पीरियड्स से जुड़ी गरीबी को मिटाने के लिए स्कॉटलैंड पीरियड प्रोडक्ट्स को बिल्कुल मुफ्त बनाने वाला पहला देश बन गया है। यह निश्चित रूप से एक नीति है जो उन सभी महिलाओं को राहत देगी जो अपने पीरियड्स के एक्टिव वर्षों में हैं, लेकिन सैनिटरी नैपकिन, टैम्पोन और मेंस्ट्रुअल कप जैसे उत्पादों को खरीद नहीं सकतीं।
पीरियड की गरीबी और परिणामस्वरूप पीरियड्स प्रोडक्ट न मिलना भारत की कई महिलाओं के लिए वास्तविकता है। हाल ही में, फिल्म पैड मैन ने हमारे देश में मासिक धर्म के चारों ओर विभिन्न वर्जनाओं और टैबू को चित्रित किया है।
यह समझने की जरूरत है कि पीरियड पॉवर्टी केवल सैनिटरी नैपकिन और टैम्पोन खरीदने में सक्षम ना होना नहीं है, बल्कि स्वच्छ शौचालय और पानी की अनुपलब्धता में भी है।
यूनिसेफ के अनुसार, दक्षिण एशिया की एक तिहाई से अधिक लड़कियां अपने पीरियड्स के दौरान मुख्य रूप से स्कूलों में शौचालयों और पैड्स की कमी के कारण स्कूल मिस करती हैं। मासिक धर्म के बारे में बहुत सी महिलाएं शिक्षित नहीं हैं।
यहां कुछ ऐसे चौंकाने वाले आंकड़े दिए गए हैं जो आपकी आंखें खोलते हैं, और सिस्टम में कमियों को दर्शाते हैं। भारतीय महिलाओं में पीरियड गरीबी से बचाने के लिए सिस्टम में इन कमियों का भरा जाना आवश्यक है।
1. भारत में 71% लड़कियां अपने पहले पीरियड होने से पहले मासिक धर्म से अनजान होती हैं।
2. सरकारी एजेंसियों के अनुसार, भारत में 60% किशोरियां मासिक धर्म के कारण स्कूल जाने में असमर्थ हो जाती हैं।
3. लगभग 80% महिलाएं अभी भी घर पर बने पैड का इस्तेमाल करती हैं।
जाहिर है, भारत को स्कॉटलैंड ने जो कुछ भी किया है, उसकी तर्ज पर कार्यवाही करने की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महिलाओं की मूलभूत आवश्यकताओं और जागरूकता तक पहुंच हो सके।
हमारी मुख्य चिंता स्वच्छता की है। स्वच्छ शौचालयों और उचित मासिक धर्म उत्पादों तक पहुंच नहीं होना महिलाओं को कई प्रजनन और यौन रोगों के प्रति संवेदनशील बनाता है। जो न केवल उनके स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले हैं, बल्कि देश के विकास के लिए भी हानिकारक साबित होते हैं।
यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, खराब मासिक धर्म स्वच्छता शारीरिक स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकती है, जो प्रजनन और यूरिनरी ट्रैक्ट के संक्रमण से जुड़ी हुई है। इसलिए, लड़कियों और महिलाओं को उनके मासिक धर्म के वर्षों में स्वच्छ पानी और सस्ते अथवा मुफ्त पीरियड्स उत्पाद उपलब्ध कराए जाने चाहिए। यदि महिलाओं की इन प्रोडक्ट तक पहुंच होगी तो बैक्टीरियल वेजाईनोसिस जैसे रोगों की संभावना को कम किया जा सकता है।
पीरियड्स पॉवर्टी के बारे में खुलकर बात करने से किशोर लड़कियों को अवधारणा को समझने, स्वच्छता के उपायों को सीखने और अपने प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिलेगी।
सरकार के साथ-साथ गूंज जैसे कई एनजीओ मासिक धर्म से जुड़े टैबू को कम करने और महिलाओं को एक-दूसरे के साथ अपने अनुभव साझा करने में सक्षम बनाने के लिए जागरूकता फैला रहे हैं। इनका उद्देश्य युवा पीढ़ी को मासिक धर्म के बारे में अधिक जागरूक बनाना और उन्हें स्वास्थ्य समस्याओं के रोकथाम के लिए कदम उठाने में मदद करना है।
“सभी किशोर लड़कियों की स्वच्छता की जरूरतों को पूरा करना मानवाधिकार, गरिमा और सार्वजनिक स्वास्थ्य का एक बुनियादी मुद्दा है”, यूनिसेफ के जल, सफाई और स्वच्छता के पूर्व प्रमुख संजय विजेस्केरा कहते हैं।
हम उम्मीद करते हैं कि भारत पीरियड पॉवर्टी दूर करने और सभी महिलाओं के लिए अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठाएगा।