फैमिली प्लानिंग के बारे में सोचना अब पहले से ज्यादा आसान हुआ है। बदलते सोशल और इकनॉमिकल स्टेटस ने महिलाओं को अब इसके प्रति और भी ज्यादा संजीदा बना दिया है। वे पहले से ज्यादा जागरुक और निडर हुई हैं। इसके बावजूद ज्यादातर महिलाओं को कभी न कभी अनप्लान्ड प्रेगनेंसी यानी अनियोजित गर्भ की स्थिति का सामना करना पड़ता है। अचानक हुई यह घटना उन्हें गहरे तनाव में डाल देती है। जिसका असर उनकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर तो पड़ता ही है, रिलेशनशिप में भी ब्लेम गेम शुरू हो जाती है। ऐसे में जरूरी है बिना पैनिक हुए स्थिति को ठीक से डील किया जाए। कैसे? यह बताने के लिए हमारे साथ आज एक एक्सपर्ट हैं (how to deal with an unplanned pregnancy)।
ये महिलाओं के लिए एक ऐसी चुनौतीपूण स्थिति होती है, जिसमें गर्भावस्था की उम्मीद नहीं होती है। गर्भ निरोधक का उचित प्रयोग न करने पाने से इस समस्या का सामना करना पड़ता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार अनचाही प्रेगनेंसी से मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। मां अगर गर्भावस्था प्लानिंग का हिस्सा नहीं होती है, तो महिलाएं अपने स्वास्थ्य को लेकर सचेत नहीं रहती हैं। इससे मां की देखभाल उचित प्रकार से नहीं हो पाती है और उसका असर बच्चे के स्वास्थ्य पर भी दिखने लगता है।
सेंटर फॉर डिज़ीज कन्ट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार साल 2008 में 50 फीसदी अनवॉटेंड प्रेगनेंसी के मामले सामने आए। वहीं साल 2011 तक कुल प्रतिशत 45 फीसदी तक कम हुई थी, मगर अनचाही टीन प्रेगनेंसी की दर 75 फीसदी तक बनी हुई है। बायोमेड की रिपोर्टस के अनुसार वे लोग जिनकी प्रेगनेंसी अनचाही थी, उन्हें प्लांड प्रेगनेंसी की तुलना में दोहरे पोस्टपार्टम डिप्रेशन से होकर गुज़रना पड़ता है।
संभोग के दौरान बरती गई अनयिमितताएं अनचाहे गर्भ का कारण बनने लगती हैं। अनवॉटेड प्रेगनेंसी के बारे में जानकार महिलाओं के मन में कई प्रकार के सवाल उठने लगते हैं। महिलाओं का ध्यान प्रेगनेंसी को कैरी करने से लेकर एबॉर्शन करवाने तक कई विकल्पों पर जाकर ठहरने लगता है। दरअसल, अधिकतर लोग शादी के कुछ महीनों के भीतर या फिर कुछ कपल्स दो बच्चों के मध्य गैप मेंटेन करना चाहते हैं। इसके चलते अचानक प्रेगनेंसी का पता लगने से वे परेशान हो जाते हैं। अनचाही प्रेगनेंसी के संकट से निकलने के लिए किन टिप्स को अपनाएं।
गर्भपात के बारे में सोचने से पहले डॉक्टरी जांच करवाएं। घर पर प्रेगनेंसी कंफर्म करने के बाद डॉक्टर के पास जाएं। दरअसल, डॉक्टरी जांच के दौरान यूरिन की जांच करवाई जाती है। इसके माध्यम से इस बात की जानकारी मिल पाती है कि प्रेगनेंसी में प्रोडयूस होने वाला हार्मोन यूरिन में पाया जा रहा है। इसके अलावा ब्लड टेस्ट भी करवाया जाता है।
किसी भी निष्कर्ष तक पहुंचने से पहले पार्टनर से बात करें और सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर अपनी मर्जी ज़ाहिर करें। इससे रिलेशनशिप हेल्दी बना रहता है और ब्लेमगेम से भी मुक्ति मिल जाती है। अपना पक्ष रखने के साथ अपने साथी के विचार भी जानें और आपसी सहमति से कोई भी फैसला लें।
किसी भी कदम को उठाने से पहले डॉक्टर से अवश्य सलाह लें। इससे किसी भी डिसीज़न पर पहुंचना आसान हो जाता है। उम्र, हार्मोनल बदलाव और फर्टिलिटी के हिसाब से स्त्री रोग विशेषज्ञ कपल्स को उचित जानकारी प्रदान करती हैं।
अनचाही प्रेगनेंसी को टर्मिनेट करने के लिए अबॉर्शन का सहारा ले सकते हैं। दरअसल, ओवयूलेशन पीरियड के चलते यौन संबध स्थापित करने से गर्भवती होने के चांस बढ़ जाते हैं। गर्भपात के लिए दो तरीके अपनाए जाते हैं मेडिकल अवॉर्शन, जिसे दवाओं की मदद से किया जाता है और सर्जिकल अबॉर्शन वो है जिसके लिए डाइलेशन और एवेक्युलेशन यानि डी एंड ई प्रक्रिया को अपनाया जाता है। आमतौर पर प्रेगनेंसी के 12 सप्ताह के भीतर अवॉर्शन की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है।
अचानक प्रेगनेंसी की खबर पाकर परेशान हो जाने या एबार्शन के बारे में सोचने से पहले खुद को इमोश्नली मज़बूत बनाएं। डिप्रेशन, एंग्ज़ाइटी और सयुसाइड से बचने के लिए अपने पार्टनर से बातचीत करें और मज़बूती से आगे बढ़ें। अचानक मिलने वाली खबर मेंटल हेल्थ को प्रभावित कर देती है। ऐसे में उन लोगों से बातचीत करें, जो आपके करीब है, जिससे आप किसी सही निष्कर्ष पर आसानी से पहुंच सकते हैं। इसके अलावा अपने पार्टनर के साथ बैठकर भी अनचाही प्रेगनेंसी पर विचार करें।
इस बारे में बातचीत करते हुए गॉयनेकॉलाजिस्ट, डॉ पूजा संतोडे का कहना है कि अनचाही प्रेगनेंसी का पता लगने पर संयम बनाए रखें और अनावश्यक तनाव से खुद को बचाएं। दरअसल, तनाव बढ़ने से आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकता है। इसके अलावा डॉक्टर को अपनी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानकारी भी दें। डॉक्टर के परामर्श के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचें।
एक्सपर्ट के अनुसार अधिकतर महिलाएं मदरहुड से जुड़ी सामाजिक अपेक्षाओं को खुद पर हावी होने देती हैं। इससे तनाव बढ़ता है, जो अक्सर कपल्स में विवाद का कारण बन जाता है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह के अनुसार आगे बढ़ें।
गर्भावस्था की अनिश्चितताओं के बारे में अपने पार्टनर से विस्तार में बात करना बेहद ज़रूरी है। आपसी समझदारी से कोई भी निर्णय लें, जिसमें दोनों की मर्जी शामिल हो। अपनी समस्याओं को बताएं और उसके अनुसार ही आगे बढ़े।
दो लोगों की आपसी सहमति से बनने वाले यौन् संबधों के चलते गर्भ धारण होता है। इसके लिए किसी एक को दोषी ठहराया पूर्ण रूप से गलत है। अपने साथी का साथ दें और उसकी समस्या को अपनी समस्या समझते हुए मिलकर आगे बढ़े और एक दूसरे का मार्गदर्शन करें। एक दूसरे पर आरोप लगाने से किसी भी निर्णय को लेने और उस तक पहुंचने में दिक्कत आने लगती है।
यौन संक्रमण और अनचाही प्रेगनेंसी से राहत पाने के लिए कंडोम का इस्तेमाल करें। महिलाओं और पुरूषों के लिए बाज़ार में मिलने वाले कंडोम की मदद से प्रेगनेंसी के जोखिम से बचा जा सकता है।
नेचुरल तरीके से प्रेगनेंसी की समस्या से बचने के लिए पीरियड ट्रैकर एप्स की मदद लें। इससे महिलाएं अपने ओवुलेशन डे का पता आसानी से लगा सकती हैं। इसके चलते ट्रैकर के अनुसार बताए ओवुलेशन पीरियड के दौरान सेक्स करने से बचें।
अनवॉटेड प्रेगनेंसी से बचने के लिए गर्भनिरोधक इंजेक्शन को विकल्प के तौर पर प्रयोग किया जाता है। इसका असर शरीर में तीन महीनों तक रहता है। इससे ब्लड में हार्मोन रिलीज़ होने लगते हैं, जिससे गर्भावस्था से राहत मिल जाती है।
आईयूडी एक प्रकार का टी आकार का डिवाइज़ होता है। गर्भावस्था को अवॉइड करने के लिए इसे पीरियड साइकिल के सातवें दिन वेजाइना में इंसर्ट करते हैं। इसकी मदद से एग स्पर्म के कॉटेक्ट में आकर फर्टिलाइज़ नहीं हो पाता है।