पीरियड साइकिल की अवधि का बढ़ जाना और सामान्य से अधिक ब्लीडिंग होना हैवी पीरियड कहलाता है। इसे मेनोरेजिया भी कहा जाता है। इस समस्या से ग्रस्त महिलाओं में रक्त का प्रवाह अधिक होने के अलावा ऐंठन का भी सामना करना पड़ता है। दरअसल, हार्मोनल फंक्शन में असंतुलन बढ़ने से लेकर फाइब्रॉएड और यूटर्स संबधी समस्याओं समेत कई कारणों से इस समस्या का सामना करना पड़ता है। सबसे पहले जानते हैं हैवी ब्लीडिंग के लक्षण और इसके कारण (Heavy period causes) भी।
कंसल्टेंट ऑबस्टेट्रीशियन एंड गॉयनेकॉलाजिस्ट, मेफ्लावर वुमेन्स हास्पिटल अहमदाबादए डॉ रवीना पटेल बताती हैं कि पीरियड के दौरान एंडोमेट्रियल यानि गर्भाशय अस्तर निकल जाता है। इसके चलते ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है। दरअसल, इस प्रक्रिया की मदद से शरीर भविष्य की गर्भावस्था के लिए तैयार होता है। प्रेगनेंसी न होने पर गर्भाशय अपनी परत को बहा देता है, जिससे योनि से रक्तस्राव 3 से 5 दिन तक बना रहता है।
एक्सपर्ट के अनुसार यूटर्स की लाइनिंग पर बनने वाले यूटेराइन पॉलिप्स यूटेराइन मसल्स को प्रभावित करते हैं, जिससे ब्लीडिंग बढ़ती है। इसके अलावा शरीर में विटामिन की कमी इस समस्या को बढ़ा देती है। साथ ही हार्मोनल असंतुलन के चलते पीसीओडी का जोखिम बढ़ जाता है, जो ब्लड का फ्लो बढ़ा देता है।
अधिक व्यायाम करने से यूटर्स पर प्रभाव बढ़ने लगता है, जिससे यूटरिन लाइनिंग इरिटेट हो जाती है। ऐसे में एंडोमेट्रियल या सर्वाइकल पॉलीप्स प्रभावित होते है, जिससे हैवी ब्लीडिंग की समस्या बनी रहती है।
संक्रमण भी पीरियड में अत्यधिक ब्लीडिंग की समस्या को बढ़ा देता है। दरअसल, अनसेफ सेक्स, मल्टीपल पार्टनर और डिलीवरी के तुरंत बाद सेक्स संक्रमण का कारण साबित होते हैं, जिससे एक्सेसिव ब्लीडिंगद की समसया बनी रहती है। साथ ही वेजाइना बेनज़दीक सूजन, इचिंग और रेडनेस का भी सामना करना पड़ता है।
एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के बीच संतुलन बने रहने से वो गर्भाशय की परत के निर्माण को नियंत्रित करने में मदद करता है। हार्मोनल असंतुलन बढ़ने से एंडोमेट्रियम यानि उस मुलायम परत की थिकनेस बढ़ जाती है और भारी रक्तस्राव का सामना करना पड़ता है। वे महिलाएं, जो थायरॉयडसे ग्रस्त है, उनमें हैवी ब्लड फ्लो का खतरा रहता है।
कई बार ओवरीज़ मासिक धर्म चक्र के दौरान एग रिलीज़ नहीं करती है। इसे एनोव्यूलेशन कहा जाता है। ऐसे में पीरियड के दौरान रक्तस्राव बढ़ने लगता है।इसके अलावा ओवेरियन सिस्ट भी ब्लीडिंग को बढ़ा देती है।
फाइब्रॉएड गर्भाशय के अंदर या बाहर बढ़ने लगते है। इसके चलते असामान्य योनि रक्तस्राव का सामना करना पड़ता है। दरअसल, इससे ब्लड वेसल्स की ग्रोथ बढ़ती है, जो अधिक ब्लीडिंग का कारण साबित होता है।
मेडलाइन प्लस के अनुसार गर्भाशय की परत पर बनने वाले पॉलीप्स मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव का कारण बनते हैं। पॉलीप्स मेनोपॉज के बाद स्पॉटिंग का कारण बने रहते हैं। हार्मोनल थेरेपी से इसे दूर किया जा सकता है।
एनएचएस की रिपोर्ट के अनुसार यूटर्स या सर्विक्स के कैंसर के कारण हैवी पीरियड का सामना करना पड़ता है। कैंसर मेनोपॉज से पहले या बाद में हो सकता हैं। इस स्थिति को एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया कहा जाता है। इससे भारी मासिक धर्म रक्तस्राव और अनियमित ब्लीडिंग की समस्या बनी रहती है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार आहार में आयरन और विटामिन सी की मात्रा को बढ़ाकर ऑक्सीजन के स्तर में सुधार किया जा सकता है। इसके अलावा विटामिन सी से आयरन का एबजॉर्बशन बढ़ने लगता है। इससे एनीमिया के लक्षणों को दूर करने में मदद मिलती है और हर पल रहने वाली थकान से गचा जा सकता है। इसके अलिए आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां, खट्टे फल और सीड्स का सेवन करें।
शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स बैलेंस को मेंटेन रखने के लिए भरपूर मात्रा में पानी पीएं। इससे शरीर में ब्लड के वॉल्यूम में सुधार आता है, जिससे हैवी ब्लीडिंग की समस्या हल होती है। दिन में 6 से 8 गिलास पानी अवश्य पीएं।
शरीर में बढ़ने वाले हार्मोनल असंतुलन को बनाए रखने के लिए भरपूर नींद लें। इससे ब्रेन एक्टिव रहता है और शरीर में बढ़ने वाली अन्य समस्याओं से राहत मिलती है। इससे शरीर में बढ़ने वाले कोर्टिसोल हार्मोन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
पीसीओएस और थायरॉइड के लक्षणों से बचने के लिए व्यायाम और योग करें। इससे मांसपेशियों में खिंचाव आता है और ब्लड का फ्लो बढ़ने लगता है। शरीर एक्टिव और हेल्दी बना रहता है।