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पीसीओएस में भी राहत देता है केला, जानिए महिलाओं के लिए क्यों जरूरी है केला खाना

पोलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के कारण महिलाओं को कई तरह की समस्या हो सकती है। पीसीओएस की समस्याओं को दूर करने के लिए आप रोज खा सकती केला। जानें इस्तेमाल का तरीका।
Published On: 3 Mar 2023, 09:00 pm IST
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kela pcos se raahat dilata hai
केला में मौजूद पोषक तत्व मैग्नीशियम तनाव को रिलीज करता है, सूजन को कम करता है। साथ ही हार्मोनल असंतुलन को भी ठीक करता है। चित्र : एडोबी स्टॉक

महिलाओं को रीप्रोडकटिव ऐज में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इनमें से एक है हार्मोन की समस्या। हार्मोन की समस्या (Hormonal Problem) के कारण महिलाओं को पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome-PCOS) की समस्या हो सकती है।एक्सपर्ट बताते हैं कि पीसीओएस की समस्या होने पर दिन की शुरुआत चाय-कॉफ़ी की बजाय एक केले से करनी चाहिए। केला इस समस्या (Banana for PCOS) से निपटने में मदद कर सकता है।

कैसे होता है पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome) 

पीसीओएस वाली महिलाओं में अक्सर ओवरी मेल हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का अधिक प्रोडक्शन कर देता है और फीमेल हार्मोन एस्ट्रोजेन का प्रोडक्शन कम हो जाता है। इससे मेल हॉर्मोन एण्ड्रोजन का लेवल हाई हो जाता है। इसके कारण ओवुलेशन (Ovulation) नहीं हो पाता है। इससे ओवरी पर कई छोटे सिस्ट हो जाते हैं। पीसीओएस के कारण अनियमित पीरियड, चेहरे पर बड़े बाल आना, इनफर्टिलिटी, वेट गेन की भी समस्या हो सकती है।

बाज़ार से कपड़े के थैले में ही घर लायें केला

सेलिब्रिटी फिटनेस एक्सपर्ट और नुट्रिसनिष्ट रुजुता दिवेकर अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में बताती हैं कि जिन्हें पीसेओएस है और शुगर की क्रेविंग भी होती है, उनके लिए सबसे बढ़िया हैं केले। केला पाचन प्रक्रिया में भी मददगार है। हमेशा ताज़ा और और केले की स्थानीय किस्म ही खरीदें। सप्ताह में कम से कम 2-3 बार खरीदें। इन्हें प्लास्टिक की थैलियों में घर नहीं लाएं। इसकी बजाय कपड़े के थैले में लायें। ये अधिक स्वास्थ्यकर होगा। इससे केला के पोषक तत्व बरकरार रहेंगे। इस पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा। केले खाने के 15 मिनट या आधे घंटे बाद कुछ हल्का खा सकती हैं। इसके बाद सादा पानी, चाय या कॉफ़ी पी सकती हैं।

जानिए क्यों जरूरी है केला खाना

केला पीसीओएस की समस्या से राहत दिलाने में मददगार हो सकता है। केला में 75 प्रतिशत पानी मौजूद होता है। इसके अलावा यह फाइबर, पोटैशियम, विटामिन बी 6, विटामिन सी और कई एंटीऑक्सिडेंट और फाइटोन्यूट्रिएंट्स का एक हेल्दी स्रोत है। इसमें पोटैशियम हाई मात्रा में उपलब्ध होता है, जबकि शुगर की मात्रा कम होती है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से पीड़ित महिलाएं हाइपरिन्सुलिनमिया (Hyperinsulinemia) की समस्या से भी जूझ सकती हैं। केले से प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के बीच संतुलन बना रह सकता है। केला आंतों को अन्य खाद्य पदार्थों से खनिजों को अवशोषित करने में भी मदद करता है।

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क्या है हाइपरिन्सुलिनमिया (Hyperinsulinemia)

पीसीओएस के कारण महिलाओं में इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin Resistance) या हाइपरिन्सुलिनमिया (Hyperinsulinemia) हो सकता है। ग्लूकोज मेटाबोलिज्म पर इंसुलिन के प्रभावों का प्रतिरोध होने पर यह समस्या होती है। यह सीधे ओवेरियन और डक्टलेस ग्लैंड में एण्ड्रोजन संश्लेषण को प्रोत्साहित करता है। इससे फोलिकुलर मैचुरेशन को बढ़ाता है। इससे एनोवुलेटरी इनफर्टिलिटी की समस्या अधिक होती है।

केले का कम होता है ग्लाइसेमिक इंडेक्स

केले में अपेक्षाकृत कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (Glycemic Index) होता है। यह 42-58 के बीच होता है। पकने के बाद केले का जी आई बढ़ जाता है। जीआई अधिक होने पर भोजन में जल्दी से कार्ब्स ब्लड फ्लो में प्रवेश कर जाते हैं और ब्लड शुगर को बढ़ा देते हैं। रेसिस्टेंट स्टार्च और हाई फाइबर की वजह से केले की कम जीआई होती है।

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अन्य फलों की  तुलना में केले का ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है। यह 42-58 के बीच होता है। चित्र : शटरस्टॉक

मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थ

केला में मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में उपलब्ध होता है। केला के अलावा काजू, बादाम, एवोकाडो और हरी पत्तेदार सब्जियों में भी मैग्नीशियम पाया जाता है। ओवेरियन सिस्ट के कारण होने वाले क्रेम्प या ऐंठन से भी राहत दिलाने वाले आहार में से एक है केला। केला में मौजूद पोषक तत्व मैग्नीशियम तनाव को रिलीज करता है, सूजन को कम करता है। साथ ही हार्मोनल असंतुलन को भी ठीक करता है।

मिल्कशेक या स्मूदी के रूप में भी ले सकती हैं

अगर आप पीसीओएस की समस्या से जूझ रही हैं, तो अपने आहार में केले को शामिल करना होगा। यदि आप रॉ बनाना नहीं खा सकती हैं, तो मिल्कशेक या स्मूदी के रूप में भी ले सकती हैं।

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यदि आप रॉ बनाना नहीं खा सकती हैं, तो मिल्कशेक या स्मूदी के रूप में भी ले सकती हैं। चित्र : शटरस्टॉक।

किसी को यदि केला पसंद नहीं है, तो वे किसी भी लोकल या मौसमी फ्रूट का चुनाव कर सकती हैं। इनसे भी फायदा मिलेगा।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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