क्या ड्राइनेस से बचने के लिए योनि पर लगाना चाहिए तेल? जानिए ये सही है या गलत
जाड़े के दिनों में हाथ, पैर, चेहरे और सिर की स्किन भी ड्राई होने लगती है। शरीर के अन्य अंगों की तरह योनि की स्किन भी ड्राई हो जाती है। कुछ एक्सपर्ट बताती हैं कि ड्राईनेस होने पर योनि खुद लुब्रिकेट कर लेती है। इसलिए वेजाइना की स्किन पर आयल अप्लाई नहीं करना चाहिए। वहीं कुछ एक्सपर्ट के अनुसार, वेजाइना की स्किन पर ऑयल अप्लाई करने की सलाह दी जाती है। वेजाइना पर ऑयल अप्लाई (Oil on vagina) करना सही है या नहीं, यह जानने के लिए हमने बात की सीनियर गायनेकोलोजिस्ट एंड पीडियाट्रिक्स डॉ. ईशा शर्मा से।
जाड़े में क्यों पड़ती है तेल की जरूरत (oil on vagina in winter)
डॉ. ईशा कहती हैं, जाड़े के दिनों में गर्म पानी के स्नान या ठंडी हवा का प्रभाव बढ़ने के कारण योनि की स्किन भी सूखने लगती है। दूसरी ओर उम्र बढ़ने और मेनोपॉज में भी योनि में सूखेपन की समस्या हो जाती है। हालांकि योनि की गंध, यीस्ट इन्फेक्शन, बैक्टीरियल वेजिनोसिस और वेजाइनल ड्रायनेस के लिए बाज़ार में कई तरह के तेल उपलब्ध हैं। यहां एक बात हमें अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि हर तरह की समस्या को योनि खुद ठीक करने में समर्थ है। इसलिए कभी-भी तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यदि तेल योनि के अंदरूनी भागों में पहुंच जाता है, तो कई तरह की समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है।
नारियल तेल या जैतून के तेल का योनि पर प्रयोग(coconut oil or olive oil on vagina)
डॉ. ईशा आगे बताती हैं कि समस्या अधिक भी हो सकती है, यानी तेल की जरूरत अधिक महसूस हो सकती है। संभव है कि सेक्स के दौरान योनि में सूखापन के चलते वहां दर्द होता हो। ऐसी स्थिति में बहुत थोड़ी मात्रा में ओलिव आयल या जैतून का तेल या नारियल तेल या फिर एवोकेडो ऑयल लगाया जा सकता है। तेल लगाते समय आपको यह ध्यान देना होगा कि तेल अंदरूनी हिस्से में न जा पाए।
एलर्जी (Allergy) होने की स्थिति में
डॉ. ईशा कहती हैं, ‘वेजाइना बहुत सेंसिटिव पार्ट है। कई बार बाहरी तेल लगाने पर एलर्जी की समस्या हो सकती है। आप वहां नीचे झनझनाहट या किसी अन्य प्रकार की जलन का अनुभव कर सकती हैं। ऐसी स्थिति में तुरंत तेल लगाना छोड़ दें। सबसे अच्छा तरीका यह है कि योनि पर लगाने से पहले किसी अन्य जगह की स्किन पर तेल लगा कर देखें। यह आपकी अंदरूनी जांघ की स्किन हो सकती है। किसी प्रकार की दिक्कत होने पर आप इसे छोड़ सकती हैं।’
तेल योनि संक्रमण (vaginal infection) के जोखिम को बढ़ा सकता है
यदि आप नारियल का तेल योनि पर लगाती हैं, तो यह संक्रमण के जोखिम को बढ़ा भी सकता है। दरअसल नारियल के तेल में हाई पीएच होता है। इसलिए यह क्षारीय (Basic) होता है। वहीं दूसरी ओर, योनि का सामान्य पीएच अम्लीय(Acidic) होता है।
तेल का क्षारीय गुण योनि के प्राकृतिक पीएच संतुलन को बिगाड़ सकता है। पीएच संतुलन बाधित होने पर योनि में संक्रमण की स्थिति भी बन सकती है। यदि योनि में किसी प्रकार की ईचिंग हो रही है, तो कभी-भी तेल का प्रयोग नहीं करें।
क्या करें मेनोपॉज (menopause) से गुजर रही महिलाएं
मेनोपॉज से गुजर रही महिलाओं में योनि का सूखापन आम समस्या है। सेक्स के कारण फैटी टिश्यू का नुकसान हो जाता है। इससे योनि में दर्द भी हो सकता है। चूंकि नारियल तेल में किसी प्रकार का केमिकल नहीं मिला होता है। एंटी इन्फ्लामेट्री और एंटी बैक्टीरियल नारियल तेल दर्द में राहत दिलाता है।
साथ ही यह लुब्रीकेंट का भी काम करता है। इसलिए जिन महिलाओं को एलर्जी और संक्रमण की समस्या नहीं हैं, वे थोड़ी मात्रा में नारियल तेल लगा सकती हैं। हालांकि अपने खानपान में ओमेगा 3 फैटी एसिड वाले खाद्य पदार्थ, जैसे कि अलसी, सी फिश, बादाम, अखरोट, एवोकेडो को शामिल करने से वेजाइनल ड्रायनेस की समस्या कुछ हद तक खत्म हो सकती है।
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