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अश्वगंधा, हल्दी और शतावरी कर सकते हैं पीसीओएस का उपचार, आयुर्वेद एक्सपर्ट से जानिए कैसे 

अब महिलाओं में पीसीओएस की समस्या आम है। इसके कारण होने वाले कारकों को पहचानने की कोशिश करें और  इसके प्रभाव को कम करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार को अपनाएं।
Updated On: 20 Oct 2023, 09:43 am IST
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पीसीओएस या पीसीओडी होने के कारणों का पता अभी तक पूरी तरह नहीं लगाया जा सका है। चित्र: शटरस्टॉक

कभी- कभी बिना किसी कारण के भी पीरियड मिस हो जाते हैं। जब परेशानी बढ़ने लगती है, तब हम वजह तलाशने लगते हैं। कुछ महिलाओं वजन अचानक बढ़ने लगता है और छाती, पेट, पीठ सहित शरीर के अंगों पर अतिरिक्त बाल आने लगते हैं। क्या आप जानती हैं कि इन सभी लक्षणों के लिए पीसीओएस (PCOS) जिम्मेदार हो सकता है। हालांकि एलोपैथी में अभी तक इसका कोई स्थायी उपचार नहीं है। बस कुछ बदलावों और एहतियात के साथ इसके लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है। पर क्या आप जानती हैं कि आयुर्वेद में ऐसी कई जड़ी-बूटियां हैं, जो पीसीओएस (Ayurveda for pcos) की समस्या में आपको राहत दे सकती है। आइए जानते हैं एक आयुर्वेद विशेषज्ञ से उन हर्ब्स के बारे में।  

पीसीओएस क्या है और इसके लिए आयुर्वेदिक इलाज किस तरह कारगर है, यह जानने के लिए हमने बात की, वेदास क्योर के फाउंडर डायरेक्टर और आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. विकास चावला से।

 पुरुष हार्मोन का बढ़ना है जिम्मेदार 

डॉ. विकास चावला कहते हैं, “सबसे पहले सभी महिलाओं के लिए यह जानना जरूरी है कि पीसीओएस की समस्या किन वजहों से होती है। दरअसल, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) या पीसीओडी (PCOD) एक ऐसी स्थिति है, जो महिलाओं में हार्मोनल विकार का कारण बनती है। इसमें महिला के शरीर में पुरुष हार्मोन का उत्पादन अधिक मात्रा में होने लगता है। हालांकि पीसीओएस या पीसीओडी होने के कारणों का पता अभी तक पूरी तरह नहीं लगाया जा सका है।’ विशेषज्ञ इसे पर्यावरण और प्रजनन फैक्टर्स के कारण होने वाली स्थिति के रूप में पहचानते हैं।

 क्या हो सकते हैं पीसीओएस के सामान्य लक्षण 

पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में मुख्यतः अनियमित मासिक चक्र, गर्भावस्था में परेशानी अथवा देरी, असामान्य घने बालों का विकास,  मधुमेह और विभिन्न प्रकार के हृदय रोगों जैसी क्रोनिक स्थितियां बनती हैं। यह एक महिला के मासिक धर्म और प्रजनन स्वास्थ्य और कारणों को बाधित करता है। गंभीर मामलों में यह गर्भपात और गर्भ नहीं ठहरने का कारण भी बन सकता है। 

बालों का झड़ना और वजन बढ़ना भी पीसीओडी के मुख्य दो लक्षण हैं। अधिक वजन बढ़ने से भी शरीर सुस्त और निष्क्रिय हो जाता है। पीसीओडी के कारण सबसे अधिक मोटापा की समस्या बढती है। यह महिलाओं के मानसिक और  शारीरिक स्वास्थ्य, दोनों को बाधित भी करता है।

पीसीओडी से बचने के लिए महिलाएं इस ओर बहुत ज्यादा चिंता करने लगती हैं। वे तरह-तरह के उपाय करने लगती हैं। वे क्रैश डाइट का भी सहारा लेती हैं। यह समस्या घटाने की बजाय और अधिक बढा देता है।

 आयुर्वेद में क्या है पीसीओएस का उपचार 

 डॉ. विकास चावला कहते हैं, ‘ अश्वगंधा, हल्दी, शतावरी पीसीओएस के इलाज के लिए आयुर्वेदिक विशेषज्ञों द्वारा सुझाए जाते हैं।’

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कैसे करें प्रयोग

अश्वगंधा को डिटॉक्स ड्रिंक या गर्म पानी में मिलाकर पी सकती हैं।

पीसीओएस की समस्या को दूर करने के लिए रोजाना कच्ची हल्दी का प्रयोग करना चाहिए। कच्ची हल्दी को दूध के साथ उबालना चाहिए। इस हल्दी दूध का प्रतिदिन सेवन करना चाहिए।

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पीसीओएस की समस्या को दूर करने के लिए रोजाना कच्ची हल्दी का प्रयोग करना चाहिए। कच्ची हल्दी को दूध के साथ उबालना चाहिए। चित्र: शटरस्टॉक

पीसीओएस वात, पित्त और कफ तीनों दोषों के कारण होता है, ऐसा आयुर्वेद मानता है। शतावरी एक ऐसा हर्ब है, जो इन तीनों दोषों को खत्म करने में मदद करता है। शतावरी में मुख्य रूप से स्टीरॉयडल सेपोनिंस पाया जाता है। 

यह एस्ट्रोजेन को रेगुलेट कर देती है। इससे पीरियड नियमित हो जाता है। पर आप किसी भी आयुर्वेदिक उपचार की मदद लेना चाहती हैं, तो सही खुराक के लिए आपको आयुर्वेद एक्सपर्ट से जरूर संपर्क कर लेना चाहिए।

  इसके अलावा जीवनशैली में बदलाव बहुत जरूरी है। फलों, हरी सब्जियों और साबुत अनाज का सेवन बढ़ाएं। मैदा और तेलयुक्त भोजन का सेवन कम करें।

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फलों, हरी सब्जियों और साबुत अनाज का सेवन बढ़ाएं । चित्र: शटरस्टॉक

एक्सरसाइज

 जिन महिलाओं को पीसीओएस है, उनके लिए योग और ब्रीदिंग एक्सरसाइज भी फायदेमंद मानी जाती हैं। यह अनावश्यक तनाव को दूर करता है, सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है, और शरीर और दिमाग में आशावादी वाइब्स भेजता है।

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डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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