माहवारी का कम होना या हल्का आना सामान्य बात हो सकती है। यदि किसी महिला की माहवारी कई महीनों तक हल्की रहती है, तो यह समस्या का संकेत है। उसे स्त्री रोग विशेषज्ञ से यह पता लगाना चाहिए कि इसके पीछे की वजह क्या है? पीरियड या शरीर में हार्मोन के स्तर में कोई समस्या तो नहीं है। ऐसे कई कारण हैं, जिनकी वजह से पीरियड कम/हल्का हो सकता है। यहां तक कि सिर्फ़ स्पॉटिंग ही हो सकती है। इसके पीछे उम्र, शरीर का वजन, इस्तेमाल (low period causes) किए जा रहे गर्भनिरोधक, दवाइयां भी हो सकते हैं।
सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट अपूर्वा गुप्ता बताती हैं, ‘आमतौर पर एक महिला अपने पीरियड के दौरान औसतन 2-3 बड़े चम्मच ब्लड खोती हैं। कुछ के लिए यह थोड़ा ज़्यादा हो सकता है। कुछ में ब्लड की हानि थोड़ी कम हो सकती है। यदि ब्लड नाममात्र के बाहर हो रहे हैं, तो ये लक्षण दिख सकते हैं-
1. पैड या टैम्पोन बदलने की ज़रूरत काफ़ी कम हो सकती है
2. माहवारी पूरे 5 दिनों तक नहीं चल सकती है। यह कम हो सकता है
3. पहले दो दिनों के दौरान हेवी फ्लो की बजाय ब्लड लॉस बहुत कम हो सकता है
4. माहवारी के दौरान सभी 5 दिनों के दौरान स्पॉटिंग जितनी हल्की हो सकती है।
5. पीरियड क्रैम्प भी कम हो सकते हैं
6 पेट और पीठ के निचले हिस्से में दर्द कम होना और मूड में हल्का बदलाव’
सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट अपूर्वा गुप्ता बताती हैं, ‘पीसीओएस (PCOS) और थायरॉयड से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं इसकी वजह हो सकती है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) और थायरॉयड असंतुलन जैसी कुछ स्थितियां भी नियमित मेंस्ट्रुअल पीरियड को बाधित कर सकती हैं। इसके कारण हार्मोन का स्तर असंतुलित हो जाता है। इससे अनियमित माहवारी हो सकती है। यह बहुत हल्का भी हो सकता है। इसके अलावा और भी कारण हो सकते हैं।’
प्यूबर्टी में जब पीरियड्स की शुरुआत होती है, तो कुछ लड़कियों को पीरियड्स बहुत कम हो सकते हैं। पीरियड शुरू होने पर सिर्फ स्पॉटिंग हो सकती है। उम्र बढ़ने के साथ 40 की उम्र तक पीरियड्स सामान्य हो जाते हैं।
जैसे-जैसे वह पेरिमेनोपॉज की तरफ बढ़ती हैं, पीरियड्स अनियमित और हल्के हो जाते हैं। मेनोपॉज़ के समय तक पहुंचने पर पीरियड्स जल्द ही पूरी तरह से बंद हो जाते हैं। ऐसे समय में अन्य लक्षण भी होंगे जैसे कि हॉट फ्लैश, मूड स्विंग, रात में पसीना आना आदि।
पीरियड्स गर्भाशय की परत के निर्माण का परिणाम है जो फर्टिलाइज़ अंडे को धारण करता है। जब अंडा निषेचित नहीं होता है, तो गर्भाशय की परत गिर जाती है। इस अवस्था को ‘माहवारी या पीरियड्स’ कहा जाता है। जब ओव्यूलेशन नियमित नहीं होता है, तो अंडे का निकलना अनियमित हो जाता है। कभी-कभी कोई अंडा निकलता ही नहीं है, जिसे एनोव्यूलेशन कहा जाता है। इसके परिणामस्वरूप अनियमित और कम पीरियड्स हो सकते हैं।
शरीर में किसी भी लक्षण को दिखाने वाली सबसे शक्तिशाली स्थिति तनाव है। चाहे वह व्यक्तिगत संबंध से संबंधित हो या काम से संबंधित। तनाव शरीर पर अलग-अलग रूपों में असर डाल सकता है। तनाव शरीर में हार्मोनल संतुलन को आसानी से बाधित कर सकता है। यह बदले में महिला के पीरियड को बाधित कर सकता है।
गर्भनिरोधक गोलियां लेने से महिला के पीरियड हल्के हो सकते हैं। कुछ कंट्रासेप्टिव पिल्स शरीर को गर्भाशय की आंतरिक परत बनाने से रोकती हैं। नतीजतन, पीरियड के दौरान बहुत हल्का लाइनिंग निकलता है। इसके परिणामस्वरूप कम पीरियड होगा। कुछ जन्म नियंत्रण विधि शरीर में हार्मोन को बदल देती हैं। यह पीरियड को बाधित कर सकती हैं।
यदि वजन कम है और शरीर में बहुत कम वसा है, तो पीरियड हल्के हो सकते हैं। कुछ मामलों में वे पूरी तरह से बंद हो सकते हैं। जैसे-जैसे शरीर में वसा का स्तर कम होता है, नियमित ओव्यूलेशन नहीं हो सकता है। इसी तरह जो महिलाएं बहुत ज़्यादा कसरत करती हैं और ज़्यादा चर्बी घटाती हैं, उनके पीरियड्स हल्के हो सकते हैं।
जब कोई महिला असुरक्षित यौन संबंध के बाद गर्भवती हो जाती है, तो उसे बिल्कुल भी पीरियड्स नहीं हो सकते हैं। कुछ महिलाओं में बहुत हल्के पीरियड्स होते हैं, जो स्पॉटिंग की तरह लग सकते हैं। यदि कोई यौन रूप से सक्रिय है और असुरक्षित सेक्स के बाद सामान्य पीरियड्स नहीं आ रहे हैं, तो उसे गर्भावस्था परीक्षण करवाना चाहिए।
संभव है कि आपने गायनेकोलॉजिस्ट से सलाह ले ली हो और उन्होंने किसी गंभीर कारक को स्कैनटी पीरियड के लिए जिम्मेदार नहीं माना हो। यदि ऐसा है, तो कुछ नैचुरल उपाय आजमा सकती हैं। योग के माध्यम से अपना हेल्दी वजन रखने का प्रयास करें। अदरक और दालचीनी को भोजन में शामिल करें। इन दोनों हर्ब की चाय भी ले सकती हैं।
अदरक का जिंजरॉल और दालचीनी का सिनामेट कंपाउंड ब्लड फ्लो बढ़ा सकते हैं। रोजाना सेब सिरका पी सकती हैं। इसका पॉलीफेनोलिक एसिड पीरियड फ्लो बढ़ा सकता है। अनानास भी खाया जा सकता है। इसके सैपोनिन कंपाउंड पीरियड फ्लो के लिए मददगार हो सकते हैं। साथ ही हेल्दी पीरियड के लिए विटामिन सप्लीमेंट्स भी ले सकती हैं।
यह भी पढ़ें :- Hormone role in period : जानें पीरियड के अलग अलग फेज में कौन कौन सी भूमिका निभाता है हॉर्मोन