महिलाओं में इनफर्टिलिटी का कारण बन सकती हैं ये 6 स्वास्थ्य स्थितियां, समय रहते इनपर ध्यान देना है बेहद जरूरी

महिलाओं को इस बात से जागरूक होना चाहिए कि कौन-कौन से ऐसे हेल्थ कंडीशंस हैं, जो लॉन्ग टर्म में इनफर्टिलिटी का कारण बन सकते हैं। आइये यहां जानते हैं इस बारे में।
infertility ki samasya mahila aur purush donon ko ho sakti hai.
कुछ स्वास्थ्य स्थितियों की वजह से भी फर्टिलिटी प्रभावित हो सकती है। चित्र : अडोबी स्टॉक
अंजलि कुमारी Published: 13 Dec 2023, 21:00 pm IST
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आज के समय में महिलाओं में इनफर्टिलिटी एक बेहद आम समस्या बनती जा रही है। इनफर्टिलिटी के लिए लाइफस्टाइल के फैक्टर, जेनेटिक्स सहित कई अन्य स्वास्थ्य स्थितियां जिम्मेदार होती हैं। हालांकि, महिलाओं को इस बात से जागरूक होना चाहिए कि कौन-कौन से ऐसे हेल्थ कंडीशंस हैं, जो लॉन्ग टर्म में इनफर्टिलिटी का कारण बन सकते हैं। यदि समर रहते इन स्थितियों पर ध्यान दिया जाए और सही मेडिकल केयर ली जाए तो हो सकता है इनफर्टिलिटी की स्थिति न आए। इसलिए इस बारे में जानना बेहद जरूरी है।

हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर सीके बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्राम की ऑब्सटेट्रिक्स और गाइनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर आस्था दयाल से बात की। डॉक्टर ने कई ऐसी स्वास्थ्य स्थितियां बताइ हैं, जो महिलाओं में आगे चलकर इनफर्टिलिटी का कारण बन सकती हैं। तो चलिए जानते हैं, इनके बारे में आखिर ये कौन सी स्थितियां हैं (causes of infertility in females)।

यहां हैं इनफर्टिलिटी का कारण बनने वाली कुछ स्वास्थ्य स्थितियां (causes of infertility in females)

1. सर्वाइकल म्यूकस प्रॉब्लम

जब आप ओव्यूलेट कर रही होती हैं, आपके सर्विक्स में म्यूकस पतला हो जाता है, ताकि स्पर्म अधिक आसानी से उसमें तैर सके। यदि आपको म्यूकस सम्बंधी समस्या है, तो इससे कंसीव करना कठिन हो सकता है। वहीं ऐसा बार-बार हो सकता है। इसका पता डॉक्टर द्वारा जांच होने के बाद लगाया जाता है।

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हार्मोन खासकर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नए फाइब्रॉइड के विकास और वृद्धि के प्रमुख कारणों में से एक हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक

2. फाइब्रॉइड्स

गर्भाशय में या उसके आसपास नॉन कैंसरस ग्रोथ को फाइब्रॉएड कहा जाता है। यह स्थिति महिलाओं में फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती है। कुछ मामलों में, यह फर्टाइल एग को गर्भ में जुड़ने से रोक सकते हैं, या वे फैलोपियन ट्यूब को ब्लॉक कर सकते हैं। डॉक्टर की उचित देखभाल से इस स्थिति में सुधार किया जा सकता है।

3. एंडोमेट्रियोसिस

एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसी स्थिति है, जहां यूट्रस लाइनिंग (एंडोमेट्रियम) के समान टिश्यू, गर्भ के बाहर अन्य जगहों पर बढ़ने लगत है। यह ओवरी और फैलोपियन ट्यूब को डैमेज कर सकता है, जिसकी वजह से महिलाओं को इनफर्टिलिटी की समस्या का सामना करना पड़ता है।

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4. पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज

पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज एक प्रकार का इंफेक्शन है जो महिलाओं के यूट्रस, फैलोपियन ट्यूब और ओवरी को प्रभावित करता है। वहीं यह आमतौर पर सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इनफेक्शन के कारण फैलता है। यह समस्या फैलोपियन ट्यूब को डैमेज कर सकती है, जिससे कि ओवरी से एग्स के बाहर निकलने का खतरा बढ़ जाता है। यह स्थिति महिलाओं में इनफर्टिलिटी का कारण बन सकती है, इसलिए समय-समय पर ओवरी की जांच करवाते रहना बेहद महत्वपूर्ण है।

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पेल्विक फ्लोर को दें मजबूती। चित्र- शटरस्टॉक

5. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम को PCOS के नाम से भी जाना जाता है। यह एक बेहद सामान्य हार्मोनल कंडीशन है, जो महिलाओं को उनके रिप्रोडक्टिव ऐज में प्रभावित करता है। लगभग सात में से एक महिला PCOS की शिकार होती हैं। इस स्थिति में अनियमित पीरियड्स और इनफर्टिलिटी जैसे लक्षण शामिल हैं। PCOS से ग्रसित महिलाओं को कंसीव करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है, इसलिए PCOS के शुरुआती लक्षण नजर आते ही महिलाओं को इसके प्रति सचेत हो जाना चाहिए।

6. डायबिटीज

यदि किसी को अर्ली एज में डायबिटीज डिटेक्ट हो चुका है, तो उन्हें अपनी फर्टिलिटी और रिप्रोडक्टिव हेल्थ को लेकर बेहद सचेत रहना चाहिए। डायबिटीज फीमेल इनफर्टिलिटी का कारण बन सकता है। ब्लड शुगर के बढ़ते स्तर से पीरियड्स डिले होने लगते हैं, इसके साथ ही यह प्रीमेच्योर ओवेरियन एजिंग का कारण बनता है, जिसकी वजह से अर्ली मेनोपॉज हो सकता है। डायबिटीज महिलाओं के रिप्रोडक्टिव लाइफ़स्पन को कम कर देता है।

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इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं। ...और पढ़ें

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