इन दिनों टीन एज ग्रुप की लड़कियों में मेनस्ट्रुअल पीरियड छोटी उम्र में ही स्टार्ट हो जाता है। जहां पहले यह 14-16 साल के बीच होता था। अब यह 9-12 वर्ष की उम्र में शुरू होते हुए देखा जा रहा है। इसके साथ ही अन्य कई समस्याओं की आशंका होने लगती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। आइये जानते हैं, क्यों लड़कियों में जल्दी पीरियड स्टार्ट (Early Periods in girls) हो जाता है और इसके कारण उन्हें कौन-कौन सी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है?
गायनेकोलॉजिस्ट और सेक्सोलोजिस्ट डॉ. अंजलि कुमार अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में बताती हैं, ‘ इन दिनों लडकियों में पहला पीरियड जल्दी स्टार्ट हो जाता है। पहला पीरियड स्टार्ट होने को मेनार्चे (Menarche) कहा जाता है। मासिक धर्म आमतौर पर 10 से 16 वर्ष की आयु के बीच होता है। इन दिनों मेनार्चे (Menarche Age) की औसत आयु 12.4 वर्ष है। यह सच है कि जेनेटिक कारणों से यह पहले या बाद में भी हो सकता है। यदि लड़की की मां या दादी का कम उम्र में पीरियड स्टार्ट हो गया है, तो उसके साथ भी ऐसा हो सकता है। हालांकि इन दिनों कई अन्य कारक भी जिम्मेदार हैं।
यदि किशोर उम्र में लड़के या लडकियां मोबाइल, टीवी, लैपटॉप की स्क्रीन लगातार देखते रहते हैं, तो मेलाटोनिन रिलीज (Melatonin Release) में कई घंटों की देरी हो सकती है। इससे बॉडी क्लॉक (Body Clock) पर प्रभाव पड़ता है। यह डीसिंक्रनाइज़ हो सकता है। एक बार जब यह बाधित हो जाती है, तो सभी प्रकार की अस्वास्थ्यकर प्रतिक्रियाएं (Unhealthy Reactions) होने लगती हैं। इनमें हार्मोन असंतुलन (Hormonal Imbalance) और मस्तिष्क की सूजन प्रमुख हैं। दूसरी ओर टैबलेट और स्मार्टफोन के नियमित उपयोग से नीली रोशनी के अधिक संपर्क में हम आते हैं। इससे हार्मोन लेवल बदल सकता है। इससे समय से पहले पयूबर्टी एज होने का खतरा बढ़ जाता है।
यह भी मोटे तौर पर स्क्रीन टाइम के साथ जुड़ा हुआ है। स्क्रीन टाइम अधिक होने के कारण बच्चों की फिजिकल एक्टिविटी न के बराबर हो गई है। गहन शारीरिक प्रशिक्षण और नेगेटिव एनर्जी बैलेंस पयूबर्टी हाइपोथैलेमिक पिट्यूटरी सेट बिंदु को बदल देते हैं। ये प्री ब्यूबर्टल चरण को लंबा खींचते हैं। इससे युवावस्था के विकास और मेनार्चे में देरी होती है।
कम पोषक तत्वों वाले आहार लेने से बच्चे जल्दी पयूबर्टी एज में प्रवेश करते हैं। प्रोसेस्ड फ़ूड और फास्ट फूड से भरपूर आहार सामान्य शारीरिक विकास को रोकते हैं।
मोटापे से ग्रस्त बच्चों में अत्यधिक लेप्टिन का सीक्रेशन और सेक्स हार्मोन लेवल में वृद्धि होती है। इससे प्यूबर्टल डेवलपमेंट जल्दी हो सकता है।
1 यह पीसीओ एस (PCOS) के जोखिम को बढ़ा सकता है।
2 टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) के जोखिम को बढ़ा देता है।
3 जेनेटिक पोटेंशियल के बावजूद हाईट कम हो सकती है।
टीन एज में स्क्रीन टाइम पर कंट्रोल करना बेहद जरूरी है। फिजिकल एक्टिविटी से जोड़ने, योगासन, एक्सरसाइज नियमित रूप से करवाने पर मेनार्चे को कुछ कद तक आगे बढ़ाया जा सकता है। साथ ही पोषक तत्वों से भरपूर भोजन खाने की आदत बचपन में ही डालनी होगी। प्रोसेस्ड और शुगरी फ़ूड के नुकसान को भी उन्हें समझाना होगा।
डॉ. अंजलि कहती हैं, ‘यदि आप एक टीनएज लड़की की मां हैं, तो इन बातों को समझने के लिए अपने गायनेकोलोजिस्ट से जरूर मिलें। यदि किसी लड़की का मेनार्चे फेज शुरू हो गया है, तो उन्हें शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तनों के लिए तैयार करना महत्वपूर्ण है।’
यह भी पढ़ें :-डियर लेडीज, अपने शरीर में होने वाली इन 5 चीजों के लिए बिल्कुल भी न हों शर्मिंदा, ये हैं बिल्कुल नाॅर्मल