यह सच है कि वर्किंग वीमेन को दोहरी भूमिका निभानी पड़ती है। प्रोफेशनल और पर्सनल दोनों फ्रंट पर उन्हें जिम्मेदारी पूरी करनी पड़ती है। इस फेर में वे अपने शरीर की देखभाल अच्छी तरह नहीं कर पाती हैं। क्या आपने कभी गौर किया है कि टाइम पर ऑफिस पहुंचने के फेर में आप जल्दी से अपने ऊपर फुल बकेट वाटर उड़ेल कर अपना नहाने का काम पूरा कर लेती हैं। अपने रिप्रोडक्टिव ऑर्गन पर तो कभी ध्यान ही नहीं दे पाती हैं। जबकि यह भी आपका एक महत्वपूर्ण अंग है। शरीर के अन्य अंगों की सुरक्षा के लिए भी इसकी स्वच्छता जरूरी है। यहां हम एक्सपर्ट से जानेंगे कि इंटिमेट पार्ट्स की स्वच्छता क्यों जरूरी है और इसकी स्वच्छता के लिए हमें क्या-क्या करना(5 intimate tips for a healthy women) चाहिए।
सीनियर गायनेकोलोजिस्ट ईशा शर्मा बताती हैं, ‘शरीर के अन्य अंगों की तरह इंटिमेट पार्ट्स की सफाई और स्वच्छता बेहद जरूरी है। न केवल महिलाओं, बल्कि टीन लड़कियों को भी रिप्रोडक्टिव ऑर्गन की साफ़-सफाई पर ध्यान देना चाहिए। यदि योनि और इसके आसपास के क्षेत्र को साफ नहीं किया जाता है, तो गंदी योनि में खासकर पीरियड के दौरान बैक्टीरिया पनप सकते हैं। इसके कारण वेजाइनल ड्राईनेस(Vaginal Dryness), अत्यधिक योनि स्राव(discharge) , योनि से खराब गंध आना, योनि में संक्रमण( Bacterial vaginosis, Yeast Infection) जैसी समस्या हो सकती है। आगे चलकर सर्वाइकल या यूटरस कैंसर का जोखिम भी हो सकता है।
हम सभी रोजाना नहाते हैं। नहाते समय अपने प्राइवेट पार्ट्स को नियमित साफ करना भी जरूरी है। योनि अपनी सफाई खुद करती है, इसलिए सिर्फ पानी से धोना चाहिए। साबुन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। साबुन में योनि की तुलना में अधिक पीएच (PH) होता है। इससे ड्रायनेस या खुजली की समस्या हो सकती है। किसी भी प्रकार के केमिकल या तेज गंध वाले प्रोडक्ट का प्रयोग करने से बचें। महिलाओं को इंटिमेट पार्ट को 2-3 बार धोना चाहिए। इससे हर प्रकार का संक्रमण दूर रहता है।
यूरीन पास करने के बाद या नहाते समय एनल पार्ट (Anal) से वेजाइना की ओर साफ करना चाहिए। सफाई के बाद इसे सुखाना भी जरूरी है। किसी भी प्रकार की नमी से इन्फेक्शन हो सकता है। साफ़ करने से यूटीआई इन्फेक्शन(UTI) से भी बचे रहने में मदद मिलेगी। ध्यान रखें कि सेक्स के बाद भी योनि की सफाई जरूरी है। इसके बाद हाथों को साबुन से धोना नहीं भूलें।
पीरियड्स के समय सफाई का विशेष ख्याल रखें। सैनिटरी पैड, टैम्पोन, कप या आप जिस किसी भी मेनस्ट्रूअल हायजीन प्रोडक्ट का प्रयोग करती हैं, उसे समय-समय पर बदलती रहें। पीरियड के दौरान कॉटन पैंटी का इस्तेमाल करें। गंदा हो जाने पर इसे भी बदलना जरूरी है। मेंस्ट्रुअल कप का उपयोग करने से पहले और बाद में उन्हें इन्फेक्शन रहित करना जरूरी है।
टाइट फिटिंग वाले कपड़े पहनने पर शरीर के अंदर नमी और गर्म वातावरण हो सकता है। इससे फंगल इंफेक्शन होने का डर बना रहता है।
यदि खेलने या फिजिकल एक्टिविटी के बाद पैंटी गीली हो गई है, तो उसे बदलना नहीं भूलें। कोशिश करें कि कपड़े ऐसे हों, जिनसे हवा का प्रवाह अंदर तक हो सके।
यदि आप सार्वजनिक शौचालयों का अक्सर या कभी-कभार भी उपयोग करती हैं, तो आपको अधिक सतर्क होना पड़ेगा। इन स्थानों में संक्रमण होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए अपने साथ छोटे और पोर्टेबल कीटाणुनाशक रखें। इसका प्रयोग करने के बाद टॉयलेट इस्तेमाल करें।
यदि आप उम्र के 40 वर्ष पार कर चुकी हैं, तो नियमित रूप से अपने हेल्थ चेकअप में मैमोग्राफी और पीएपी स्मीयर पेल्विक एग्जामिनेशन को शामिल करें।
साथ ही सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) और हीपेटाइटिस बी(Hepatitis B) के टीके भी जरूर लगवाएं।
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