डायबिटीज शरीर के कई अंगों को प्रभावित करती है। इसके कारण कई स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं। इनमें से एक है फर्टिलिटी को प्रभावित करना। यदि आप डायबिटिक हैं, तो आपको प्रेगनेंसी से पहले ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करना होगा। डायबिटीज सेक्सुअल एबिलिटी को भी प्रभावित कर देता है। वर्ल्ड डायबिटीज डे पर सुरक्षित प्रेगनेंसी के लिए अपना ब्लड शुगर लेवल(diabetes affect pregnancy) जरूर नियंत्रित रखें।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि 2019 में दुनिया भर में 1.5 मिलियन से अधिक लोगों ने मधुमेह के कारण अपनी जान गंवाई। वर्तमान में दुनिया में 537 मिलियन मधुमेह रोगी हैं। सबसे पहले यहां हम यह जानें कि मधुमेह का प्रजनन क्षमता पर क्या प्रभाव पड़ता है और इससे कैसे बचा जा सकता है।
शरीर में जब असामान्य रूप से इंसुलिन का स्तर बढ़ जाता है, तो हमें मधुमेह हो जाता है। पैंक्रियास इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन करता है, जो शरीर के ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है। जैसे ही आप कुछ खाती हैं, आपका ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। इसे मैनेज करने के लिए शरीर का इंसुलिन रिलीज होता है। मधुमेह तब होता है, जब पैंक्रियाज या तो पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता है या शरीर उस तरह से इंसुलिन का उपयोग करने में असमर्थ होता है जिस तरह से उसे करना चाहिए।
ब्लड शुगर लेवल जब कंट्रोल नहीं हो पाता है, तो यह मेल फर्टिलिटी को भी प्रभावित कर देता है। यदि ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल नहीं किया जाए, तो हाई शुगर स्थिति को और खराब बना सकता है। अध्ययन के अनुसार, जिन पुरुषों को मधुमेह नहीं है, उनमें मधुमेह और इन फर्टिलिटी से प्रभावित लोगों की तुलना में स्पर्म लेवल 25 प्रतिशत से अधिक होता है। डायबिटिक मेल के स्पर्म में डीएनए की क्षति की संभावना भी अधिक होती है। इस तरह से मेल फर्टिलिटी को प्रभावित कर देता है डायबिटीज। अजन्मे बच्चों में जन्मजात विकृतियों और गर्भपात के लिए भी एक बड़ा खतरा पैदा कर देता है डायबिटीज।
जब महिलाओं की बात आती है, तो मधुमेह गर्भावस्था की प्रक्रिया को पूरी तरह से कठिन बना सकता है। यह शरीर में ग्लूकोज के सही तरीके से मैनेज नहीं हो पाने का कारण बनता है। यह एग को गर्भाशय में प्रत्यारोपित करने में बहुत सारी मुश्किलें पैदा कर देता है। इसके अलावा, डायबिटीज पीसीओएस (polycystic ovarian syndrome) का कारक भी बन सकता है। इसके कारण अंडाशय में बड़ी संख्या में सिस्ट विकसित हो सकते हैं। यह मेंस्ट्रूअल पीरियड, इसकी अनियमितता और शरीर से प्रोड्यूस हुए टेस्टोस्टेरोन की मात्रा को भी प्रभावित करता है। ये सभी गर्भाधान दर को कम करते हैं।
डायबिटीज के कारण महिलाओं में जल्दी मेनोपॉज भी हो जाता है। इससे भी उनकी प्रजनन क्षमता कम हो जाती है। हाई ब्लड शुगर के कारण बच्चे को जन्मजात बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है। शुगर के कारण मां और बच्चे दोनों को नुकसान पहुंचने की संभावना अधिक रहती है।
ब्लड शुगर लेवल पर नज़र रखना सबसे अधिक जरूरी है। वास्तव में, सेक्सुअल ओर्गंस में ब्लड फ्लो को बेहतर बनाने के लिए कुछ दवाएं उपलब्ध हैं। यदि आप और आपके पार्टनर, दोनों मोटापे के शिकार हैं, तो अपना वजन कम करने और ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए अपनी लाइफस्टाइल में बाद्लाव लाना चाहिए।
यदि आप चाहती हैं कि आपका बच्चा स्वस्थ हो, तो गर्भावस्था के तीन महीने पूरे होने से पहले ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करना शुरू कर देना चाहिए। इसके अलावा, खानपान पर ध्यान, फिजिकल एक्टिविटी और एक्सरसाइज सबसे अधिक जरूरी है।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि मधुमेह का पुरुषों और महिलाओं दोनों की फर्टिलिटी पर असर पड़ता है। इसलिए, मधुमेह दिवस पर सुरक्षित गर्भावस्था की योजना बनाने के लिए किसी फर्टिलिटी विशेषज्ञ से मिलें। अपने ग्लूकोज़ के स्तर की नियमित जांच करवाएं। ऐसी दवाएं लें जो इसे नियंत्रित करने में आपकी मदद कर सकें। इसके अलावा, स्वस्थ गर्भावस्था के लिए जीवनशैली में कुछ बदलावों को शामिल करना बेहद जरूरी है।
डायबिटीज को अपनी गर्भावस्था में बाधा न बनने दें। इसके स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में अवश्य जानकारी प्राप्त करें। उन्हें रोकने की दिशा में काम करें। सही खानपान और आदर्श वजन बनाए रखें, ताकि प्रेग्नेंसी सुरक्षित हो।
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