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रहना चाहती हैं 40 में फिट और 60 में स्ट्रॉन्ग, तो अभी से शुरू करें तैयारी

यदि आपको 40 में फिट रहना है और 60 में स्ट्रॉन्ग वुमन बनना है, तो इसकी तैयारी अभी से करनी होगी। 4 टिप्स की मदद से आप न सिर्फ स्वस्थ रह सकती हैं, बल्कि दिनभर एनर्जेटिक और खुश भी रहेंगी।
मिडल एज वुमन को अपना खास ख़याल रखना चाहिए, चित्र: शटरस्‍टॉक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Updated: 29 Oct 2023, 20:23 pm IST
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जब महिलाएं 40 और फिर 50 साल की होने वाली होती हैं, तो उन्हें कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। टीनेजर बच्चों की देखभाल उनमें से एक है। यदि वह कामकाजी महिला है, तो उसे दोहरी जिम्मेदारी निभानी पड़ती है। ज्यादातर मामलों में उसे न सिर्फ घर पर बुजुर्ग माता-पिता या बुजुर्ग सास-ससुर की देखभाल करनी पड़ती है, बल्कि ऑफिस भी संभालना पड़ता है। यदि वह पेरिमेनोपॉज़ के दौर से गुजर रही है, तो उसे सामाजिक, शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है। मिडल एज वुमन को इन सभी जिम्मेदारियों को पूरा करते हुए सबसे पहले अपने स्वास्थ्य (Tips to stay healthy at 40) का ध्यान रखना है।

पेरिमेनोपॉज़ का फेज मेनोपॉज शुरू होने के 2-3 साल पहले शुरू हो जाता है। मेनोपॉज में लगातार 1 वर्ष तक पीरियड नहीं होता है।

पेरिमेनोपॉज़ के लक्षण कुछ इस तरह के हो सकते हैं:

अत्यधिक गर्मी लगना, ठंड में भी पसीना आना

मूड स्विंग होना, जिसमें कि चिड़चिड़ापन, रोना, इमोशनल फीलिंग, अकेलापन महसूस करना भी शामिल हो सकता है

स्किन की ड्रायनेस, रिंकल्स, खुजली, बालों का झड़ना

मेमोरी लॉस

सेक्सुअल प्रॉब्लम्स जैसे कि योनि का सूखापन, सेक्स की इच्छा में कमी, योनि का ढीला होना

यूरिनरी लीकेज, बार-बार यूरीन आना

 पेट के आसपास फैट जमा होना, वजन बढ़ना

एक्सरसाइज और लाइफस्टाइल में बदलाव बनाएगा हैप्पी और हेल्दी

थायराइड की समस्या, हाई ब्लडप्रेशर, डायबिटीज, हाई कॉलेस्ट्रॉल, बोंस का कमजोर होना, डिप्रेशन आदि की भी समस्या हो सकती है। 

उम्र के 40 वें साल या उसके बाद यानी मिड्ल एज वुमन को सबसे अधिक अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना चाहिए। इसके लिए वे 4 टिप्स को फॉलो कर सकती हैं।

1 जरूरी है लाइफस्टाइल में बदलाव

इस एज ग्रुप वाली महिलाओं को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे क्या खाती हैं? इस उम्र में जरूरी सप्लीमेंट महत्वपूर्ण हैं।

उदाहरण के लिए डेयरी प्रोडक्ट, बाजरा आदि का सेवन जरूर करना चाहिए, ताकि कैल्शियम उनकी हड्डियों को मजबूत बनाये रखे। सोयाबीन और डेरिवेटिव न्यूट्रीशन लेने के साथ-साथ प्राकृतिक एस्ट्रोजन भी जरूरी है। उनके आहार में भरपूर फाइबर शामिल होना चाहिए, ताकि आंत स्वस्थ रहे और वे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर से बची रहें। उम्र के साथ प्रोटीन की जरूरत भी बदल जाती है।

मिडल एज वुमन को प्रति सप्ताह लगभग 120-150 मिनट एक्सरसाइज करना चाहिए। इसमें मध्यम गति का एरोबिक एक्सरसाइज, बॉडी बैलेंस से संबंधित एक्सरसाइज और शरीर को मजबूती देने वाले एक्सरसाइज भी हो सकते हैं। एरोबिक व्यायाम कम से कम 30 मिनट तक करना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण है 7-8 घंटे की अच्छी नींद।

यह शरीर और दिमाग को एनर्जी से भर देता है। सोने से कम से कम दो घंटे पहले स्क्रीन देखना छोड़ दें। देर रात तक टीवी या मोबाइल स्क्रीन देखने से आपकी नींद प्रभावित हो जाती है। अपनी रुचि के काम जरूर करें। इससे मन प्रसन्न और संतुष्ट होता है। फील-गुड हार्मोन एंडोर्फिन मेंटल हेल्थ को सही रखता है।

2 नियमित रूप से हेल्थ चेक अप

महिलाओं के लिए नियमित हेल्थ चेकअप जरूरी है। इससे कई तरह के नन-कम्यूनिकेबल डिजीज का पता चल पाता है।

डायबिटीज साइलेंट किलर माना जाता है। इसलिए हर साल ब्लड शूगर लेवल की जांच जरूर कराएं।

ब्लड प्रेशर की भी नियमित जांच कराएं, ताकि हाई ब्लड प्रेशर से शरीर को होने वाले नुकसान से बची रहें।

इस उम्र में थायराइड संबंधी समस्या होने की संभावना रहती है। इसलिए थायरायड टेस्ट भी जरूर कराएं।

कमजोर हड्डियों की जांच के लिए बोन मिनरल डेंसिटोमेट्री या बीएमडी चेक अप कराएं।

ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए क्लिनिकल ब्रेस्ट एग्जामिनेशन, मैमोग्राम और अल्ट्रासाउंड भी समय-समय पर कराती रहें।

अपनी डाइट के साथ रेगुलर हेल्थ चेकअप्स के साथ ज़िन्दगी का हर पल जिएं

पैप स्मीयर या सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग टेस्ट से प्राइमरी स्टेज पर ही वुंब नेक के कैंसर की पहचान की जा सकती है।

हीमोग्लोबिन, विटामिन डी और बी12 टेस्ट भी कराना चाहिए, ताकि इनकी कमी का पता चल सके और इनकी कमी पूरी की जा सके।

बॉडी मास इंडेक्स बताएगा कि वेट लॉस करना जरूरी है या नहीं ।

3 दवाओं की डोज

इस उम्र में ब्लड टेस्ट के माध्यम से जाना जा सकता है कि शरीर को जरूरी सप्लीमेंट दिया जाए या नहीं। कैल्शियम और विटामिन डी सप्लीमेंट हड्डियों को मजबूत रखने में मदद करते हैं। मल्टीविटामिन भी जरूरी हैं।

4 मेंटल हेल्थ

आपके लाइफ पार्टनर या आपके पति को आपके शरीर में पैदा होने वाली समस्याओं से अवगत होना चाहिए, ताकि वह समयानुसार आपकी हेल्प कर सकें। इस समय मूड स्विंग करने से महिलाएं बेहद अकेला महसूस करती हैं। भावनात्मक स्तर पर वे स्वयं को अस्थिर पाती हैं। वे किसी भी चीज काे उतना एंजॉय नहीं कर पाती हैं, जितना पहले कर पाती थीं।

यदि कोई भी महिला इस तरह की समस्या का सामना कर रही है, तो परिवार वालों को सतर्क होने की जरूरत है। उसे काउंसिलिंग, साइकिएट्रिक इनपुट और दवाओं की जरूरत है। इसमें देर नहीं करनी चाहिए। परिवार के सदस्यों को अच्छी तरह उनकी देखभाल करनी चाहिए। स्वयं की देखभाल करना तो मेंटल हेल्थ को अच्छा रखने की पहली शर्त है।

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टीम हेल्‍थ शॉट्स

ये हेल्‍थ शॉट्स के विविध लेखकों का समूह हैं, जो आपकी सेहत, सौंदर्य और तंदुरुस्ती के लिए हर बार कुछ खास लेकर आते हैं। ...और पढ़ें

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