सेक्स और अंतरंगता कुछ सबसे बड़े टैबू (taboos) हैं, जो हमारे समाज में मौजूद हैं। यह केवल इसलिए हैं क्योंकि हमारे पास इसके बारे में जानने के लिए बहुत कुछ है। महिलाओं के रूप में, हमें हमेशा अपने यौन पक्ष को लेकर सहज होने से रोकता है। यह समाज में “वास्तविक महिला” के आदर्श के खिलाफ जाता है। इस कांच के पर्दे को तोड़ने में सदियां लगी हैं। इसके बावजूद हम महिलाओं की मुक्ति (women’s liberation) के मामले में कितने पिछड़े हुए हैं।
यह समझने के लिए कि यौन सुख बेहद सशक्त और आत्मविश्वास से भरा हो सकता है। इसको लेकर अभी भी बहुत काम किया जाना है।
महिलाओं की शादी से पहले ’शुद्ध’ कुंवारी (‘pure’ virgins) होने की उम्मीद की जाती है। जबकि पुरुषों के साथ ऐसा नहीं है। इसलिए हमें उस शर्म और कलंक का सामना करना पड़ता है, जो यौन जागरूकता के साथ आता है। सेक्स किसी के लिए भी सशक्त हो सकता है, विशेष रूप से महिलाओं के लिए और यह समय है कि हम इसे पूर्ण रूप से अपनाएं।
हमारी कामुकता हमारी मानवता में गहराई से निहित है, क्योंकि हम सभी दो लोगों के बीच होने वाली अंतरंगता से पैदा हुए थे। अपने शरीर को प्यार करने और भौतिक सुखों की मांग करने में कोई शर्म वाली बात नहीं है, क्योंकि यह सशक्त और पूरा करने में मदद कर सकता है।
सुख समग्र हो सकता है और यह हमेशा सेक्स के अभ्यास में संलग्न होने के बारे में नहीं है। बल्कि यह मानसिक कल्याण, शरीर-आत्मविश्वास और आत्म-प्रेम के आसपास केंद्रित है। हमें इस विश्वास को खत्म करना होगा कि सेक्स निंदनीय है।
स्वस्थ यौन संबंध रखने में सक्षम होना भी हमारे पूरे होने का एक महत्वपूर्ण पहलू है और समग्र रूप से हमारी पहचान पर प्रभाव डाल सकता है। हमारी यौन जरूरतों को नकारने या छिपाने का मतलब नहीं है, बल्कि इसे स्वीकार, प्यार करने के साथ ही इसे एक्सप्लोर किया जाना चाहिए।
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मनुष्य यौन प्राणी है। मनुष्य भी आध्यात्मिक है। आध्यात्मिकता एक अवधारणा है जो व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होती है। यह अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के कारण बहुत मायने रखती है, जो यह हमारी जीवन निभाती है, क्योंकि हम समाज के माध्यम से अपना काम करते हैं।
आध्यात्मिकता इसमें भी भूमिका निभाती है कि हम कामुकता को कैसे देखते और परिभाषित करते हैं और यह हमेशा काले और सफेद के रूप में नहीं होता है जैसा कि हम कभी-कभी करते हैं।
मैं आमतौर पर कहती हूं: “हमेशा अपने आध्यात्मिक सच को बोलो चाहे वह कितना भी कठिन हो” और यह आत्म-ज्ञान से शुरू होता है। अपने अच्छे पक्ष के साथ ही अपनी कमजोरियों को भी जानें। आत्म-ज्ञान (self-knowledge) होने से आप खुद का एक बेहतर संस्करण बना सकती हैं जो सामाजिक अपेक्षा और सांसारिक विश्वासों से परे है।
कामुकता और आध्यात्मिकता आपस में जुड़ी हुई हैं और यह आत्म-नेतृत्व (self-leadership) और स्वतंत्रता के स्थान को खोजती है और खुद को उस व्यक्ति के रूप में स्वीकार करती है जो आप वास्तव में बनना चाहती हैं।
मेरा महत्वाकांक्षी पक्ष हमेशा उन लोगों द्वारा बहुत अधिक माना जाता था, जिन्होंने मुझे चुप कराने की कोशिश की और मुझे एक कोने में डाल दिया। कई वर्षों के संघर्ष और तलाक के बाद, मुझे एहसास हुआ कि मुझे उस व्यक्ति के रूप में खुद के प्रति सच्चे होने की जरूरत है।
जैसे आध्यात्मिकता, कामुकता और महत्वाकांक्षा के बारे में डरने या शर्म करने के लिए कुछ भी नहीं है- खासकर अगर आप मेरे जैसी एक महिला हैं जो विश्वास करती है कि वह खुद को और अधिक पूरा कर सकती है।
महत्वाकांक्षा हमारे भीतर मन, आत्मा और शरीर और यहां तक कि बच्चों की इच्छा तक को बढ़ा सकती है। महत्वाकांक्षी महिला होना कभी भी एक आसान यात्रा नहीं है। हमारे परिवार और स्वयं के व्यवसायों को खिलाने को लेकर हमारे भीतर महत्वाकांक्षा है, बेडरूम में या उसके बाहर उस प्यार को व्यक्त करने के साथ आने वाले सुखों का अनुभव करते हुए प्यार पाने की चाह में भी महत्वाकांक्षा है।
महत्वाकांक्षा में एक आजीवन सपने का पीछा करना या बच्चों को पालने के लिए घर पर एक मां बनकर रहना भी शामिल हो सकता है। आपकी सभी महत्वाकांक्षाएं मायने रखती हैं, लेकिन इसके लिए निरंतर आत्म-अध्ययन और मौलिक विकास की आवश्यकता होती है।
याद रखें कि हमें अपने आध्यात्मिक पक्ष बनाम हमारे यौन पक्ष या हमारे स्त्री पक्ष बनाम हमारे महत्वाकांक्षी पक्ष के बीच चयन नहीं करना है। आत्म-जागरूकता यह जानने की दिशा में पहला कदम है कि आप कौन हैं और आप के कौन से उपहार दुनिया के साथ साझा किए जा सकते हैं!
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