यौन स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं होती हैं। इससे न सिर्फ आप परेशान होती हैं, बल्कि आपके पार्टनर को भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। खासतौर से जब आप 40 की उम्र पार करने लगती हैं, तब आपके यौन जीवन में कई तरह के बदलाव महसूस होते हैं। कई बार ये इतने तीव्र होते हैं कि आपका यौन जीवन और पार्टनर के साथ आपका रिश्ता भी प्रभावित होने लगता है।
दरअसल सेक्सुअल हेल्थ में शरीर के साथ-साथ भावनाएं, अनुभव, जीवनशैली और हेल्दी रिलेशन भी जटिल रूप से जुड़े होते हैं। इनमें से किसी के भी तनावपूर्ण होने की स्थिति में महिलाएं सेक्सुअल अराउजल डिसऑर्डर (Female Sexual Arousal Disorder) या फीमेल सेक्सुअल डिस्फंक्शन की शिकार होने लगती हैं। इसलिए अगर आप या आपके परिवार की कोई महिला 40 की उम्र पार कर रही है, तो आपको भी महिलाओं के यौन स्वास्थ्य में होने वाले इस बदलाव के बारे में जानना चाहिए।
द जर्नल ऑफ सेक्सुअल मेडिसिन में अन्नामारिया गिराल्डी, एलेसेंड्रा एच.रेलिनी के शोध आलेख के अनुसार, महिला यौन उत्तेजना विकार (Female Sexual Arousal Disorder) की परिभाषा पर मतभेद है। कुछ लेखक मानते हैं कि यह एक जेनिटल डिसऑर्डर है। जबकि कुछ लोग मानते हैं कि यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर प्रतिक्रिया अधिक है। वहीं कुछ शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि इच्छा और उत्तेजना विकारों को एक इकाई में जोड़ा जाना चाहिए। यदि सेक्सुअल अराउजल लगातार हो रहा है, तो इसे परसिस्टेंट जेनिटल डिसआर्डर (Persistent Genital Disorder—PGAD) कहा जा सकता है। इसे रेस्टलेस जेनिटल सिंड्रोम भी कहा जा सकता है।
यौन उत्तेजना का ज्यादा या कम होना महिला यौन विकारों के सबसे आम विकार में से एक है। यौन संबंध बनाने की इच्छा होना या नहीं होना भी इसमें शामिल है। कभी-कभी सेक्स की इच्छा हो सकती है। लेकिन कामोत्तेजना में कठिनाई हो सकती है। कुछ महिलाएं यौन क्रिया के दौरान कामोत्तेजना बनाए रखने में खुद को असमर्थ भी महसूस कर सकती हैं।
शोध इस बात पर जोर देता है कि यह समस्या जननांग की आम समस्या हो सकती है। यह विकार व्यक्तिपरक प्रतिक्रिया या दोनों का संयोजन भी हो सकता है। दरअसल यह समस्या बढ़ती उम्र के साथ बढ़ती है। खासकर रजोनिवृत्ति (Menopause) के समय। हालांकि पोस्ट मेनोपॉज के साथ ही यह परेशानी कम होने लगती है।
अक्सर अन्य यौन समस्याओं के दौरान यह कामोत्तेजना संबंधी विकार देखा जा सकता है। इसके उपचार के समय महिला की सेक्सुअल डिजीज संबंधी हिस्ट्री और परीक्षा की सिफारिश की जाती है।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ इमपोटेंस रिसर्च के शोध आलेख के अनुसार, सेक्सुअल अरोउजल डिसऑर्डर संबंधी जांच सीमित हैं। उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह सेक्सुअल लाइफ का आम विकार है। इससे दुनिया भर की 22 % से अधिक महिलाओं के प्रभावित होने का अनुमान है। इस डिसऑर्डर के लिए उम्र के साथ-साथ, महिला के साथ किया जाने वाला व्यवहार, सेक्सुअल एब्यूज की हिस्ट्री, सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज, खानपान, खुशी, मेंटल स्टेटस और फिजिकल हेल्थ भी जिम्मेदार हो सकते हैं।
जर्नल ऑफ़ सेक्स एंड मेरिटल थेरेपी के अनुसार महिला यौन उत्तेजना विकार (Female Sexual Arousal Disorder) मेनोपॉज के दौरान होने वाली सामान्य समस्या है। हालांकि इस विकार के बारे में या इसके उपचार के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। दरअसल यह समस्या वेजाइना में लुब्रिकेशन की कमी के कारण भी हो सकती है।
मेनोपॉज में जो महिलाएं यौन उत्तेजना विकार से जूझ रही थीं, उनमें वेजाइनल लुब्रिकेशन (Vaginal Lubrication) की कमी भी देखी गई। ऐसी महिलाओं पर स्टडी की गई। उन्हें ओरल फेंटोलामाइन 6 महीने की अवधि तक दिया गया।
फेंटोलामाइन लुब्रिकेशन बढ़ाता है। उन्हें 40 मिलीग्राम ओरल फेंटोलामाइन और प्लेसिबो की भी खुराक दी गई। महिलाओं ने न सिर्फ योनि में लुब्रिकेशन के बढ़ावा की बात कही, उन्हें ख़ुशी देने वाला सेंसेशन भी महसूस हुआ। दवा को महिलाओं द्वारा किसी भी प्रकार के एलर्जी की सूचना नहीं दी। हालांकि शोधकर्ता इस दिशा में और अधिक अध्ययन और शोध की आवश्यकता पर जोर दिया।
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