क्या सेक्स या शादी करने से बढ़ जाता है मोटापा? एक स्त्री रोग विशेषज्ञ दे रहीं हैं बार-बार पूछे जाने वाले इन सवालों के जवाब

अपने रिश्ते से संतुष्ट हैं और पार्टनर के साथ खुश हैं, तो इस स्थिति में शरीर प्रोलेक्टिन नामक हार्मोन रिलीज करती है, जिसे हम कंफर्ट हार्मोन भी कहते हैं। शरीर में प्रोलेक्टिन की अधिकता वेट गेन को बढ़ावा देती है।
relationship and sex
सेक्स, हेल्दी रिलेशनशिप और वेट गेन हो सकता है। चित्र : एडॉबीस्टॉक
अंजलि कुमारी Published: 9 Aug 2023, 20:00 pm IST
  • 129

सेक्स करने से महिलाओं का वजन बढ़ जाता है (sex and weight gain)! यह अवधारणा सालों से बनी हुई है। वहीं हम अपने आसपास देखते हैं कि शादी के बाद महिलाओं और पुरुषों दोनों का ही वजन बढ़ने लगता है। क्या यह वाकई सच है? या इसके पीछे कुछ और कारण जिम्मेदार हैं? हालांकि हम जानते हैं कि वजन बढ़ने के लिए कभी भी कोई एक कारण जिम्मेदार नहीं होता, बल्कि खानपान, लाइफस्टाइल और वर्कआउट रुटीन भी जिम्मेदार हो सकते हैं। पर सोशल मीडिया पर ये दोनों ही सवाल इतनी बार पूछे गए कि हमने इस बारे में एक स्त्री रोग विशेषज्ञ से बात करना जरूरी समझा।

कुछ शोध हैप्पीनेस को भी मानते हैं मोटापे की वजह

कई ऐसी स्टडी सामने आई है जिसमें बताया गया है कि एक स्वस्थ रिश्ते में आने के बाद वजन बढ़ने की संभावना अधिक होती है। वजन बढ़ने के पीछे सेक्स या स्वस्थ रिश्ता नहीं बल्कि बॉडी में रिलीज होने वाले हार्मोन जिम्मेदार होते हैं। सेक्स, तनाव, हेल्दी रिलेशनशिप यह सभी स्थियां शरीर में कई ऐसे हार्मोन रिलीज करती हैं, जो वेट गेन का कारण बन सकते हैं। तो आज समझेंगे बॉडी में रिलीज होने वाले ऐसे कौन-कौन से ऐसे हार्मोन हैं, जो वेट गेन का कारण बन सकते हैं। साथ ही जानेंगे यह किन स्थितियों में रिलीज होते हैं।

हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर ऑरा क्लिनिक, गुड़गांव की डायरेक्टर एवं क्लाउड नाइन हॉस्पिटल, गुड़गांव की सीनियर कंसल्टेंट डॉ रितु सेठी से बात की। उन्होंने हेल्दी रिलेशनशिप और अन्य स्थितियों में रिलीज होने वाले हॉर्मोन्स और वेट गेन के संबंध में कुछ विशेष बातें बताईं। तो चलिए जानते हैं आखिर किस तरह हॉर्मोन्स बन सकते हैं वेट गेन का कारण।

sex life ko healthy banate hai yeh tips
ओवरऑल लाइफ की क्वालिटी को निखारने के लिए सेक्स बेहद ज़रूरी है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

शोध ‘हैप्पी मैरिड लाइफ’ को भी मानते हैं मोटापे का कारण

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा किए गए एक रिसर्च के अनुसार न्यूली वेड्स कपल में अक्सर वेट गेन देखने को मिलता है। इसका कारण है उनका हेल्दी रिलेशनशिप और उनकी हेल्दी मेंटल कंडीशन। रिसर्च के अनुसार हैप्पिली मैरिड कपल को किसी अनहैप्पी कपल और सिंगल व्यक्ति की तुलना में अधिक भूख लगती है। इस वजह से उनका कैलरी इंटेक बढ़ जाता है और वह संभावित रूप से अधिक वेट गेन कर सकते हैं।

हालांकि, बात मैरिज कि नहीं है, यदि कोई व्यक्ति अपने पार्टनर के साथ लिविंग रिलेशनशिप में है और एक शादीशुदा कपल्स की तरह जिंदगी जी रहा है, तो उनमें भी वेट गेन की संभावना अधिक होती है। यह पूरी तरह से सेटिस्फाइड और खुश होने पर शरीर में रिलीज होने वाले हॉर्मोन्स पर निर्भर करता है।

सेक्स, हेल्दी रिलेशनशिप और वेट गेन के बारे में क्या कहती हैं एक्सपर्ट (sex and weight gain)

डॉ रितु सेठी कहती हैं “सेक्स करने से वजन पढ़ने जैसी अवधारणाएं पूरी तरह से गलत हैं। हालांकि, एक हेल्दी रिलेशनशिप वेट गेन का कारण बन सकती है क्योंकि इस दौरान शरीर में कई सारे केमिकल बदलाव होते हैं जो वेट गेन को बढ़ावा देते हैं।” उन्होंने कहा कि “यदि आप अपने रिश्ते से संतुष्ट हैं और पार्टनर के साथ खुश हैं, तो इस स्थिति में शरीर प्रोलेक्टिन नामक हार्मोन रिलीज करती है, जिसे हम कंफर्ट हार्मोन भी कहते हैं। शरीर में प्रोलेक्टिन की अधिकता वेट गेन को बढ़ावा देती है।”

estrogen badhaane ke upaay
एस्ट्रोजन लेवल को कुछ उपाय अपनाकर संतुलित रखा जा सकता है | चित्र : शटरस्टॉक

मोटापा बढ़ाने में योगदान करते हैं ये 5 हॉर्मोन

1. एस्ट्रोजन

एस्ट्रोजन का हाई और लो लेवल दोनों ही वेट गेन का कारण बन सकता है। ओवेरियन सेल्स द्वारा और एस्ट्रोजन युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से एस्ट्रोजन का ओवरप्रोडक्शन हो सकता है, जिसकी वजह से शरीर में एस्ट्रोजन अस्तर काफी बढ़ जाता है।

एक स्वस्थ शरीर उचित मात्रा में इंसुलिन प्रोड्यूस करती है जिससे कि ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखा जा सके, ऐसे में जब एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ता है, तो सेल्स पर अधिक इंसुलिन प्रोड्यूस करने के लिए दबाव बनाया जाता है। जो शरीर को इन्सुलिन रेजिस्टेंस बना देती है और खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। ऐसे में फैट स्टोर हो सकता है और यह स्थिति वेट गेन का कारण बन सकती है।

वहीं अमूमन बढ़ती उम्र के साथ शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर कम होने लगता है, जिसकी वजह से शरीर को फैटी सेल्स की मदद से अधिक एस्ट्रोजन प्रोड्यूस करना पड़ता है, जिससे शरीर में मौजूद ऊर्जा फैट में कन्वर्ट हो ग्लूकोस लेवल को सामान्य रखने की कोशिश करती है। इस स्थिति के कारण वेट गेन का सामना करना पड़ सकता है।

ऐसे में शराब का सेवन सीमित रखें और नियमित रूप से वर्कआउट करने के साथ ताजे फल और सब्जियों का सेवन करने से एस्ट्रोजन के स्तर को मेंटेन रखने में मदद मिलेगी।

2. थायराइड हार्मोन

थायराइड ग्रंथि गार्डन के बेस में मौजूद होता है। यह T3, t4 और कैलसिटोनिन को प्रोड्यूस करता है, जो बॉडी मेटाबॉलिज्म को मेंटेन रखते हैं। यदि इन हॉर्मोन्स का प्रोडक्शन कम होता है, तो इस स्थिति को हाइपोथाइरॉएडिज्म कहते हैं, यह वेट गेन का एक बहुत बड़ा कारण है।

इस स्थिति को कंट्रोल करने के लिए आयोडाइज्ड सॉल्ट का सेवन करें साथ-साथ विटामिन डी और जिंक की पर्याप्त मात्रा लें। वहीं खुद को शारीरिक रूप से सक्रिय रखना भी बेहद महत्वपूर्ण है।

यह भी पढ़ें : चिड़चिड़ापन महसूस होता रहता है, तो इन 8 मूड बूस्टिंग फूड्स को करें ट्राई, एक्सपर्ट बता रहीं हैं इनके फायदे

3. इंसुलिन

पेनक्रियाज इंसुलिन प्रोड्यूस करते हैं, जो ग्लूकोज को बॉडी सेल्स तक पहुंचाने का काम करते हैं। ब्लड ब्लड ग्लूकोस लेवल को मेंटेन रखने के साथ बॉडी इंसुलिन को एनर्जी की तरह इस्तेमाल करती है या शरीर में फैट की तरह स्टोर कर लेती है। वहीं जब इन्सुलिन प्रोडक्शन में उतार-चढ़ाव आता है, तो बॉडी इंसुलिन रजिस्ट्रेंट हो जाती है, जिससे ग्लूकोज की कुछ मात्रा ब्लड स्ट्रीम में रह जाती है। यह स्थिति में ब्लड शुगर लेवल के बढ़ते स्तर का कारण बनती है, जिसके कारण वेट गेन की समस्या हो सकती है।

इस स्थिति को अवॉइड करने के लिए सीजनल फल और सब्जियों का सेवन करें। साथ ही साथ फ्लैक्सीड, नट्स आदि लेना भी जरूरी है। लेट नाइट सनैकिंग से बचें और अल्कोहल से परहेज करें।

cancer
ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन की एलोपैथ दवाओं के साथ ली जा सकती है होम्योपैथ दवा। चित्र शटरस्टॉक।

4. टेस्टोस्टेरॉन

टेस्टोस्टेरॉन को आमतौर पर मेल हार्मोन के नाम से जाना जाता है, परंतु महिलाओं के शरीर में भी यह हार्मोन प्रोड्यूस होता है। टेस्टोस्टेरॉन लिबिडो मेंटेन करने में मदद करता है और फैट बर्न करने के साथ ही हड्डी एवं मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है। विभिन्न प्रकार के लाइफस्टाइल फैक्टर जैसे की उम्र, तनाव, आदि की वजह से टेस्टोस्टेरॉन के स्तर में कमी देखने को मिल सकती है। वहीं इस वजह से आप ओबेसिटी की शिकार हो सकती हैं।

इस स्थिति को अवॉइड करने के लिए नियमित रूप से वर्कआउट करें और शराब के सेवन को जितना हो सके उतना सीमित रखें। साथ ही साथ फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन बेहद महत्वपूर्ण है।

5. कॉर्टिसोल (स्ट्रेस हॉर्मोन)

कॉर्टिसोल फैट और कार्बोहाइड्रेट मेटाबॉलिज्म को स्टिम्युलेट करते हुए शरीर को पर्याप्त ऊर्जा प्रदान करता है। हालांकि, यह शरीर के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह भूख को बढ़ता है। जैसे ही तनाव की स्थिति में कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ना शुरू होता है, वैसे ही अनावश्यक चीजों के प्रति जैसे कि मीठा, फैटी और साल्टी फूड्स की क्रेविंग्स बढ़ती है। यह स्थिति बॉडी फैट का कारण बन सकती है।

यह भी पढ़ें : आपकी सेहत का हाल बताते हैं आपके नाखून, एक्सपर्ट बता रही हैं नाखून और सेहत का कनेक्शन

  • 129
लेखक के बारे में

इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं। ...और पढ़ें

पीरियड ट्रैकर

अपनी माहवारी को ट्रैक करें हेल्थशॉट्स, पीरियड ट्रैकर
के साथ।

ट्रैक करें
अगला लेख