के हिसाब से कर सकते हैं। इसके अलावा इसके साईज़ से लेकर फैब्रिक तक हर चीज़ को जांचना और परखना भी ज़रूरी है। जानते हैं कि सैनिटरी पैड खरीदने से पहले रखें किन बातों का ध्यान।
इस बारे में स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं सलाहकार डॉ रितु सेठी बताती हैं कि इस बात का ख्याल रखें कि पैड में कैमिकल्स और ब्लीचिंग एजेंटस न हों। जो वेजाइना के लिए नुकसानदायक साबित हो सकते हैं। इसके अलावा पैड में प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। इससे स्किन पर रैशिज़ और स्वैटिंग की समस्या बनी रहती है। पैड सिथेंटिंक नहीं होने चाहिए। पैड के लिए हमेशा ब्रीथएबल मैटीरियल का प्रयोग करें। साथ ही बॉडी के साइज़ के हिसाब से ही पैड का साइज़ चुनें। इन सब बातों का ख्याल रखकर वेजाइन हेल्थ का ख्याल रखा जा सकता है।
पीरियड की शुरूआत में ब्लड फ्लो काफी हैवी रहता है। इसके हिसाब से हमें साइज़ का चुनाव करना चाहिए। इसके अलावा डे और नाईट को ध्यान में रखकर पैड चुनें। जहां दिन के वक्त 17 सेंमी से 25 सेमी का पैड प्रयोग कर सकते हैं। वहीं नाइट के लिए बड़े साइज़ के पैड का प्रयोग करें, जो हैवी ब्लड डिसचार्ज को पूरी तरह से नियंत्रित कर सके। इससे साइड लीकेज का खतरा नहीं रहता है।
पीरियड्स के लिए कॉटन और प्लास्टिक.नेट से तैयार पैड आसानी से बाजारों में उपलब्ध रहते हैं। आप पीरियडस के लिए उस पैड का चुनाव करें, जो आपके लिए आरामदायक हो। अपनी स्किन के हिसाब से पैड का चयन करें। इस बात को जान लें कि पैड का मेटिरियल पूरी तरह से ब्रीथएबल हो। ताकि आपका शरीर रेडनेस और इंचिंग की समस्या से बचा रहे।
इस बात का ख्याल रखें कि सैनिटरी पैड का चयन करने से पहले इस बात को जान लें कि पैड कम समय में ज्यादा क्वॉंटिटी में ब्लड सोक करने की क्षमता रखने वाला हो। इसके अलावा उठते और बैठते वक्त ब्लड लीक होने की संभावना न रहे। पैड में मौजूद तत्व ब्लड को पूरी तरह से फ्रीज़ कर लें। दस बात की जांच ब्लड के रंग को देखकर की जा सकती है। अगर ब्लड रेड कलर का है, तो ये इस बात को दर्शाता है कि पैड ब्लड को पूर्ण रूप से एब्जॉर्ब कर पा रहा है।
4. स्किन सेंसिटीविटी
आप इस बात का ध्यान रखें कि आपकी त्वचा सख्त है या नर्म। अगर आपकी स्किन सॉफ्ट है और आप इनर थाइज़ पर रैशिज़ का अनुभव करती हैं, तो उसके मुताबिक कॉटन पैडस या मुलायत पैड्स का इस्तेमाल करें। इससे इरिटेशन के खतरे से बचा जा सकता है। आप हाथ से छूकर पैड की सॉफटनेस को जांच सकते है।
अपनी बॉडी साइज़ और ब्लड फ्लो के हिसाब से पैड का चयन करें। इस बात को जान लें कि अगर आपको ब्लड फलो ज्यादा है, जो आपका उसके हिसाब से ही साइज़ और मैटीरियल का चुनाव करना होगा। इसके अलावा पैड को चेंज करना भी ब्लड फ्लो पर ही निर्भर करता है। पहले दिन अगर ब्लीडिंग ज्यादा है, जो उसके मुताबिक पैड का प्रयोग करें। वहीं आखिरी दिन अगर फ्लो कम है, तो एसके मुताबिक पैड यूज़ करें।
दिनभर एक ही पैड पहनने की बजाय दिन में 3 से 4 बार पैड को बदलें। इससे बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा बना रहता है।
रात में सोने से पहले पैड अवश्य चेंज करें। अन्यथा लीकेज का खतरा रहता है।
वेजाइनल हाइजीन को बनाए रखने के लिए पीरियडस के दिनों में योनि को पूरी तरह से साफ रखें।