किसी भी रिश्ते में अपने इमोशन्स जाहिर करना या आपके मन में क्या चल रहा है, उसे जाहिर करना सबसे ज्यादा जरूरी है। अगर आप किसी रिलेशनशिप में हैं तो उस रिश्ते से आपकी शारीरिक जरूरतें भी होती हैं। ऐसी ही एक जरूरत या आदतों में से एक है किस करना। इसे अक्सर केवल शारीरिक एक्शन के तौर पर लिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि ये सेक्स की तरह ही एक शारीरिक जरूरत है। लेकिन किसिंग इससे आगे भी बहुत कुछ है। ये आपके अपने इमोशन्स को जाहिर करने का एक तरीका भी है। आज हम यही समझने वाले हैं कि रिलेशनशिप में किसिंग (Kissing) क्यों जरूरी है और साईकोलॉजिकली इसका हम पर क्या इंपेक्ट पड़ता है।
आखिर इंसान किस क्यों करते हैं? बहुत से लोग इसे बस एक रोमांटिक इशारा मानते हैं लेकिन इसकी साइकोलॉजी भी है। जब हम किसी से प्यार करते हैं या उस से आकर्षित होते हैं तो हम अपनी भावनाओं को एक अलग तरीके से व्यक्त करना चाहते हैं। तो हां ये सिर्फ शारीरिक इशारा नहीं है, बल्कि हमारे इमोशन्स को व्यक्त करने का एक तरीका भी है।
साइकोलॉजिकल तौर पर जब हम किस करते हैं तो हमारे दिमाग में कई बदलाव आते हैं। किस (Kissing) करने से ऑक्सीटोसिन जो लव हार्मोन कहा जाता है उसका उत्पादन बढ़ता है। ये हॉर्मोन न सिर्फ हमारे दिमाग में खुशी पैदा करता है, बल्कि हमें एक दूसरे से जुड़ा हुआ महसूस कराता है। यही वजह है कि किस करने से एक गहरा इमोशनल कनेक्शन (Kissing) जन्म लेता है। इसके साथ ही इससे विश्वास और सुरक्षा के इमोशन्स भी जन्म लेते हैं। यानी ये कि हम जिसे किस कर रहे हैं उस पर हमें विश्वास है और हम उसके साथ सुरक्षित महसूस करते हैं।
नेचर नाम के एक जर्नल में छपी रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं में किसिंग के मामले में अपनी पसंद को अपनी मासिक चक्र और प्रेगनेंसी के दौरान सबसे ज्यादा बदलती हैं। ऐसा तब ज्यादा होता है जब फर्टिलिटी विंडो (Kissing) ज्यादा हो। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस वक्त महिलाओं के भीतर हार्मोनल बदलाव होते हैं और ये बदलाव उनके अट्रैक्ट होने के पैटर्न को भी प्रभावित करते हैं। लेकिन ये केवल शारीरिक आकर्षण तक ही सीमित नहीं है। असल में, ये महिला के दिमाग में एक जीन की गुणवत्ता का भी आकलन करती है। यानी, जब वो किसी को किस करती हैं तो उसे सिर्फ रोमांटिक तौर पर नहीं, बल्कि यह भी देखने की कोशिश करती हैं कि वो व्यक्ति शारीरिक और मानसिक तौर पर उसके लिए कैसा है? क्या वो उनका अच्छा साथी हो सकता है?
रिसर्च में ये भी कहा गया कि इस वक्त किस के जरिए महिलाएं अपने साथी को टेस्ट करने में मदद करती हैं। मतलब, ये एक तरह से टेस्ट होता है, ताकि वो जान सकें कि इस आदमी में क्या कुछ ऐसे गुण हैं जो उन्हें बच्चे पैदा करने के लिए अच्छा साथी बना सकते हैं।
अब बात करते हैं कि रिलेशनशिप में किस क्यों इतना जरूरी होता है। अगर किसी रिश्ते में भावनाओं का आदान-प्रदान न हो तो वह रिश्ता और जटिल बन जाता है। किस एक ऐसा तरीका है जिससे लोग अपने प्यार को एक दूसरे तक पहुंचाते हैं। ये सिर्फ रोमांटिक रिलेशनशिप तक सीमित नहीं है बल्कि ये दोस्ती और परिवारिक रिश्तों में भी होता है जहां एक दूसरे के लिए सम्मान और प्यार मौजूद हो।
किस करने से व्यक्ति को लगता है कि दूसरा व्यक्ति उसकी उपस्थिति में सहज और सुरक्षित महसूस करता है। यह एक तरह से भरोसा बनाने में मदद करता है क्योंकि जब दो लोग किस करते हैं, तो वो बिना शब्दों के एक दूसरे से भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं। यही कारण है कि किस रिलेशनशिप में इतना महत्वपूर्ण हो जाता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड की इसको लेकर एक रिपोर्ट भी छापी थी। रिपोर्ट 900 लोगों पर स्टडी के बाद बनाई गई थी। रिपोर्ट में कहा गया कि ज्यादातर लोगों में यह पाया गया कि सेक्स के पहले उनके लिए किस (Kissing) करना ज्यादा जरूरी था लेकिन यह भी था कि किस हर बार सेक्स से जुड़ा हुआ नहीं था। ये कपल्स को एक दूसरे से इमोशनली कनेक्ट रखने के लिए जरूरी था। इसी रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि रिलेशनशिप में किसिंग की आदत रिश्ते को और बेहतर बनाती है और ये सेक्स या किसी भी फिजिकल जरूरत से हट कर है।
बेटर हेल्थ चैनल नाम की एक संस्था की रिपोर्ट कहती है कि जब हम किस करते हैं, तो हमारे दिमाग में एक साथ कई जैविक प्रक्रियाएं होती हैं। सबसे पहले तो शरीर में ऑक्सीटोसिन का स्तर बढ़ता है। इसके साथ ही, डोपामिन और सेरोटोनिन जैसे ‘फील-गुड’ हॉर्मोन भी रिलीज होते हैं। ये हॉर्मोन हमें खुशी, संतोष और प्रेम की भावना महसूस कराते हैं। इसलिए किस करने से न सिर्फ शारीरिक उत्तेजना महसूस होती है, बल्कि यह इमोशनल सैटिस्फैक्शन (Kissing) भी देता है।
रिलेशनशिप में किस को लेकर कई मायने हो सकते हैं। ये अलग अलग व्यक्तियों में अलग अलग हो सकता है। उदाहरण के लिए कुछ लोग इसे केवल एक शारीरिक जरूरत मानते हैं जबकि दूसरों के लिए यह एक गहरे इमोशनल कनेक्शन (Kissing) का प्रतीक हो सकता है।
किस (Kissing) कम्यूनिकेशन का भी एक प्रकार है। किसी भी रिलेशनशिप में इमोशन्स जाहिर करने के लिए हमेशा शब्द काफी नहीं होते, किस वहाँ काम आता है और हमारे लिए ये खुद को एक्सप्रेस करने का तरीका बन जाता है। रिश्तों में अक्सर ऐसा होता है कि दोनों लोग एक दूसरे से बहुत कुछ कहना चाहते हैं, लेकिन शब्दों से ठीक से कह नहीं पाते। इस दौरान किस करना उस अनकही बात को व्यक्त करने का एक तरीका बन जाता है। यह एक इमोशनल वैक्यूम को भरने जैसा होता है।
इतनी बातें करने के बाद इसके बाद ये कहना और भी जरूरी है कि किस (Kissing) को केवल शारीरिक जरूरत के तौर पर देखना ग़लत है। आप किसी रिश्ते में अगर अपने किसी एक्शन के सहारे प्यार जाहिर कर रहे हैं, बिना बोले बात कर रहे हैं और अपने इमोशन्स जाहिर कर रहे हैं तो इसका मतलब साफ है कि किस फिजिकल नीड से बढ़कर भी कुछ है। और यही बात सही भी है।
अगर किसी रिश्ते में किस की कमी हो तो इसका ये भी मतलब हो सकता है कि शायद रिश्ते में कुछ कमी है। बिना किस के रिश्ते में भावनाओं का सूखापन आ सकता है। ऐसे रिश्ते में लोग एक दूसरे से भावनात्मक रूप से उतने जुड़े हुए महसूस नहीं कर पाते। यही कारण है कि रिश्तों में शारीरिक और मानसिक कनेक्शन बनाए रखना जरूरी होता है। अगर ये दोनों पहलु कमजोर पड़ जाते हैं तो रिश्ते में दूरी हो सकती है।
लेकिन यहाँ ये भी ध्यान रखना है कि सभी के लिए किस (Kissing) जरूरी नहीं होता। कुछ लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए किस के बजाय अन्य तरीकों का सहारा लेते हैं, जैसे कि हाथ पकड़ना, गले लगना, या कोई और ऐसी हरकत जिसकी मदद से वो अपने इमोशन जाहिर कर सकें। इसलिए यह जरूरी नहीं कि हर रिलेशनशिप में किस हो। कुछ लोग इसके बिना भी अपने रिश्ते में खुश रहते हैं, और किसी के लिए यह पूरी तरह से जरूरी भी हो सकता है।
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