ज्यादातर लोगों के लिए सेक्स प्लेजरेबल और एक फील गुड एक्टिविटी है। हालांकि, सेक्स केवल प्लेजर नहीं देता, बल्कि सेहत के लिए भी तमाम रूपों में फायदेमंद हो सकता है, परंतु कुछ लोगों के लिए सेक्स परेशानी का कारण बन जाता है। कई ऐसे भी कपल्स हैं जिन्हें सेक्सुअल प्लेजर के बाद कुछ हेल्थ कंडीशंस का सामना करना पड़ सकता है, जिसे आमतौर पर “पोस्ट सेक्स सिम्पटम” कहा जाता है। पोस्ट सेक्स सिम्पटम सेक्सुअल प्लेजर या ऑर्गेज्म के बाद शुरू होते हैं और काफी लंबे समय तक बने रहते हैं। हालांकि, आप चाहे तो इन लक्षणों पर आसानी से नियंत्रण पा सकती हैं।
यदि आपमें भी सेक्स के बाद किसी हेल्थ कंडीशन के लक्षण देखने को मिलते हैं, तो परेशान न हो! आज हेल्थ शॉट्स के साथ जानेंगे ऐसे ही कुछ सिम्टम्स (post sex symptoms) के बारे में साथ ही साथ जानेंगे इनसे डील करने के कुछ प्रभावी उपाय।
सेक्स के दौरान या इंटरकोर्स के बाद सिर दर्द ट्रिगर होना बिल्कुल सामान्य है। वहीं यदि किसी व्यक्ति को माइग्रेन है तो उनमें सेक्सुअल इंटरकोर्स और ऑर्गेजम के बाद सिरदर्द ट्रिगर होने का खतरा अधिक होता है। नेशनल हेडेक फाउंडेशन के अनुसार इंटरकोर्स के दौरान जब शरीर अधिक उत्तेजित होती है, तो गर्दन और सिर की मांसपेशियों में कांट्रेक्शन होता है, ऐसे में सिर दर्द का सामना करना पड़ सकता है।
अमेरिकन माइग्रेन फाउंडेशन के अनुसार जैसे ही आपको सिर दर्द का एहसास हो, फौरन सेक्सुअल एक्टिविटी को रोक दें, अन्यथा यह अधिक तेजी से ट्रिगर हो सकता है। यदि आपको माइग्रेन है तो अपनी एंटी इन्फ्लेमेटरी पेन रिलीवर लें। वहीं समस्या हर सेक्सुअल इंटरकोर्स के बाद हो रही है, तो आपको हेल्थ केयर प्रोफेशनल से सलाह लेने की आवश्यकता है।
यदि आपको अस्थमा है और यह पूरी तरह से नियंत्रित नहीं है, तो सेक्सुअल इंटरकोर्स के दौरान यह ट्रिगर हो सकता है। ठीक उसी प्रकार जैसे एक्सरसाइज इसे ट्रिगर करता है। बीएमजी ओपन रेस्पिरेटरी रिसर्च के अनुसार अस्थमा ट्रिगर होने पर इंटरकोर्स के दौरान आपको चेस्ट टाइटनिंग, सांस लेने में तकलीफ, खांसी, छींक आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वहीं रिसर्च के अनुसार अस्थमा का प्रभाव फिजिकल और इमोशनल इंटिमेसी दोनों पर पड़ता है। अस्थमा के साथ-साथ यदि आप एंजाइटी की समस्या से पीड़ित हैं तो ऑर्गेज्म के दौरान अस्थमा अटैक आने का खतरा अधिक होता है, जो सीधे आपके रिश्ते को प्रभावित कर सकता है।
सेक्सुअल इंटरकोर्स के दौरान अस्थमा ट्रिगर्स को रोकने के लिए अपने मेडिकेशंस पर ध्यान दें। देखें कि आपका अस्थमा पूरी तरह कंट्रोल है या नहीं। इसके अलावा खुद को एंजायटी, डिप्रैशन जैसी स्थितियों से जितना हो सके उतना बचाने की कोशिश करें। इसके अलावा इंटरकोर्स के पहले इनहेलर का इस्तेमाल करें, यह ट्रिगर्स को रोकने में मददगार हो सकता है।
सेक्सुअल पोजिशन भी बेहद मायने रखती हैं, इसलिए साधारण और सामान्य पोजीशन में सेक्स करें। किसी ऐसे पोजीशन में न आए जिससे कि आपके चेस्ट पर अधिक भार पड़ रहा हो। इसके साथ ही वाइल्ड और फास्ट सेक्स न करें गति को सामान्य रखने का प्रयास करें। यदि सेक्सुअल गतिविधि के दौरान आपको अस्थमा ट्रिगर के एक प्रतिशत संभावना भी महसूस हो तो आपको फौरन रुक जाना चाहिए।
यदि आपको सेक्स के बाद उदासी और दुख का एहसास होता है, तो हो सकता है आप पोस्ट कोइटल डिस्फोरिया से ग्रसित हों। यह एक प्रकार की स्थिति है जिसमें अक्सर महिलाएं शारीरिक संबंध बनाने के बाद दुखी हो जाती हैं। वहीं कई महिलाओं में मूड स्विंग्स देखने को मिलता है साथ ही साथ वह रोना शुरू कर देती हैं। जनरल सेक्सुअल मेडिसिन में प्रकाशित एक रिसर्च में 230 महिलाओं को शामिल किया गया 46 प्रतिशत महिलाओं ने कभी न कभी पोस्ट कोइटल डिस्फोरिया का अनुभव जरूर किया था। वहीं 5% महिलाओं में यह काफी फ्रिक्वेंटली देखने को मिला।
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इन भावनात्मक समस्याओं का आपके रिश्ते पर बेहद नकारात्मक असर पड़ सकता है, परंतु यदि आप कोशिश करें तो इस पर नियंत्रण पा अपने रिश्ते को फिजिकली और इमोशनली दोनों रूप से मजबूत बना सकती हैं। इसके लिए सेक्स के पहले और सेक्स के बाद डीप ब्रीदिंग टेक्निक अपनाएं, म्यूजिक के साथ सेक्स करें और सेक्स के बाद म्यूजिक को बजता हुआ छोड़ दें।
ऑर्गेज्म के बाद तुरंत पार्टनर से अलग न हो उन्हें कडल करें और उनसे बातचीत करें। अपनी भावनाओं को अपने बेडमेट के साथ में बाटें। यदि आपको उनसे किसी चीज की उम्मीद है, जैसे कि कडलिंग, किसिंग आदि तो उनसे खुलकर इस बारे में चर्चा करें। वहीं आप उन्हें अपनी पोस्ट कोइटल डिस्फोरिया की स्थिति के बारे में भी बता सकती हैं, ताकि आप और आपके पार्टनर दोनों मिलकर इसे हैंडल कर सकें।
यदि आप एक रात में कई बार सेक्स कर रही हैं और सुबह उठने के बाद आपको जलन, दर्द, खुजली और बार-बार यूरिन पास करने जाना पड़ रहा है तो आप यूटीआई की शिकार हो चुकी हैं। सेक्स के बाद प्रोटेक्शन का इस्तेमाल न करना या हाइजीन को नजरअंदाज करना इस समस्या के दो सबसे बड़े कारण हैं।
यूटीआई की स्थिति में वेजाइनल स्किन और यूरेथ्रा में माइक्रोस्कोपिक टियर देखने को मिल सकता है। इसके अलावा ब्लैडर लाइनिंग में इन्फ्लेमेशन भी हो जाता है। यदि यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो किडनी और लीवर तक को प्रभावित कर सकती है।
जर्नल ऑफ़ जनरल इंटरनल मेडिसिन द्वारा प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार यदि यूटीआई की स्थिति में फीवर, बॉडी पेन, ठंड और वेजाइना में असामान्य परेशानियों का अनुभव हो रहा है, तो फौरन डॉक्टर से मिलें और ट्रीटमेंट शुरू करवाएं। इसके अलावा हाइजीन का पूरा ध्यान रखें। साथ ही साथ यूटीआई के दौरान किसी भी प्रकार के सेक्सुअल एक्टिविटी में भाग लेने से बचें, अन्यथा यह अधिक तेजी से ट्रिगर हो सकता है।