बहुत बार ऐसा होता है, जब महिलाएं किसी न किसी कारण से सोचने लगती हैं कि इस बार पीरियड जल्दी आ जाएं। वे इसके लिए कई प्रकार के घरेलू नुस्खे आज़माने लगती हैं और कुछ सुनी सुनाई टिप्स भी फॉलो करती है। मगर क्या ऐसा संभव है कि पीरियड जल्दी आ पाएं। कुछ लोग व्यायाम तो कुछ लोग पिल्स का सहारा लेते हैं। जानते हैं स्त्री रोग विशेषज्ञ से कि क्या वाकई इन तरीकों को फॉलो करने से पीरियड जल्दी आ सकते हैं। अगर हां तो ये कैसे संभव है और शरीर पर इसका क्या प्रभाव नज़र आता है (how to get period early)।
इस बारे में बातचीत करते हुए स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ अस्वती नायर का कहना है कि पीरियड अर्ली लाने के लिए शरीर में मौजूद नेचुरल हार्मोन साइकल को मॉडिफाई किया जाता है। पीरियड जल्दी लाने के लिए प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन की दवाओं का प्रयोग किया जाता है।
इससे नियमित डेट से पहले पीरियड आ सकते हैं। इसकी मदद से प्राकृतिक हार्मोनल प्रक्रिया को निम्न करके सिंथेटिक हॉर्मोन का स्तर बढ़ने लगता है। ये गोलियां कॉन्ट्रासेप्टिव नहीं होती है। इन्हें साल में 1 से 2 बार लेने का ही सुझाव दिया जाता है। इन गोली को पीरियड साइकल की डेट से कुछ दिन पहले लेने की सलाह दी जाती है।
एक्सपर्ट के अनुसार पीरियड साइकल में बार बार छेड़छाड़ करने से हार्मोनल असंतुलन बढ़ने लगता है। इससे पीरियड क्रैंप्स का बढ़ना, एक्सेसिव ब्लीडिंग और मासिक धर्म की अवधि में उतार चढ़ाव देखने को मिलता है। इसके अलावा वॉमिटिंग, अपच और एसिडिटी का सामना भी करना पड़ता है। साल में 1 से 2 बार ही इस दवा को लेने की सलाह दी जाती है। इसके इस्तेमाल को बंद करने के बाद भी नेचुरल हार्मोन सादकल दोबारा से बिल्ड होती है।
पीरियड साइकल 24 से 38 दिनों के भीतर होती है। मगर कई कारणों से ब्लीडिंग जल्दी भी होने लगती है। शरीर में हार्मोनल बदलाव के कारण पीरियड जल्दी आ सकते है। इसके अलावा पेरिमेनोपॉज़, तनाव, एक्सरसाइज़ और अन्य कारणों से मासिक धर्म जल्दी आरंभ हो सकता है।
महिलाओं का 40 की उम्र के बाद पेरिमेनोपॉज़ से होकर गुज़रना पड़ता है। इस दौरान हार्मोन के स्तर में तेज़ी से उतार.चढ़ाव बढ़ने लगता है। नियमित ओव्यूलेट नहीं हो पाने से इररेगुलर पीरियड्स होने लगते हैं। इसके चलते पीरियड जल्दी और लेट दोनों ही हो सकते हैं।
इमरजैंसी कॉन्टरासेप्टिव पिल्स लेने से सिथेटिंक हार्मोन डेवलप होते हैं। इससे ओव्यूलेशन प्रभावित होता है। लगातार गोलियों का सेवन करने से शरीर में पीरियड साइकल की तय समय सीमा फ्ल्कचुएट होने लगती है। ज्यादा मात्रा में इसका सेवन शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालने लगती है।
वे महिलाएं, जो अक्सर जिम जाती है। उनके वज़न में उतार चए़ाव देखने को मिलता है। इससे हार्मोन में असंतुलन पैदा हो जाता है। इसके चलते पीरियड की डेट में चेंज आने लगता है। दरअसल, डाइटिंग और इटिंग डिसऑर्डर भी पीरियड साइकल के जल्दी या डिले होने का कारण सिद्ध होते हैं।
वे लोग जो शिफ्ट में कार्य करते है, उनके पीरियड साइकल में अक्सर असंतुलन पाया जाता है। शरीर की रिदम बदलने से हार्मोन के स्तर में बदलाव आने लगता है। नींद में सोते वक्त शरीर में रिलीज़ होने वाला मेलाटोनिन हार्मोन डिस्टर्ब हो जाता है। इससे पीरियड साइकल रेगुलर नहीं हो पाती है।
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