सर्वाइकल कैंसर (Cervical cancer) महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के बाद बहुत तेजी से बढ़ता हुआ दूसरा प्रमुख कैंसर है। दुर्भाग्य से इसकी सबसे बड़ी वजह योनि स्वच्छता (Vaginal hygiene) में की गई लापरवाही है। पर कैपिटा इनकम बढ़ने के बावजूद पीरियड्स हाइजीन (Periods hygiene) के प्रति उस तरह ध्यान नहीं दिया जाता, जिस तरह देना चाहिए। इसलिए आज हमने इस संदर्भ में कुछ जरूरी पीरियड हाइजीन बिंदु शेयर करने का निश्चय किया है। जो आपको सर्वाइकल कैंसर (Tips to avoid cervical cancer) से बचाने में मददगार हो सकते हैं।
यह असल में महिलाओं के जननांग से जुड़ा कैंसर है। यह सर्विक्स की कोशिकाओं को प्रभावित करता है, जो वेजाइना से जुड़ी होती हैं। इसका कारण एचपीवी है, जो जीवन भर में कम से कम एक बार हर महिला को जरूर प्रभावित करता है। इसलिए इससे बचने के लिए विशेषज्ञ योनि स्वच्छता पर ध्यान दिए जाने की वकालत करते हैं।
इस बारे में और विस्तार से जानने के लिए हेल्थशॉट्स ने फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल, फरीदाबाद में निदेशक प्रसूति एवं स्त्री रोग डॉ. नीति कौतिश से बात की। डॉ नीति सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा जागरुकता फैलाने पर ज़ोर देती हैं।
डॉ नीति के अनुसार सर्वाइकल कैंसर के आरंभिक चरण में कोई दर्द नहीं होता और न ही कोई लक्षण दिखायी देते हैं। इसलिए महिलाओं को नियमित रूप से क्लीनिकल जांच करवानी चाहिए और आरंभिक चरण में, जबकि कैंसर का उपचार आसान और संभव है, पैप टैस्ट कराना चाहिए।
यदि कोई लक्षण होते भी हैं तो वे इस प्रकार होते हैं –
असामान्य योनि स्राव – सैक्स के बाद, पीरियड्स के दौरान, मेनोपॉज के बाद, पीरियड्स का अधिक या लंबे समय तक होना।
यौन संसर्ग के दौरान दर्द महसूस होना।
योनि स्राव और दुर्गंध आना
पेल्विस में दर्द, पैरों में सूजन
एचपीवी वायरस महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का कारण बनता है। एचपीवी एक सामान्य वायरस है, जो एक व्यक्ति से दूसरे को सैक्स के दौरन ट्रांसफर होता है। यौन सक्रिय कम से कम आधे लोगों में, अपने जीवन में कभी न कभी एचपीवी जरूर होता है, लेकिन बहुत कम महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर होता है।
अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है कि सर्वाइकल कैंसर से बचाव में हाइजीन की काफी भूमिका है। मासिक धर्म के दौरान, बायोडिग्रेडेबल या कॉटन सैनिट्री नैपकिनों का प्रयोग करें क्योंकि ये आपकी त्वचा के लिए अच्छे होते हैं, त्वचा में खुजली कम होती है, रैशेज़ नहीं होते। भारी-भरकम नैपकिनों के प्रयोग से बचें क्योंकि इनमें ज्यादा नमी रुकती है और ये हवा भी आर-पार नहीं होती।
इसलिए यह जरूरी है कि टीनेज से ही लड़कियों को पीरियड हाइजीन के बारे में सिखाया जाए। मेनोपॉज के बाद भी आपको योनि को साफ, सूखा और स्वच्छ रखने की जरूरत है।
1. त्वचा में रैशेज़, खुजली, संक्रमण आदि को रोकने में सैनिट्री पैड्स की तुलना में मैन्सट्रुअल कप और टैम्पून्स ज्यादा फायदेमंद होते हैं लेकिन इनके भी अपने नुकसान हैं। जैसे कि ये कई बार टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम का कारण बन सकते हैं। टीनेजर्स के लिए सैनिट्री पैड्स उपयुक्त होते हैा और उन्हें सही ढंग से इनका इस्तेमाल करने के बारे में बताया जाना चाहिए।
2. हर 4 से 8 घंटे में पैड बदलने की सलाह दी जानी चहिए। हालांकि पैड कितनी बार बदलना चाहिए यह हरेक के रक्तस्राव पर निर्भर करता है और यही बात किस प्रकार का पैड इस्तेमाल करना है, इस पर भी लागू होती है।
3. यदि आप टैम्पून्स का प्रयोग करते हैं तो हर 5 से 8 घंटे में इन्हें बदलें ताकि दुर्लभ किस्म की लेकिन घातक बीमारी – टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम से बचाव हो सके।
4. रात में सोते समय सैनिट्री पैड का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। ताकि टीएसएस का जोखिम ही नहीं रहे। नए प्रोडक्ट्स के तौर पर अब रीयूज़ेबल सैनिट्री पैड्स भी आ गए हैं जिन्हें हर बार प्रयोग के बाद धोया जा सकता है। मैन्सट्रुअल कपों को हर 12 घंटे बाद खाली किया जाता है और इसके बाद इन्हें धोना पड़ता है।
5. बाजार में उपलब्ध सैनिट्री पैड्स को सिर्फ एक बार इस्तेमाल किया जा सकता है और उसके बाद इन्हें फेंक दिया जाता है। जिन पैड्स को इस्तेमाल के बाद धोना होता है उनका एक नुकसान यह है कि वे पूरी तरह से सैनिटाइज़्ड नहीं भी हो सकते और धुलाई के बाद गीले रह सकते हैं।
6. यह याद रखें कि योनि हमेशा स्वयं साफ-सुथरी रहती है और आपको इसके पीएच बैलेंस के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। योनि के बाहरी भाग की सफाई के लिए साफ पानी का इस्तेमाल करें और यदि कुछ प्रयोग करना ही है, तो किसी जैंटल अनसैंटेड सोप का इस्तेमाल करें और अपनी योनि को आगे से पीछे की तरफ साफ करें ताकि इंफेक्शन न हो।
7. पीरियड्स के दौरान कब और कितनी बार स्नान करें, इस बारे में कोई निश्चित नियम नहीं है, लेकिन हर दिन कम से कम एक बार स्नान जरूर करें। पीरियड्स के दौरान स्नान आपको शारीरिक स्वच्छता बनाए रखने में मदद करता है।
इससे त्वचा में जलन, खुजली या संक्रमण की शिकायत नहीं रहती और यूटीआई, बैक्टीरियल वैजाइनॉसिस या ईस्ट इंफेक्शंस से भी बचाव होता है। रक्तस्राव की वजह से उत्पन्न दुर्गंध अैर बैक्टीरिया आदि का जमाव भी स्नान से दूर होती है।
8. आरामदायक कपड़े (अंडरवियर समेत) पहनें और हल्के रंग के कपड़े पहनने से बचें। हर दिन कम से कम एक बार हाइजिन स्नान लें। टीनेज लड़कियों को पीरियड्स के दौरान हर 4 से 8 घंटे बाद अपना पैड बदलना चाहिए। बायोडिग्रेडेबल या कॉटन सैनिट्री नैपकिन्स का प्रयोग करना बेहतर है।
यह भी पढ़ें – अगर आप डायबिटिक हैं, तो आपके लिए ज्यादा हो सकता है यूटीआई का जोखिम, एक्सपर्ट बता रहे हैं वजह