सेल्फ पलेज़र पाने के लिए मासटरबेशन (masturbation) करना एक आसान उपाय है। हांलाकि मास्टरबेट को लेकर लोगों के मन में बहुत से मिथ्स भी है। आमतौर पर इस गतिविधि का शरीर पर किसी भी तरह का हानिकारक प्रभाव नहीं होता है। बहुत से लोग खुद की खुशी के लिए सेक्स टॉयज़ (sex toys) और वाइब्रेटर का भी प्रयोग करते हैं। इसे करने से आप कहीं न कहीं यौन तनाव से भी दूर रहते है। पर अगर मास्टरबेशन के दौरान आप हाइजीन का ख्याल नहीं रखते या इसका जरूरत से ज्यादा अभ्यास करते हैं, तो इसके नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं (Masturbation effects on Brain)।
इस बारे में राजकीय मेडिकल कालेज हल्दवानी में मनोवैज्ञानिक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि मासटरबेशन मूड बूस्टर का काम करता है। इससे शरीर में हैप्पी और लव हार्मोंस रिलीज़ होते है। इससे व्यक्ति खुद को एनर्जेटिक महसूस करता है। मासटरबेशन हमारी मेंटल हेल्थ को मज़बूत बनाता है। हांलाकि कई बार कम उम्र के बच्चों में अवेयरनेस न होने के कारण मासटरबेशन यानि हस्तमैथुन उनके लिए परेशानी का कारण भी बन सकता है। मगर इसको लेकर फैले कई मिथ्स पूरी तरह से गलत है।
मास्टरबेट करने से शरीर से ऑक्सीटोसिन हार्मोन (Oxytocin hormone) रिलीज़ होता है। इससे शरीर में मौजूद स्ट्रेस हार्मोन यानि कार्टिसोल कम होने लगता है। इससे बॉडी रिलैक्स हो जाती है। इसके अलावा प्रोलैक्टिन भी तनाव की कंडीशन से बाहर निकलने में मददगार साबित होता है।
नींद न आना एक आम समस्या है। मास्टरबेशन से शरीर में हार्मोन के अलावा न्यूरोट्रांसमीटर(neurotransmitters) भी रिलीज होता है। इससे स्ट्रेस लेवल के अलावा ब्लड प्रेशर कंट्रोल (blood pressure control) हो जाता है। इससे नींद भी अच्छी तरह से आती है। मेडिकल न्यूज टुडे के एक रिसर्च के मुताबिक साल 2019 में 778 लोगों पर एक स्टडी की गई। इसमें पाया गया कि मास्टरबेट करने से सोने में न सिर्फ समय कम लगता है बल्कि नींद की क्वालिटी में भी सुधार पाया गया है।
मास्टरबेशन से शरीर में डोपामाइन, ऑक्सीटोसिन और एंडोर्फिन हार्मोन ंरिलीज़ होते है। डोपामाइन को हैप्पी हार्मोंन कहा जाता है। इससे न केवल मानसिक तौर पर मज़बूती मिलती है बल्कि किसी काम को करने के लिए मोटिवेशन भी मिलती है। वहीं ऑक्सीटोसिन शरीर को व्यवहारिक और साइकॉलोजिकल तरीके से प्रभावित करने का काम करता है। एंडोर्फिन में भी फील गुड फैक्टर पाया जाता है। इसके अलावा ये शरीर में होने वाले कई प्रकार के दर्द को भी दूर करता है।
इससे हार्मोनस और न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर में बढ़ोतरी दर्ज की जाती है। इससे व्यक्ति की याददाश्त और लर्निंग को बढ़ाने के साथ साथ फोकस और एकाग्रता में भी सुधार दर्ज किया गया है।
2020 के एक अध्ययन के मुताबिक फोकस और एकाग्रता में सुधार के लिए खाई जाने वाली दवाओं के ज़रिए डोपामाइन के लेवल को बढ़ाकर और कठिन कार्यों को पूरा करने में मददगार साबित हो सकता है।
जहां एक तरफ मास्टरबेट करने से शरीर में कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं। वहीं इसको एक्सेसिव मात्रा में करने से शरीर को कई मुश्किलात का भी सामना करना पड़ सकता है। इसके चलते स्किन का फटना, जेनिटल्स में सूजन और क्रैम्पस की समस्या बड़ने लगती है।
अमेरिकन सायकॉलोजिकल एसोसिएशन के मुताबिक सेक्स एडिक्शन को मेंटल हेल्थ कंडीशन का नाम नहीं दिया गया है। अन्य स्पेशलिस्ट के मुताबिक एक्सेसिव मास्टरबेशन कम्प्लसिव सेक्सुअल बिहेवियर यानि सीएसडी माना जाता है।
अल्ज़ाइमर
बाइपोलर डिसऑर्डर
पिक की बीमारी
क्लेन.लेविन सिंड्रोम
ओबसेसिव कंपलसिव डिसऑर्डर
जो लोग ज्यादा मासटरबेट करते हैं, उन्हें ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। वे आसानी से नई चीजों को एडोप्ट नहीं कर पाते हैं। कई बार छोटी सी चीज़ को समझने में भी उन्हें कई परेशानियों से होकर गुज़रना पड़ता है।
ज्यादा मासटरबेशन से कई बार व्यक्ति अपना आत्मविश्वास खोने लगता है। इसके चलते उन्हें दूसरों से बातचीत करने में हिचक का अनुभव होता है।
मासटरबेट करके कुछ लोग खुद को सेटिसफाई कर लेते है। ऐसे में उनका पार्टनर संतुष्ट नहीं हो पाता है। इससे रिश्तों में तनाव बढ़ने लगता है। धीरे धीरे यौन संबध बनाने की इच्छा में कमी आने लगती है।
अगर आप बार बार अपने आनंद को बढ़ाने के लिए मासटरबेट करते हैं, तो इसका प्रभाव आपकी कामेच्छा पर भी देखने को मिलता है। इससे आपकी सेक्स ड्राइव प्रभावित होती है। आप खुद को सेक्स से दूर करने लगते हैं।
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