चिड़चिड़ापन, बहुत ज्यादा नींद आना, जल्दी गुस्सा आ जाना या फिर अचानक भूख मर जाना, हार्मोनल परिवर्तनाें का संकेत हो सकताा है। असल में महिलाओं के हार्मोन में बदलाव, केवल महिला स्वास्थ्य समस्याओं का कारण ही नहीं होते। अपितु कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण भी बन सकते हैं। अत: किसी भी समस्या को छोटा समझकर नकारना नहीं चाहिए। यहां जानिए आपके समग्र स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है हार्मोन में होने वाला परिवर्तन।
ज्यादातर महिलाओं के पीरियड्स हर 21 से 35 दिनों में आते हैं। यदि यह नियमित रूप से हर महीने एक ही समय पर नहीं आ रहें हैं, या कुछ महीनों आते ही नहीं, तो इसका मतलब एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन की अधिकता या कमी हो सकती है। इसका कारण पेरिमेनोपॉज़ भी हो सकता है। यह अनियमित पीरियड्स पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का लक्षण भी हो सकता है।
हार्मोन योनि ऊतक को नम और आरामदायक रखने में मदद करता है। कभी-कभी सूखापन होना सामान्य बात है। लेकिन अगर अक्सर ऐसा होने लगे और साथ ही मूड स्विंग भी हों तो एस्ट्रोजन का निम्न स्तर इसका कारण हो सकता है। एस्ट्रोजन स्तर का असंतुलन, योनि की तरलता को कम कर सकता है और जकड़न का कारण बन सकता है।
ज्यादातर लोग टेस्टोस्टेरोन को पुरुष हार्मोन मानते हैं। लेकिन महिलाओं का शरीर भी इसे बनाता है और महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन के स्तर में गिरावट सेक्स में रुचि की कमी का कारण हो सकती है।
एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट स्तन के ऊतकों को कम घना बना सकती है। इसके स्तर में बढ़ोतरी ऊतक को मोटा कर सकती है। यहां तक कि नई गांठ या सिस्ट भी पैदा कर सकती है।
हारमोन बदलाव से कुछ स्थितियां तो पैदा होंगी ही लेकिन कुछ बचाव अपनाकर इन्हे टालने मे सहायता मिल सकती है।
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