प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में बहुत से परिवर्तन आने लगते हैं। हर महिला गर्भावस्था के दौरान अलग अलग अनुभवों से होकर गुज़रती हैं। मगर आमतौर पर महिलाओं को मॉर्निग सिकनेस, एसिडिटी, पैरों में सूजन और इची बैली की समस्या का सामना करना पड़ता है। पेट पर बार बार होने वाली खुजली गर्भवती महिलाओं के लिए चिंता का कारण बनने लगती है। जानते हैं गर्भावस्था के दौरान पेट पर होने वाली खुजली (Itchy belly during pregnancy) का कारण और उससे बचने की टिप्स भी।
इस बारे में बातचीत करते हुए डॉ शिवानी सिंह बताती हैं कि गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई हार्मोनल बदलाव नज़र आने लगते हैं। इससे प्रेगनेंसी के हर ट्रायमेस्टर के साथ ये समस्या भी बढ़ने लगती है। दरअसल बेली ग्रोथ (belly growth) के साथ हल्की फुल्की इचिंग बनी रहती है। जैसे जैसे स्किन एक्सपैड होने लगती है, त्वचा में मॉइश्चर की कमी बढ़ने लगती है। गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में बढ़ोतरी होने लगती है। इससे त्वचा की प्राकृतिक नमी असंतुलित होने लगती है। इससे पेट पर इचिंग बढ़ जाती है।
एनएचएस के अनुसार हर 100 में से 2 महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान इचिंग का सामना करना पड़ता है। बैली इचिंग की समस्या तीसरी तिमाही (third trimester) में बढ़ने लगती है। लगातार होने वाली इचिंग लिवर की समस्या का संकेत देती है। इसके चलते कुछ महिलाओं को गर्भावस्था में इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस का सामना करना पड़ता है। इस समसया से ग्रस्त महिलाओं को पेट के अलावा हाथों और पैरों में भी खुजली की समस्या का सामना करना पड़ता है।
लगातार बढ़ने वाली इचिंग की समस्या को कम करने के लिए रेगुलर मॉइश्चराइजिंग आवश्यक है। इसके लिए फ्रेगरेंस फ्री लोश, ग्लिसरीन, एलोवेरा जेल और शीया का प्रयोग कर सकते हैं। इससे स्किन हाइड्रेटिंग रहती है। इसके अलावा स्किन स्ट्रैचिंग के दौरान खुजली का सामना नहीं करना पड़ता है।
मॉइश्चराइजिंग गुणों से भरपूर ओट्स के पाउडर को पानी में मिलाकर नहान से स्किन ड्राईनेस कम होने लगती है। इसके अलावा नकाने के दौरान अत्यधिक गर्म पानी के इस्तेमाल से भी बचें। सप्ताह में दो बार ओटमील बाथ से त्वचा में होने वाली खुजली से राहत मिलती है।
एलर्जी से बचने के लिए कमरे की वेंटिलेशन को बनाए रखें। इसके अलावा ह्यूमिडीफायर का प्रयोग करें। इससे हवा में मौजूद पॉल्यूटेंटस की समस्या हल हो जाती है और इचिंग से राहत मिलने लगती है। इसके इस्तेमाल से हवा में मौजूद ड्राईनेस कम हो जाती है।
स्किन को मुलायम और हेल्दी बनाए रखने के लिए विटामिन ई ऑयल (Vitamin E oil) का प्रयोग करें। इसमें पाई जाने वाली एंटी एलर्जिक प्रॉपर्टीज़ पेट पर बार बार होने वाली खुजली की समस्या हल कर देती है। इसकी थिन लेयर को पेट पर दिन में दो बार अप्लाई करें।
बार बार होने वाली खुजली की समस्या को कोल्ड कंप्रैस (cold compress) की मदद से दूर किया जा सकता है। कोल्ड कंप्रैंस से 1 से 2 मिनट तक मसाज करने से आराम मिलने लगता है। इससे स्किन पर होने वाले रैशेज को भी दूर किया जा सकता है। इसके अलावा बर्फ को कपड़े में लपेटकर पेट पर मसाज कर सकते हैं।
वॉटर इनटेक बढ़ाने से शरीर में एलर्जी और किसी भी प्रकार के संक्रमण के पनपने का खतरा कम हो जाता है। पानी की नियमित मात्रा से शरीर में मौजूद टॉक्सिक पदार्थों को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है। इससे शरीर में ऑक्सीजन का उचित प्रवाह बना रहता है। साथ ही आवश्यक मिनरल्स की मात्रा बनी रहती है। प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में वॉटर लेवल को मेंटेन रखने के लिए भी पानी पीने की सलाह दी जाती है।