बिग ओ (Big O) यानी ऑर्गेज़्म (Orgasm) , ज्यादातर महिलाएं इस तक पहुंचना चाहती हैं। पर मुश्किल ये है कि बहुत सारी स्त्रियों को ये फेक करना पड़ता है। एक मेंटल लेवल पर होने के बावजूद दोनों की ऑर्गेज़्म तक पहुंचने की यात्रा में लगने वाले समय में अंतर रह जाता है। यही वजह है कि बहुत सारी महिलाएं ऑर्गेज़्म तक नहीं पहुंच पातीं। जिसका असर उनकी फिजिकल, मेंटल और इमोशनल हेल्थ पर पड़ता है। इसलिए आपके लिए हम यहां हर वह बिंदु साझा कर रहे हैं, जो आपको ऑर्गेज़्म (How to reach orgasm) तक पहुंचने में मदद करेगा।
पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया से जुड़े प्लेटफार्म पर फीमेल ऑर्गेज़्म (Female orgasm) पर बात हो रही है। स्त्री की सेक्सुएलिटी को लेकर, उसकी ज़रूरत को लेकर अब भी संशय बना हुआ है। सेक्सोलॉजिस्ट और सेक्स रिसर्चर ऐंड कोच की मानें तो इसकी कई वजहों में से एक वजह है स्त्री और पुरूष में मौजूद ऑर्गेज्म गैप।
संबंध बनाते हुए स्त्री और पुरूष के चरम सुख तक पहुंचने की अवधि और समय अलग-अलग होता है। ऐसा माना जाता है कि महिलाएं, पुरुषों की तुलना में देर से ऑर्गैज़्म तक पहुंचती है। इस बारे में बात करते हुए सेक्स संबंधी विषयों पर रिसर्च कर रही दिल्ली की अनुपमा गर्ग कहती हैं कि इस ऑर्गैज़्म गैप की सबसे बड़ी वजह है फोरप्ले की ज़रूरत को न समझना। भारतीय समाज में सेक्स पर बात करना ही अपने आप में टैबू है। ऐसे में स्त्री ऑर्गेज़्म की बात तो कहीं दब ही जाती हैं।
अनुपमा इस बारे में बात करते हुए आगे कहती हैं कि ऑर्गेज़्म गैप हर महिला के लिए एक जैसा नहीं होता। ठीक उसी तरह जिस तरह ऑर्गेज़्म सभी महिलाओं के लिए एक जैसा नहीं होता। कुछ महिलाएं क्लिटोरिस (clitoris) के स्टिमुलेट (stimulate) होने से, कुछ निप्पल्स के स्टिमुलेट (stimulate) होने से, कुछ इंटरकोर्स से, जबकि कुछ G-spot से ऑर्गेज़्म तक पहुंचती हैं।
सेक्स कोच और थेरेपिस्ट पूजा प्रियंवदा इस बारे में बात करते हुए कहती हैं कि सेक्स में ऑर्गेज्म तक पहुंचने में फोरप्ले और इमोशनल कनेक्ट का बड़ा रोल है। फोरप्ले दो लोगों के बीच की केमिस्ट्री को स्ट्रॉन्ग कर ऑक्सिटोसिन के रिलीज़ होने को आसान बनाता है। ऑर्गेज़्म का सीधा संबंध दिमाग से है इजैकुलेशन से नहीं।
सेक्स कोच और स्टोरी टेलर सीमा आनंद कहती हैं, “ऑर्गेज़्म तक पहुंचने में निश्चित तौर पर फीलिंग्स की महत्वपूर्ण भूमिका है। कडलिंग यानी गले लगना, स्पेशल फील कराने के लिए एक- दूसरे को चूमना, सहलाना उसी कनेक्शन को बनाने में मदद करता है। यह कनेक्शन ऑर्गेज़्मिक गैप को पूरा करने में मदद करता है।”
ओरल सेक्स में अगर पार्टनर के कम्फर्ट और हाइजीन का सही ख़याल रखा जाए तो यह ऑर्गेज़्मिक गैप को भरने के लिए एक बेहतरीन उपाय हो सकता है। ओरल सेक्स में आर्टिफिशियल ल्यूब्रिकेंट्स की ज़रुरत नहीं रह जाती। ल्यूब्रिकेंट का इस्तेमाल निश्चित तौर पर ऑर्गेज़्म तक पहुंचने के कारगर तरीके में से एक हो सकता है।
ऑर्गेज़्म तक पहुंचना निजी संतुष्टि का विषय है जिसका धर्म, अध्यात्म पवित्रता जैसी किसी बात से कोई लेना देना नहीं, न ही इसके लिए कोई तयशुदा नियम हैं मल्टीपल पार्टनर्स के होने और ऑर्गेज़्म तक पहुंचने का संबंध अपने शरीर को समझने से है न कि नैतिकता या चरित्र से।
अपने शरीर को जितना बेहतर समझेंगी उतने ही सलीके से आप अपने और अपने पार्टनर के बीच चरमसुख तक पहुंचने की दूरी ख़त्म कर सकेंगी। इन सबके बीच बेहद ज़रूरी है कि आपका पार्टनर भी आपकी ज़रुरत को समझे और इसका सम्मान करे।
ऑर्गेज़्म तक पहुंचने के इसके अलावा और भी कई तरीके हैं। इसलिए यह कहना कि ऑर्गेज़्म गैप को पूरा करने का एक ही तरीका सभी औरतों के लिए काम करेगा, ठीक नहीं है। कुछ चीज़ें जिनका ध्यान रखा जाना ज़रूरी है, वो हैं – फोरप्ले (सेक्स से पहले की जाने वाली छोटी छोटी चीज़ें जैसे स्पर्श, बातें, आदि),
कामोत्तेजक बातें ( साथी से इस विषय में चैट करना उनको और सहवास के समय मानसिक तौर पर उत्तेजित रखेगा), उनसे लगातार संवाद, स्पर्श जैसे गले लगाना ( cuddling) हग्स, (snuggling), चुंबन (kisses) आदि।
चाहें तो दोनों पार्टनर मिल कर सेक्स टॉयज, या लुब्रिकेंट्स, मूड लाइटिंग, एक्सोटिक फ्रूट्स, का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। मुख्य बात ये है कि यदि महिलाओं के ऑर्गेज़्म गैप की बात हो रही है, तो उनका शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार होना, और खुद की और पार्टनर की बॉडी के साथ कम्फर्टेबल होना सबसे ज़रूरी है।
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