फीमेल ऑर्गेज्म के बारे में कभी भी खुलकर किसी भी मंच पर चर्चा नहीं हुई है। इससे महिलाओं में आर्गेज्म को लेकर कई प्रकार के संदेह बने हुए है। बहुत सी चीजें ऐसी है, जिनके बारे में खुद महिलाएं भी जानकारी नहीं रख्रती है। तन की संतुष्टि के लिए कई चीजें मददगार साबित होती है। खासतौर से वे लोग जो हर वक्त किसी न किसी उधेड़बुन में रहते हैं। उनके लिए सेक्स को एंजाय करना बहुत ज़रूरी है। उनके लिए आर्गेज्म को प्राप्त करना भी आवश्यक है। चलिए जानते हैं फीमेल ऑर्गेज्म के उन की फैक्टरर्स के में जिनसे महिलाओं को आर्गेज्म (female orgasm) हासिल होता है।
सी के बिरला अस्पताल, गुरूग्राम, स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ अरूणा कालरा का कहना है कि आर्गेज्म एक प्रकार का इनवाॅलेंटरी एक्शन है, जिसे नर्वस सिस्टम नियंत्रित करता है। इससे टेंशनस रिलीज़ होती हैं और हमारा शरीर रिलैक्सिंग सेंसेशन में बदल जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो इससे हमें प्लेजर की प्राप्ति होती है। ये महिलाओं को कई प्रकार से प्राप्त होता है। क्लीटोरिस भी इसका एक आसान तरीका है। जानते हैं इससे जुड़े अन्य तथ्य।
लौवेन यूनिवर्सिटी आफ बेल्जियम की एक स्टडी के मुताबिक 18 वर्ष से लेकर 67 वर्ष तक की उम्र की आयु 250 महिलाओं पर एक रिसर्च किया गया। ऑर्गेज्म पर आधारित इस स्टडी के मुताबिक ऑर्गेज्म को पाने के लिए फीमेल ब्रेन का खास रोल होता है। रिसर्च में 75 महिलाएं ऐसी भी थीं। जो ऑर्गेज़्म को प्राप्त नहीं कर पाती थी। रिसर्च में ये साबित हुआ कि वे महिलाएं जो सेक्स के दौश्रान अन्य बातों के बारे में नहीं सोचती है, उन्हें ऑर्गेज्म हासिल होता है। इंटरकोर्स के समय जो लोग अन्य लोगों पर विचार करते हैं। उन्हें आर्गेज्म हासिल नहीं हो पाता है।
आमतौर पर पुरुषों में ऑर्गेज्म होने के बाद उन्हें दोबारा से उसी मूड में अपने में कुछ वक्त की आवश्यकता होती है। जब कि दूसरी ओर महिलाएं मल्टीपल ऑर्गेज्म को आसानी से हासिल कर लेती हैं। जर्नल ऑफ़ सेक्स एंड मैरिटल थेरेपी की एक रिपोर्ट की मानें, तो 2ए049 महिलाओं में से 8 फीसदी महिलाएं मल्टीपल ऑर्गेज्म महसूस कर पाती है।
बातचीत से न केवल एक रिश्तो जमा मज़बूत बनता है बल्कि इससे सेक्स लाइफ भी रोमांचक होने लगती है। पसंद नापंसद और कंफर्ट पर बात करना बेहद आवश्यक है। साल 2019 में नर्जल आफ सेक्स रिसर्च की एक स्टडी के अनुसार सेक्सुअल कम्यूनिकेशन लूर्बिकेशन, इरैक्टाइल डिसफंक्शन, अराउज़न, कम दर्द व आर्गेज्म से जुड़ा हुआ होता है। आप जितना खुद को एक्सप्रेस करती जाएंगी उतना ही आर्गेज्म बढ़ने लगेगा।
क्लीटोरिस आर्गेज्म बढ़ाने का एक आसान तरीका है। जर्नल ऑफ़ सेक्स एंड मैरिटल थेरेपी की साल 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक 36 फीसदी फीमेल्स क्लीटोरिस स्टिमुलेशन के ज़रिए ऑर्गेज्म हासिल करती है। बहुत सी महिलाएं क्लीटोरिस की मदद लिए बिना आर्गेज्म को हासिल नहीं कर पाती है। क्लीटोरिस दिखने में भले ही छोटा दिखे मगर इसका आकार आंतरिक तौर पर बड़ा होता है। इसमें 8ए000 सेंसरी नर्व एंडिग्स पाई जाती है। ये महिलाओं के शरीर का सबसे सेंसिटिव पार्ट माना जाता है। इसके ज़रिए आपके माइंड को खुशी का अनुभव होता है।
आप सोते हुए भी आर्गेज्म की प्राप्ति कर सकते हैं। सुनने में थोड़ा अटपटा है। मगर ये पूरी तरह से सच है। जर्नल ऑफ़ सेक्स एंड मैरिटल थेरेपी के मुताबिक रात में जब हम गहरी नींद में होते हैं, जो उस वक्त शरीर मेंरक्त का संचार नियमित होने लगता है। ऐसी स्थिति में शरीर में आर्गेज्म तेज़ी से बढ़ने लगता है। वे लोग जो उल्टा होकर सोते हैं। वे खासतौश्र से इस प्रकार के आर्गेज्म का अनुभव आसानी से कर पाते हैं।