हम जब मेनोपॉज(Menopause) फेज में आते हैं, तो हमारा मूड स्विंग(Mood Swing) होने लगता है। हम छोटी-छोटी बात पर चिढ़ने लगते हैं। थकान(Fatigue), हॉट फ्लेशेज(Hot Flashes), सेक्सुअल डिजायर(Sexual Desire) में कमी भी इसके लक्षण हो सकते हैं। क्या आपके पार्टनर भी बात-बात पर झल्ला उठते हैं? उनमें कुछ दिनों से चिड़चिड़ापन दिखता है। उनका ये व्यवहार हॉर्मोन की कमी के कारण हो सकता (deficiency of the testosterone hormone may cause male irritability)है। कौन सा है ये हॉर्मोन(testosterone hormone deficiency)? क्या यह मेल मेनोपॉज है? इसके लिए हमने बात की फोर्टिस हॉस्पिटल, कांगड़ा में एंडोक्रिनोलोजिस्ट डॉ. पवन शर्मा से।
डॉ. पवन कहते हैं, ‘जैसे-जैसे उम्र बढती है, कुछ पुरुषों में थकान(Fatigue), एंग्जाइटी (Anxiety), बैली फैट (Belly Fat) जैसे बदलाव दिखने लगते हैं। ये बदलाव मेल हॉर्मोन टेस्टोस्टेरोन (testosterone hormone deficiency) और एस्ट्रोजेन में कमी के कारण दिखाई दे सकते हैं, पर इसे मेल मेनोपॉज नहीं कहा जा सकता है। महिलाओं में एस्ट्रोजेन हॉर्मोन की कमी एकाएक होने लगती है। जबकि पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन में कमी धीरे-धीरे आती है। शोध बताते हैं कि 35 के बाद हर साल टेस्टोस्टेरोन में कमी 1-2 प्रतिशत होती है। 70 वर्ष होने तक में यह हॉर्मोन काफी कम हो जाता है। इसके कारण सेक्सुअल डिजायर(Sexual Desire) में कमी, इरेक्टाइल डिसफंक्शन (Erectile Dysfunction) हो सकता है। पर हर पुरुष में एंग्जाइटी या डिप्रेशन और मोटापे की समस्या को टेस्टोस्टेरोन की कमी से नहीं जोड़ा जा सकता है।’
बहुत अधिक जंक फ़ूड खाने से मोटापा बढ़ जाता है। वहीं मोटापे के कारण भी यह समस्या हो सकती है। पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन की कमी में प्रदूषण भी जोखिम कारक साबित हो सकता है। इन दिनों वातावरण में मौजूद प्रदूषण महिलाओं में अर्ली एज मेनोपॉज का कारण बन रहा है। यही समस्या पुरुषों में भी हो सकती है।
डॉ. पवन कहते हैं, ‘जब पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन की कमी होती है, तो इसे हाइपोगोनाडिज़म (Hypogonadism) कहते हैं।
डिप्रेशन, स्ट्रेस और चिड़चिड़ापन
थकान, एंग्जाइटी, किसी भी काम को करने का मन नहीं करना,
आलस्य
ज्यादा देर वर्कआउट(workout) नहीं कर पाना
एनर्जी में कमी होना
थोडा काम करने पर भी पसीना आना, बैली फैट बढ़ना आदि लक्षण हो सकते हैं
सेक्सुअल डिजायर में कमी आदि लक्षण हो सकते हैं।
कई बार खानपान में पोषक तत्वों की कमी से भी ये समस्या होती है। यदि आपके पार्टनर ऊपर बताये गये लक्षणों का अनुभव करते हैं, तो सबसे पहले अपने खानपान पर ध्यान दें। सबसे पहले अपने भोजन से जंक फ़ूड को बाहर कर दें। कई बार प्रोटीन रिच और हाई फाइबर डाइट की कमी से भी ऐसा होता है। इन दोनों को अपने आहार में प्रचूर मात्रा में शामिल करें।
दाल, पनीर, साग, मछली, सोयाबीन, चिकन, अंडा आदि खाएं। मौसमी फलों के सेवन से भी फायदा पहुंचता है।
जरूरी नहीं है कि मूड स्विंग (Mood Swing) करने का मतलब टेस्टोस्टेरोन में आई कमी ही हो। मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम होने पर भी ऐसा हो सकता है। फिर उन्हें किसी सायकोलॉजिस्ट से सलाह या स्ट्रेस घटाने वाले एक्सरसाइज करने की सलाह दी जा सकती है। इसके अलावा, आपके पार्टनर मोटापे से भी परेशान हो सकते हैं। या उनका वजन बहुत अधिक बढ़ा हुआ हो सकता है। ऐसी स्थिति में सबसे पहले उन्हें वेट कंट्रोल करने को कहा जा सकता है। समस्या बढ़ने पर ही डॉक्टर से सलाह ली जा सकती है। डॉक्टर टेस्टोस्टेरोन थेरेपी (Testosterone Therapy) की सलाह दे सकते हैं। इसमें यह थेरेपी कारगर होती है।
टेस्टोस्टेरोन मुख्य रूप से पुरुषों और महिलाओं में यौन अक्षमता के लक्षणों और महिलाओं में हॉट फ्लेशेज के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। इससे लो लिबिडो का भी उपचार किया जाता है। टेस्टोस्टेरोन थेरेपी देने से पहले डॉक्टर हर तरह की शारीरिक जांच करवा लेना चाहेंगे। टेस्टोस्टेरोन कमी की समस्या होने पर किडनी फंक्शन टेस्ट, लीवर फंक्शन टेस्ट और हार्ट टेस्ट और टेस्टोस्टेरोन टेस्ट देने के लिए भी कहा जा सकता है।
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