सेक्सुअली एक्टिव (Sexually active) होने और अपनी रिप्रोडक्टिव एज (Reproductive age) में होने के बावजूद अब भी बहुत सारे लोग सेक्स (Sex) पर बात करने से हिचकते हैं। यही वजह है कि जानकारी के अभाव में या अनसेफ सेक्स के कारण वे कई तरह के यौन संक्रमणों की चपेट में आ जाते हैं। हालांकि शुरुआत में ज्यादातर लोग इन समस्याओं को इग्नोर करते हैं। पर वे नहीं जानते कि यौन संक्रमणों को नजरंदाज करना उनकी प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है। महिलाओं में सबसे ज्यादा होने वाले यौन संक्रमणों में ऐसा ही एक संक्रमण है क्लैमाइडिया। शोध बताते हैं कि अगर इसे लंबे समय तक नजरंदाज किया जाए, तो यह महिलाओं में इनफर्टिलिटी (chlamydia effect on fertility) का भी कारण बन सकता है।
इन दिनों क्लैमाइडिया ऑस्ट्रेलिया में तेजी से फैल रहा है। स्टडी बताती है कि भारत में भी इसके मामले तेजी से बढ़ने लगते हैं। शर्मिंदगी या जानकारी के अभाव में इस समस्या से पीड़ित डॉक्टर से संपर्क नहीं करते।
दुनिया भर में हर साल क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस के 92 मिलियन नए मामले पाए जाते हैं। इसमें दक्षिण-पूर्व एशिया से 43 मिलियन रोगी शामिल हैं। यह यौन संचारित संक्रमण (sexually transmitted infection) का प्रमुख कारण है।
एसटीआई (STI) : यौन संचारित रोग (STD) या यौन संचारित संक्रमण (STI), ऐसे संक्रमण हैं, जो यौन संपर्क के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जाते हैं। संपर्क आमतौर पर योनि, मौखिक(oral sex) या गुदा मैथुन(Anal sex) भी हो सकता है। कभी-कभी अन्य इंटिमेट शारीरिक संपर्क के माध्यम से भी यह फैल सकता है।
पैथोजेंस एंड डिजीज (Pathogens and disease) पत्रिका में वर्ष 2017 में एक शोध आलेख प्रकाशित हुआ। इस आलेख को पब मेड सेंट्रल में भी प्रकाशित किया गया। पियरे थॉमस, राजीव कांत, रुबीना लॉरेंस, अरविंद दयाल, जोनाथन ए लाल आदि ने भारत में क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस की स्थिति पर अध्ययन किया।
इनकी स्टडी के अनुसार, क्लैमाइडिया ग्राम-निगेटिव बैकटीरिया है, जो इंट्रासेल्युलर डिजीज को बाध्य करता है। यह दुनिया के सबसे आम नॉन-वायरल यौन संचारित रोगों का कारण बनता है। जनसंख्या की वजह से भारत में संक्रामक रोगों के फैलने की संभावना सबसे अधिक होती है। लेकिन क्लैमाइडिया की व्यापकता दर के बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं जुटाई जा सकती है। भारत में प्रसार दर और परीक्षण विधियों के लिए इस आलेख में 27 अध्ययन को शामिल किया गया। दरअसल जानकारी और सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज होने की स्वीकार्यता लोग न के बराबर देते हैं।
फिर भी स्टडी इस बात का निष्कर्ष निकालती है कि भारत में सबसे अधिक सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज क्लैमाइडिया की वजह से होती है।
क्लैमाइडिया के कारण सामान्य एसटीडी होते हैं। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों में संक्रमण का कारण बन सकता है। यह एक महिला की प्रजनन प्रणाली को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। यदि रिप्रोडक्टिव ओरगन प्रभावित हो जाते हैं, तो प्रेग्नेंट होना मुश्किल या असंभव हो सकता है। क्लैमाइडिया के कारण गर्भ के बाहर होने वाली प्रेगनेंसी जैसे घातक परिणामों का कारण भी बन सकता है। क्लैमाइडिया के कारण होने वाले कुछ लक्षण इस प्रकार देखे जा सकते हैं:
असामान्य रूप से योनि से स्राव हो सकता है
स्टमक के नीचे या पेल्विस के आसपास दर्द की अनुभूति
सेक्स करते समय तेज दर्द होना
सेक्स के बाद या सेक्स के दौरान ब्लड फ्लो अधिक होना
पीरियड के दौरान अधिक फ्लो
स्टडी बताती है कि जानकारी के अभाव में महिला या पुरुष इसकी जांच नहीं कराते हैं। इससे जटिलता और अधिक हो जाती है। शरीर में हफ्तों, महीनों या वर्षों तक क्लैमाइडिया रहने पर इम्फरटीलिटी सहित कई और समस्याएं हो सकती हैं।
90 प्रतिशत से अधिक मामलों में क्लैमाइडिया का एंटीबायोटिक दवाओं के साथ इलाज हो सकता है। परीक्षण में यदि यह बात साबित हो जाती है कि महिला को क्लैमाइडिया है, तो एंटीबायोटिक्स से इलाज शुरू कर दिया जाता है।
यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के कारण किसी भी प्रकार का असामान्य स्राव नहीं होता है। वहीं क्लैमाइडियल संक्रमण के कारण योनि से पीलापन, तेज गंध वाला योनि स्राव होता है। क्लैमाइडिया का परीक्षण करने के लिए अपने रिप्रोडक्टिव ऑर्गन के पास कॉटन ले जाएं। इसे धीरे से रगड़ कर परीक्षण करें, ताकि यूरिनरी ट्रैक्ट, योनि, सर्विक्स या एनस से कोशिका के नमूने लिए जा सकें। इस नमूने को अच्छी तरह प्रेजर्व कर परीक्षण केंद्र के पास दे दें। जांच पॉजिटिव आने पर दवा शुरू कर दी जायेगी। दवा को आपके शरीर में काम करने और क्लैमाइडिया संक्रमण को ठीक करने में लगभग 7 दिन लगते हैं। इन 7 दिनों के दौरान बिना कंडोम के यौन संबंध नहीं बनाने की डॉक्टर सलाह देते हैं।
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