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Cervical Cancer : भारतीय महिलाओं में मृत्‍यु का दूसरा सबसे बड़ा कैंसर जोखिम, जानिए आप इससे कैसे बच सकती हैं

सेक्‍स कंटेंट के बढ़ते उपभोक्‍ताओं के बावजूद बहुत सारी पढ़ी-लिखी महिलाएं ऐसी हैं, जिन्‍हें अपने इस सबसे बड़े दुश्‍मन के बारे में मालूम ही नहीं है।
Published On: 9 Apr 2021, 04:30 pm IST
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सर्वाइकल कैंसर के बारे में समय रहते जानना जरूरी है। चित्र: शटरस्‍टॉक
सर्वाइकल कैंसर के बारे में समय रहते जानना जरूरी है। चित्र: शटरस्‍टॉक

भारत में सर्वाइकल कैंसर महिलाओं की मृत्‍यु के दूसरे सबसे बड़े कैंसर जोखिमों में शामिल है। प्रजनन आयु अर्थात 15 से 44 वर्ष की आयु के बीच की महिलाओं में 11 फीसदी से ज्‍यादा इसकी शिकार होती हैं और असमय उनकी मौत हो जाती है। दुर्भाग्‍य की बात ये है कि बचाव और उपचार के साधन उपलब्‍ध होने के बावजूद महिलाएं इस ओर ध्‍यान नहीं दे पाती। जब तक उन्‍हें इसका पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।

क्‍या कहते हैं आंकड़े

सेक्‍स कंटेंट के बढ़ते उपभोक्‍ताओं के बावजूद बहुत सारी पढ़ी-लिखी महिलाएं ऐसी हैं, जिन्‍हें अपने इस सबसे बड़े दुश्‍मन के बारे में मालूम ही नहीं है। आंकड़ों पर गौर करें तो भारत में हर साल 1 लाख 22 हजार से ज्‍यादा मामले गर्भ ग्रीवा कैंसर अर्थात सर्वाइकल कैंसर के सामने आ रहे हैं। इनमें 67 हजार से ज्‍यादा मामले महिलाओं के होते हैं।

इसलिए आज सर्वाइकल कैंसर के बारे में विस्‍तार से जानने के लिए हमने फोर्टिस हॉस्पिटल, वसंत कुंज में प्रसुति एवं स्‍त्री रोग विभाग की निदेशक डॉ. नीमा शर्मा से बात की।

क्‍या होता है सर्वाइकल कैंसर?

सर्वाइकल कैंसर दरअसल, गर्भ ग्रीवा (neck of the womb) के कैंसर को कहते हैं। यह ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के कारण होता है, जो कि यौन संक्रमण से फैलता है।

सर्वाइकल कैंंसर महिलाओं के लिए दूसरा सबसे खतरनाक कैंंसर है। चित्र: शटरस्‍टॉक
सर्वाइकल कैंंसर महिलाओं के लिए दूसरा सबसे खतरनाक कैंंसर है। चित्र: शटरस्‍टॉक

यह काफी आम किस्‍म का वायरस है और ज्‍यादातर मामलों में शरीर का इम्‍यून सिस्‍टम बिना किसी परेशानी के 2 वर्षों के भीतर इस संक्रमण को समाप्‍त कर देता है। लेकिन यदि गर्भ ग्रीवा में यह संक्रमण लंबे समय तक टिका रह जाता है, तो कुछ मामलों में कोशिकाएं कैंसरकारी हो सकती हैं।

पहले जानिए एचपीवी वायरस के बारे में

एचपीवी वायरस कई प्रकार का होता है। अधिकांश नुकसानदायक नहीं होते, जबकि कुछ की वजह से जननांग में चर्मकील (genital warts) उत्‍पन्‍न हो सकती हैं। कई बार इनकी वजह से कैंसर भी पनप सकता है।

करीब 12 प्रकार के एचपीवी सर्वाइक्‍स कैंसर के लिहाज़ से अधिक जोखिमकारी माने गए हैं। इनमें से दो प्रकार के वायरस (एचपीवी 16 तथा एचपीवी 18) 10 में से 7 (70%) प्रकार के सर्वाइकल कैंसर का कारण बनते हैं।

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सर्वाइकल कैंसर के लक्षण

प्रारंभिक सर्वाइकल कैंसर या प्री-कैंसरस कोशिशकाओं में किसी प्रकार के लक्षण दिखायी नहीं देते। सर्वाइकल कैंसर का सबसे सामान्‍य लक्षण योनिमार्ग से असामान्‍य रूप से रक्‍तस्राव, यौन संसर्ग के दौरान पीड़ा या असहजता, यौन संसर्ग के बाद रक्‍तस्राव, योनिमार्ग से रक्‍तस्राव आदि हैं।

सर्वाइकल कैंसर से बचाव के उपाय

सेक्‍स में सावधानी

यौन संसर्ग के दौरान कंडोम का इस्‍तेमाल करने से एचपीवी संक्रमण का जोखिम घटता है। इसके अलावा, यौन संबंध कम उम्र में न बनाकर किशोरावस्‍था में काफी देरी से या और अधिक उम्र में स्‍थापित करना, सीमित सेक्‍स पार्टनर्स और धूम्रपान का त्‍याग भी महत्‍वपूर्ण हैं।

कॉन्डोम यौन संचरित रोगों से बचा सकती है। चित्र: शटरस्‍टॉक
कॉन्डोम यौन संचरित रोगों से बचा सकती है। चित्र: शटरस्‍टॉक

वैक्‍सीन

ऐसी कुछ वैक्‍सीन्‍स हैं जो एचपीवी संक्रमण से बचाव के लिए सुरक्षित और प्रभावी हैं। ये वैक्‍सीन दो प्रकार के हाइ रिस्‍क एचपीवी – एचपीवी 16 एवं 18 से बचाव करती हैं। साथ ही, ये एचपीवी 6 तथा 11 से भी बचाव करती हैं, जो कि अधिकांश किस्‍म के जननांग चर्मकीलों (genital warts) का कारण बनते हैं।

सर्वाइकल कैंसर की जांच

इस जांच से प्री-कैंसरस बदलावों का पता चलता है, जिनका इलाज न होने पर कैंसर उत्‍पन्‍न हो सकता है।

फि‍लहाल दो प्रकार की जांच उपलब्‍ध हैं:

• पैप टैस्‍ट (या पैप स्‍मीयर) जो कि प्रीकैंसर, सर्वाइक्‍स की कोशिकाओं में उन बदलावों का पता लगाती है, जो उचित प्रकार से इलाज नहीं होने पर सर्वाइकल कैंसर का कारण बन सकते हैं।
• एचपीवी टैस्‍ट से उन वायरस ह्यूमैन पैपीलोमावायरस का पता लगाया जाता है, जो कोशिकाओं में बदलाव कर सकते हैं।

क्‍या है जांच का सही समय

21 से 29 वर्ष की महिलाओं को प्रत्‍येक 3 साल में एक बार पैप टैस्‍ट करवाना चाहिए। उन्‍हें एचपीवी टैस्‍ट की सलाह नहीं दी जाती।

30 से 65 साल की महिलाओं को पैप टैस्‍ट और एचपीवी टैस्‍ट (को-टेस्टिंग) प्रत्‍येक 5 साल में करवाना चाहिए। प्रत्‍येक 3 साल में एक बार पैप टैस्‍ट करवाना भी सही रहता है।

सर्वाइकल कैंसर के जल्‍द निदान के लिए इंस्‍टेंट टेस्‍ट की योजना है। चित्र : शटरस्‍टॉक
सर्वाइकल कैंसर के जल्‍द निदान के लिए इंस्‍टेंट टेस्‍ट की योजना है। चित्र : शटरस्‍टॉक

सर्वाइकल कैंसर का उपचार

1 स्‍टेज  कैंसर का मतलब है कि कैंसर गर्भ ग्रीवा में ही सीमित है। ऐसे में सर्जरी प्रमुख उपचार होता है।

2 स्‍टेज  कैंसर का मतलब है कि कैंसर फैलकर गर्भ ग्रीवा के आसपास के टिश्‍यू में फैल चुका है। ऐसे में कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के (कीमोरेडियोथेरेपी) मेल से और कई बार सर्जरी से उपचार किया जाता है।

3 स्‍टेज  का मतलब है कि कैंसर फैलकर आसपास के अन्‍य भागों और पेल्विस या एब्‍डोमेन की लिंफ नोड्स में भी पहुंच चुका है। ऐसे में कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के (कीमोरेडियोथेरेपी) मेल से उपचार किया जाता है।

4 स्‍टेज  कैंसर का मतलब है कि कैंसर फैलकर मूत्राशय या गुदा (रैक्‍टम) तक अथवा और आगे भी पहुंच चुका है। ऐसे में टारगेटेड कैंसर ड्रग, सर्जरी, रेडियोथेरेपी या सिंपटम कंट्रोल के मेल से उपचार किया जाता है।

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लेखक के बारे में
योगिता यादव
योगिता यादव

कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय।

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