आपके यौन स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हैं अलसी के बीज, जानिए कैसे लेना है लाभ

पीरियड्स क्रैम्प्स ही नहीं, प्रजनन की आयु में महिलाओं को और भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए विशेषज्ञ महिलाओं को अलसी के बीज खाने की सलाह देते हैं।
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बहुत खास हैं फ्लैक्स सीड्स। चित्र शटरस्टॉक।
Published On: 14 Nov 2022, 09:00 pm IST
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अलसी का उपयोग आमतौर पर पाचन स्वास्थ्य में सुधार करने या कब्ज दूर करने (bowel movement) के लिए किया जाता रहा है। अलसी ब्लड में कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (Bad cholesterol ) के स्तर को कम करने में मदद कर सकती है। इससे हृदय रोग का जोखिम भी कम हो सकता है। पर यदि आप रोज अपनी डाइट में अलसी को शामिल करें, तो यह आपके प्रजनन स्वास्थ्य (flaxseed for women reproductive health) के लिए भी फायदेमंद हो सकती है। जिससे आपके लिए गर्भ धारण (flaxseed for fertility) करना आसान हो जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं, महिलाओं की यौन समस्याओं से भी राहत दिलाने में मददगार हैं अलसी के बीज।

ईरान के आर्काइव्ज ऑफ़ राज़ी इंस्टीट्यूट जर्नल में महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य पर (flax seeds benefits for women’s health) अलसी के फायदों पर दीदारखाह एम, वतनदूस्त एम, डिरांडेह ई और दादाशपुर दावाची एन आदि शोधकर्ताओं के शोध आलेख प्रकाशित हुए। इस स्टडी के अनुसार, रोज अलसी खाने से महिलाओं की प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

प्रजनन स्वास्थ्य के लिए कैसे काम करते हैं अलसी के बीज

इससे गर्भधारण (flaxseed for fertility) की संभावना भी बढ़ सकती है। स्टडी में शामिल महिलाओं को ओव्यूलेशन और मासिक धर्म के बीच की अवधि कम या ज्यादा हो रही थी। अलसी के सेवन से हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में मदद मिली और ओव्यूलेशन और पीरियड के बीच की अवधि भी कुछ हद तक सही हो पाई।
अलसी में मौजूद लिग्नान एस्ट्रोजेनिक और एंटी एस्ट्रोजेनिक प्रभाव वाला (estrogenic and anti estrogenic compound lignan of flax seed) है।

अलसी में, एक प्रकार का फाइटोएस्ट्रोजन लिग्नान सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है। फाइटोएस्ट्रोजन एक प्लांट न्यूट्रीएंट है, जो फीमेल हार्मोन एस्ट्रोजन के समान होता है। फाइटोएस्ट्रोजेन स्वस्थ यौन जीवन से जुड़े होते हैं। लिग्नान एस्ट्रोजेनिक और एंटी एस्ट्रोजेनिक दोनों तरह के प्रभाव वाला माना जाता है।

मेनोपॉज के लक्षणों को कंट्रोल कर सकती है अलसी (Flaxseed can help to control menopause symptom)  

मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में एस्ट्रोजन लेवल कम हो जाता है। ऐसी स्थिति में अलसी में मौजूद फाइटोएस्ट्रोजेन उनके मेनोपॉज के लक्षणों को कंट्रोल कर सकता है। यह एस्ट्रोजन लेवल को बढ़ा देता है। वहीं जिन महिलाओं में एस्ट्रोजन लेवल अधिक हो जाता है, वहां लिग्नान एंटी एस्ट्रोजेनिक प्रभाव वाला हो जाता है। महिलाओं में हाई टेस्टोस्टेरोन के कारण इनफर्टिलिटी और ओबेसिटी की समस्या भी हो सकती है।

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अलसी में मौजूद फाइटोएस्ट्रोजेन उनके मेनोपॉज के लक्षणों को कंट्रोल कर सकता है। चित्र:शटरस्टॉक

लिग्नान आंत में एस्ट्रोजन को बांध लेता है और यह सुनिश्चित करता है कि एस्ट्रोजेन मल में उत्सर्जित हो जाए। साथ ही यह लिवर के माध्यम से ब्लड में एस्ट्रोजन के पुनर्अवशोषण को भी बाधित करता है। इससे भी शरीर का समग्र एस्ट्रोजन लेवल कम हो सकता है।

योनि का सूखापन कम कर सकते हैं अलसी के बीज (flaxseed for vaginal health)

इस्फ़हान चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय की शोधकर्ता मार्जन बेगी के अनुसार, ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ न केवल स्किन शाइन को बढाते हैं, आपके योनि स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देते हैं। इसमें अखरोट, चिया सीड्स और फ्लैक्ससीड्स जैसे खाद्य पदार्थ शामिल हैं। इनमें प्लांट एस्ट्रोजेन, या फाइटोएस्ट्रोजेनपाए जाते हैं, जो योनि के सूखेपन को कम करने में मदद करते हैं।

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पीसीओएस के लक्षणों को कंट्रोल करते हैं फ्लैक्ससीड्स (Flaxseed for PCOS)

एच एच एस पब्लिक एक्सेस जर्नल में प्रकाशित डेबरा ए नोवाक, डेनिस सी स्नायडर के शोध आलेख के अनुसार अलसी महिलाओं में कामेच्छा बढ़ाने के साथ-साथ पीसीओएस की समस्या में सुधार करने में भी मदद करती है। पीसीओएस की समस्या में भी जिन महिलाओं का एंड्रोजेन लेवल बढ़ जाता है, उन्हें जरूर अपने आहार में अलसी के बीज शामिल करने चाहिए।

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अलसी महिलाओं में कामेच्छा बढ़ाने के साथ-साथ पीसीओएस की समस्या में सुधार करने में भी मदद करती है। चित्र : शटरस्टॉक ।

इस स्टडी में पीड़ित महिलाओं को 4 महीने तक लगातार 30 ग्राम अलसी प्रतिदिन दी गई। 4 महीने बाद जांच में एंड्रोजेन लेवल कम पाया गया। शोध के अनुसार, 1 टेबलस्पून अलसी का सेवन सुबह या रात किसी भी समय किया जा सकता है। इसमें फाइबर और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। इसके कारण इसका सेवन मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया को भी बढ़ावा देता है।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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