आईयूडी (इंट्रा यूटेराइन डिवाइस) जिसे आमतौर पर कॉपर टी, मल्टीलोड, लूप, कॉइल के नाम से भी जाना जाता है, यह अन्य किसी भी कॉन्ट्रासेप्टिव मेथड की तुलना में अधिक प्रभावी होते हैं, परंतु आज भी ज्यादातर महिलाएं इस मेथड को लेकर कंफर्टेबल नहीं हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार यह प्रेगनेंसी को रोकने में 99% इफेक्टिव माना जाता है। मगर यह यौन संक्रमणों के जोखिम को नहीं रोकती है। इसके अलावा कुछ महिलाएं इसकी सेफ्टी और इसके साथ सेक्स को लेकर आशंकित होती हैं। यह क्या है, कैसे काम करती हैं और इसके साथ किस तरह की सावधानियां बरतनी होती हैं, आइए जानते हैं सब कुछ।
कोई भी नई महिला जब इंट्रा यूटेराइन डिवाइस इंसर्ट करवाती हैं, तो उनके मन में कई सारे सवाल होते हैं। खासकर सभी महिलाएं पेनिट्रेटिव वेजाइनल सेक्स को लेकर काफी चिंतित रहती हैं। जैसे कि क्या आईयूडी उनकी सेक्सुअल लाइफ और लिबिडो को प्रभावित कर सकता है? तो आज ऐसी ही कुछ चिंताजनक सवालों पर हेल्थ शॉट्स के साथ आप स्पष्टता प्राप्त कर सकती हैं।
मैत्री वुमन की संस्थापक, सीनियर कंसल्टेंट गायनोकोलॉजिस्ट और ऑब्सटेट्रिशियन डॉक्टर अंजलि कुमार ने आईयूडी से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारी शेयर की है (Sex with IUD)।
आईयूडी और बिना आईयूडी किसी भी तरह आपको चोट नहीं पहुंचाता। यदि आपकी आईयूडी सही जगह पर स्थित है, तो आपको सेक्स के दौरान किसी प्रकार के दर्द नहीं होता।
यदि आप दर्द का अनुभव कर रही हैं, इसका मतलब यह है कि आपकी आईयूडी सर्विक्स या यूट्रस के निचले भाग से खिसक गई है। इसके अलावा यदि आपको अपनी उंगलियों से आईयूडी के धागे का अनुभव नहीं हो रहा है, तो यह स्थिति भी दर्शाती है कि आपकी आईयूडी अपने जगह से खिसक गई है।
जब आईयूडी आपके वेजाइना में नहीं बल्की यूट्रस में इंसर्ट की जाती है, तब आपका पार्टनर इसे महसूस नहीं कर सकता, क्योंकि सर्विक्स इसतक पहुंचने के रास्ते को ब्लॉक कर देती है। आईयूडी में लगा धागा आपके वेजाइनल कैनाल में लटक रहा होता है।
जब आप या आपके पार्टनर वेजाइना के अंदर फिंगर इन्सर्ट करते हैं, तो यह आपको महसूस हो सकता है। परंतु उससे किसी प्रकार का नुकसान नहीं है। सेक्स टॉय का इस्तेमाल, सेक्स और फिंगरिंग जैसी गतिविधियों से आईयूडी बाहर नहीं निकलती।
आईयूडी के साथ सेक्स करने पर खून आना सामान्य नहीं है, परंतु कुछ महिलाओं में यह समस्या देखने को मिलती है। आईयूडी इन्सर्ट करवाने के बाद पहले और दूसरे महीने में सेक्स के बाद हल्का दर्द और खून के 2-4 स्पॉट नजर आ सकते हैं। यह लक्षण 1 से 2 महीने बाद दिखना बंद हो जाते हैं।
यदि आईयूडी लगवाने के लंबे समय बाद तक आप में यह लक्षण देखने को मिल रहे हैं, तो हो सकता है आपकी आईयूडी अपनी जगह से खिसक गई हो। ऐसे में सबसे पहले साफ हाथों से अपने वेजाइना के अंदर उंगली डालकर आईयूडी स्ट्रिंग को ढूंढे, यदि वह न मिले तो फौरन डॉक्टर से मिले और चेकअप करवाएं।
डॉक्टर के अनुसार कुछ महिलाओं में आईयूडी लगवाने के बाद पीरियड्स में बदलाव देखने को मिल सकता है। परंतु आईयूडी लगवाने के 2 से 3 महीने बाद स्थिति खुद-ब-खुद सामान्य हो जाती है। यदि आपने हार्मोनल आईयूडी लगवाई है, तो यह आपके पीरियड फ्लो को कम कर देती है। यदि किसी महिला का पीरियड फ्लो बहुत ज्यादा है, तो आईयूडी उनके लिए मददगार हो सकती है।
आईयूडी के इस्तेमाल से इनफर्टिलिटी की समस्या नहीं होती। अंजली कुमार के अनुसार आईयूडी ओव्यूलेशन को बंद नहीं करती न ही यह ट्यूब को ब्लॉक करती है। आईयूडी और इनफर्टिलिटी का आपस में कोई संबंध नहीं है।
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यदि आप आईयूडी के साथ सेक्स कर रही हैं, तो भी इस बात को हमेशा याद रखें कि यह कॉन्ट्रासेप्टिव मेथड एसटीआई यानी कि सेक्सुअल ट्रांसमिटेड डिजीज से बचाव नहीं करता। गाइनेकोलॉजिस्ट अंजलि कुमार के मुताबिक आईयूडी के बाद भी कंडोम का इस्तेमाल करना एक अच्छा आईडिया हो सकता है।
यदि आप कैजुअल सेक्स करती हैं, या एक से अधिक व्यक्ति के साथ सेक्सुअलि कांटेक्ट में हैं तो आपको आईयूडी के बाद भी कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए, अन्यथा एसटीआई और अन्य तमाम वेजाइनल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
1. यदि आईयूडी के साथ सेक्स करते वक्त हाइजीन के प्रति थोड़ी सी भी लापरवाही कर रही हैं, तो यह आपके लिए गंभीर वेजाइनल इन्फेक्शन का कारण बन सकती है।
2. यदि किसी वजह से आईयूडी अपनी जगह से थोड़ी सी भी हिल गई है, तो इस स्थिति में इरेगुलर ब्लीडिंग या इंटरकोर्स के बाद ब्लीडिंग हो सकती है।
3. आईयूडी यदि अपनी जगह से थोड़ी सी भी आगे पीछे हो जाती है, तो ऐसे में सेक्स के दौरान आपको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
4. कई बार आईयूडी के धागे सेक्स करते वक्त या किसी अन्य कारण से बाहर की ओर खींच सकती है। इसलिए हमेशा एक्सपीरियंस डॉक्टर की निगरानी में ही आईयूडी सेट करवानी चाहिए।
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