तनाव का असर भावनात्मक रिश्तों और शारीरिक तकलीफ को जन्म देता है। इसके कारण कई तरह की परेशानियों, निराशा, भय और दुख का सामना करना पड़ता है। तनाव से मुक्त रहने के लिए सकारात्मकता और सक्रियता बेहद आवश्यक है। अगर, आप तनाव के समय खुद को निष्क्रिय रखते हैं तो कई तरह की परेशानियां उत्पन्न हो सकती है। वैसे तो महिला और पुरुष दोनों ही तनाव का अनुभव करते हैं। हालांकि, दोनों इसको प्रकट अलग-अलग तरीके से करते हैं। तनाव के कारण महिलाएं शारीरिक और मानसिक रूप से अधिक परेशान होती है।
स्ट्रेस का सबसे ज्यादा प्रभाव महिलाओं में भावनात्मक रूप में देखा जाता है। इसके कारण महिलाएं चिड़चिड़ी, मूडी, उदास या अधिक भावुक हो सकती है। लंबे समय तक तनाव लेने से मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं जैसे अवसाद बढ़ जाती है। कई बार छोटे काम भी सिर दर्द बन जाते हैं। कुछ महिलाएं तनाव से निजात पाने के लिए मादक पदार्थों का सेवन करने लगती हैं, जो स्वास्थ्य के लिहाज से काफी नुकसानदायक है।
अत्यधिक तनाव के कारण सिरदर्द, माइग्रेन, सुस्ती और सिर में जकड़न की परेशानी आ सकती है। कभी-कभी यह कंधे में दर्द का कारण भी बन सकता है। इससे दैनिक कामकाज में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
तनाव के कारण पुरुषों की तुलना में महिलाओं में दिल के दौरे का खतरा अधिक बढ़ जाता है। दरअसल, तनाव के लिए जिम्मेदार हार्मोन कोर्टिसोल एक समय पर धमनियों को संकरा कर देता है। इससे खून पर्याप्त मात्रा में हार्ट तक नहीं पहुंच पाता है। कई बार महिलाएं तनाव के कारण पिज्जा, चॉकलेट और आइसक्रीम जैसे खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करती है। इससे शरीर में कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने की आशंका होती है। कई बार धूम्रपान और शराब की लत लग जाती है, जिससे हार्ट अटैक आने की संभावना अधिक रहती है।
साथ ही कोर्टिसोल कई बार भूख में इजाफा कर देता है जिससे शरीर में इंसुलिन का स्तर बढ़ने की आशंका रहती है। तनाव में कई बार लोग भावुक हो जाते हैं और भोजन छोड़ने और जंक फूड खाने की लत पड़ सकती है। वहीं तनाव में महिलाएं उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करती हैं, इसके चलते कोर्टिसोल पाचन क्रिया धीमी कर देता है जिससे सामान्य से भी कम कैलोरी खपत होती है।
कई स्त्री रोग विशेषज्ञों का मानना हैं कि पीरियड्स में अनियमितता का सबसे आम कारण तनाव है। दरअसल, कोर्टिसोल हार्मोन पीरियड्स को नियंत्रित करता है। इस कारण से पीरियड्स का समय बढ़ जाता है और अत्यधिक दर्द होता है। साथ ही यह पीरियड्स को उस समय तक रोक भी सकता है, जब तक कि कोर्टिसोल का लेवल सामान्य नहीं हो जाता। लंबे समय तक उच्च कोर्टिसोल लेवल पीरियड्स से गुजर रही महिलाओं के संक्रमण को कठिन बना सकता है। इस वजह से नींद नहीं आना समेत दूसरी परेशानियां आती है। तनाव प्रेग्नेंट होने की कोशिश कर रही महिलाओं के लिए बाधा बन सकता है।
तनाव का असर कई बार सेक्सुअल लाइफ पर पड़ता है। लंबे समय तक तनाव से कोर्टिसोल सेक्स हार्मोन को दबाने की कोशिश करता है, जिससे यौन इच्छाओं पर इसका असर पड़ता है। कई बार महिलाएं अंतरंग सम्बन्धों का आनंद महसूस नहीं कर पाती है। महिलाओं को नियमित दिनों में चरमोत्कर्ष प्राप्त करने में कठिनाई होती है। इससे तनावग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है।
एसिड रिफ्लक्स, मतली, सूजन और पेट में ऐंठन जैसी समस्याएं भी तनाव कारण पैदा हो सकती है। अगर तनाव का स्तर बहुत अधिक है, तो इससे उल्टी और दस्त लग सकते हैं। तनाव के कम भूख लगती है और वजन में कमी हो सकती है। मूड और शारीरिक एनर्जी प्रभावित होने लगती है।
तनाव से महिलाओं में त्वचा सम्बंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। इससे मुंहासे, खुजली, चकत्ते और हीव्स की प्रॉब्लम हो सकती है। ज्यादा समय तक तनाव में रहने पर महिलाओं के बाल झड़ने लगते हैं।
अत्यधिक तनाव का अनुभव करने के वाली महिलाओं में नींद नहीं आने की समस्या बढ़ जाती है। जो आगे चलकर मोटापा, गुर्दे की समस्याएं, मधुमेह, हृदय रोग, स्ट्रोक का कारण बन सकता है। अधिक दिनों तक नींद नहीं आने की समस्या के कारण महिलाओं को कई बार अपने दैनिक कार्यों को करने में मुश्किल हो जाता है।
इसके अलावा कोर्टिसोल हार्मोन का उच्च स्तर रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है। इसके कारण शरीर के विभिन्न संक्रमण और बीमारियों से पीड़ित होने की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए, ज्यादा स्ट्रेस का अनुभव करने वाली महिलाएं अधिक बीमार पड़ सकती है।
दरअसल, पुरुषों को प्रभावित करने वाले तनाव हार्मोन महिलाओं के शरीर को अलग तरीके से प्रभावित करते हैं। वहीं, पुरुषों की तुलना में महिलाओं का लिम्बिक सिस्टमअधिक गहरा होता है। जो उन्हें पुरुषों की तुलना में भावनाओं को अधिक गहराई से महसूस करने के लिए मजबूर करता है। वहीं, अक्सर महिलाओं से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे पारिवारिक जिम्मेदारियों को एक साथ संभालें और एक ही समय पर काम करें। कई बार तनाव के कारण महिलाएं गर्भवती न हो पाती है जिससे उनके तनावग्रस्त होने की संभावना बढ़ जाती है।
अगर पुरुष अपने घर की महिलाओं के तनाव को दूर करने के लिए संकल्पित हो जाए तो उनकी काफी कुछ मदद हो सकती है। जैसे-
1. उनकी बात ज्यादा-ज्यादा सुनें।
2. बिना मांगे किसी भी तरह सलाह न दें।
3. उनकी भावनाओं का सम्मान करें।
4. उन्हें ज्यादा से ज्यादा समय देने की कोशिश करें।
5. उनकी खुद की पहचान बनाने में मदद करें।
अगर आप एक ऐसी महिला हैं और तनाव से हमेशा बचना चाहती हैं, तो यहां कुछ बातें हैं जो आपके काम आ सकती है:
1. उन्हें चीजों को डायरी में नोट करने की आदत डालें जो आपको तनाव देती है। फिर उन बातों पर गौर करें और उन्हें ठीक करने की कोशिश करें।
2. अपने विचारों को विभिन्न पत्रिकाओं को भेजे। जिससे आपको खुद की पहचान बनाने में मदद मिलेगी।
3. नियमित रूप से व्यायाम करें और खान-पान पर विशेष ध्यान दें।
4. ज्यादा शक्कर युक्त खाने से दूर रहें।
5. धूम्रपान या शराब पीने जैसी आदतों को कम करें।
6. नई हॉबी बनाए। खुद के लिए नए टास्क लें।
7. रोज़ाना कुछ देर ध्यान या मेडिटेशन करें।
8. सोशल मीडिया पर एक निश्चित समय के लिए ही सक्रिय रहे।
9. डेली 6 से 8 घंटे की नींद लें।
10. रोजाना ताजी हवा और धूप लें।
11. जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की मदद लें।
कभी-कभी महिलाएं अपेक्षाओं और जिम्मेदारियों के बोझ तले इतनी दब जाती हैं कि वे खुद को अवसाद और तनावग्रस्त महसूस करती है। अगर आप लंबे समय से तनाव ले रही है तो इसके असली कारणों को पहचान करके उसका समाधान करने का प्रयास करना चाहिए। यदि आप इसे स्वयं करने में असमर्थ पाती है, तो पेशेवर मदद भी ली जा सकती है। इसके अलावा आप अपने करीबी दोस्त या पुरुषों की मदद ले सकती है। वैसे तो महिलाएं मल्टीटास्किंग और कई जिम्मेदारियों को एक साथ सफलतापूर्वक संभाल सकती है। फिर अगर आप चाहती है कि हर रोज आपको खुद के लिए समय मिलें तो इसके लिए एक सूची तैयार करें।
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