जेनिटल वार्ट को जननांग मस्सा (Genital warts) भी कहा जाता है। हालांकि, यह एक दुर्लभ समस्या है, पर बेहद घातक हो सकता है। आमतौर पर जेनिटल वार्ट ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के कारण होता हैं, एक आम सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इनफेक्शन (एसटीआई)। जननांग मस्से आपके जननांगों (योनि के आसपास) और एनस पर या उसके आस-पास छोटे, उभरे हुए उभार जैसे दिखते हैं।
जननांग मस्से किसी को भी हो सकते हैं, लेकिन आमतौर पर यह 17 से 33 वर्ष की आयु के बीच के लोगों को प्रभावित करते हैं। शोध का अनुमान है, कि सामान्य आबादी के 10% से 20% लोगों में एचपीवी का वह प्रकार होता है, जो जननांग मस्से पैदा कर सकता है। पर एचपीवी वाले केवल 1% लोगों में मस्से विकसित होते हैं।
यदि आपको इस समस्या के बारे में जानकारी नहीं है, तो इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे जननांग मस्से (Genital warts) से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी। कोकून हॉस्पिटल, जयपुर के सीनियर कंसल्टेंट, प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, डॉ. मितुल गुप्ता ने जननांग मस्सों के बारे में बताया है, तो चलिए जानते हैं इस बारे में।
वेजाइनल वार्ट्स या जननांग मस्से वेजाइना और एनस में होने वाले एक प्रकार के संक्रमण हैं, जो मानव पैपिलोमावायरस (एचपीवी) के कारण होते हैं। ये वार्ट्स वेजाइना के अंदरूनी और बाहरी हिस्सों में दिखाई दे सकते हैं। इनके लक्षणों पर सही समय पर ध्यान देकर इलाज करवाना बेहद जरूरी है।
एचपीवी संक्रमण वाले हर व्यक्ति में एचपीवी का वह विशिष्ट प्रकार या स्ट्रेन नहीं होता जो जननांग मस्से पैदा करता है। जननांग मस्से विकसित करने वाले अधिकांश लोगों में HPV टाइप 6 या टाइप 11 होता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार यह भी ध्यान रखना ज़रूरी है, कि इन दो प्रकार के HPV वाले 90% लोगों में किसी तरह का लक्षण नजर नहीं आता।
डॉक्टर के अनुसार लक्षणों में वेजाइना में छोटे-छोटे उभार या गांठें दिखाई देना, वेजाइना से असामान्य रक्तस्राव या डिस्चार्ज होना, वेजाइना में दर्द या जलन महसूस होना, वेजाइना के आसपास की त्वचा पर चकत्ते या लालिमा नजर आ सकती है। वहीं त्वचा के रंग का या उससे गहरे रंग का उभार (फूलगोभी जैसा उभार), ऐसे उभार जो आमतौर पर दर्द रहित होते हैं, लेकिन कभी-कभी खुजली या जलन पैदा कर सकते हैं।
योनि
लेबिया
सर्विस
पेनिस स्क्रोटम
एनस
कमर
ऊपरी जांघ
डॉक्टर मितुल गुप्ता के अनुसार “HPV के 100 से ज़्यादा प्रकार हैं, जिनमें से दो-टाइप 6 और 11- जननांग मस्से के 90% मामलों का कारण बनते हैं। ज़्यादातर मामलों में, आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस को दूर रखने में सक्षम होती है, जिससे जननांग मस्से के विकास को रोका जा सकता है।”
HPV एक STI है, जिसका अर्थ है, कि यह मुख्य रूप से किसी ऐसे व्यक्ति के साथ यौन संपर्क के माध्यम से फैलता है जिसे संक्रमण है। आमतौर पर, वायरस लगने के बाद जननांग मस्से या अन्य HPV लक्षण विकसित होने में कुछ हफ़्ते से लेकर कई महीने लग जाते हैं।
वेजाइनल सेक्स
ओरल सेक्स
ऐनल सेक्स
त्वचा से त्वचा का संपर्क
सेक्स टॉय शेयर करना
जन्म देने वाले माता-पिता से बच्चे में HPV ट्रांसफर हो सकता है।
जबकि किसी को भी जननांग मस्से हो सकते हैं, कुछ लोगों में लक्षणों का अनुभव होने का जोखिम अधिक होता है। HPV के कारण जननांग मस्से के जोखिम कारकों में शामिल हैं:
17 से 33 वर्ष की आयु के बीच होना
जन्म के समय महिला होना
तंबाकू धूम्रपान करना
HPV इनफेक्शन की हिस्ट्री
डॉ मितुल गुप्ता बताते हैं “वेजाइनल वार्ट्स का इलाज आमतौर पर वेजाइना की जांच और वार्ट्स के नमूने की जांच करके किया जाता है। डॉक्टर वेजाइना में वार्ट्स की उपस्थिति की जांच करने के लिए एक स्पेकुलम का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा, वार्ट्स के नमूने को जांच के लिए भेजा जा सकता है, ताकि एचपीवी की उपस्थिति की पुष्टि की जा सके।”
“इसके बाद क्रायोथेरेपी, लेजर थेरेपी, सर्जिकल एक्सिजन और एंटीवायरल दवाओं के माध्यम से मरीज का उपचार किया जाता है। इसलिए उनके लक्षणों को समझ कर सही समय पर डॉक्टर से परामर्श लेना बेहद जरूरी है।”
HPV एक STI है, इसलिए किसी भी तरह की यौन गतिविधि से परहेज़ करना आपको पहले स्थान पर बीमारी से बचाएगा। सेक्स करने से बचना हमेशा संभव नहीं होता है। इसलिए संक्रमण होने या संचारित होने के जोखिम को कम करने के लिए कंडोम या डेंटल डैम का उपयोग करें, यानी कि सेफ सेक में पार्टिसिपेट करें।
“इसके साथ ही जरूरी वैक्सीन लगवाएं, ताकि संक्रमण को विकसित होने से रोका जा सके। गार्डासिल एक विशिष्ट टीका है, जो HPV 6 और 11 के लिए प्रभावी है – इसलिए यदि आप इसे लगवाना चाहती हैं, तो अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें और जानें कि क्या यह टीका आपके लिए सही है।”
कमज़ोर इम्यूनिटी के कारण एचपीवी विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है। कहा जाता है कि जीवनशैली में कुछ बदलाव करने से इम्यूनिटी बूस्ट करने में मदद मिल सकती है।
पर्याप्त मात्रा में फल, सब्जी, लीन प्रोटीन और साबुत अनाज का सेवन करें। सैचुरेटेड फैट, कोलेस्ट्रॉल, नमक और चीनी से भरपूर खाद्य पदार्थों से परहेज करें। हर हफ़्ते 150 मिनट हल्का से मध्यम व्यायाम करने की आदत बनाएं। वहीं हर रात कम से कम सात घंटे की नींद लें। तंबाकू का सेवन सीमित करें और धूम्रपान से परहेज करें।
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