पीरियड साइकल के दौरान ऐंठन, ब्लोटिंग, नॉज़िया और ब्लड कलर में परिवर्तन आमतौर पर देखने का मिलता है। कभी ये रंग हल्का लाल, कभी गहरा लाल, तो कभी काला दिखने लगता है। दरअसल, 12 से 14 साल की उम्र के मध्य शुरू होने वाली पीरियड साइकल एक ऐसी हेल्थ कंडीशन है, जिससे महिलाओं को हर महीने होकर गुज़रना पड़ता है। मासिक धर्म में योनि के माध्यम से इन्नर यूटरिन लाइनिंग से टिशूज़ और ब्लड का डिसचार्ज होता है। पीरियड के दौरान ब्लड का रंग, बनावट और समय सीमा रिप्रोडक्टिव हेल्थ के बारे में बहुत कुछ बताती है। जानते हैं ब्लैक पीरियड ब्लड किस समस्या का संकेत माना जाता है और इससे बचाव के क्या उपाय हैं।
इस बारे में आरएमएल अस्पताल नई दिल्ली में प्रोफेसर डॉ अंजुम आरा का कहना है कि पीरियड के दौरान ब्लड के रंग में परिवर्तन नज़र आने लगता है। ये लाल से गहरा लाल, काला और ब्राउन नज़र आने लगता है। ब्लैक पीरियड ब्लड गाढ़ा होने के चलते डिस्चार्ज में समय लेता है, जिससे ये ऑक्सीजन के संपर्क में आता है। ऐसे में ऑक्सीडाइज्ड ब्लड का रंग गहरा लाल और काला नज़र आने लगता है।
ब्लैक पीरियड ब्लड किसी बड़ी समस्या को नहीं दर्शाता है। पीरियड साइकल के दौरान ब्लैक ब्लड डिसचार्ज अलग अलग समय पर होता है। ब्लैक ब्लड आमतौर पर लो फ्लो डेज़ यानि पीरियड के शुरूआत और अंत में देखने को मिलता है। इसके अलावा कुछ सामान्य कारण जैसे पीआइडी यानि पेल्विक इंफ्लामेटरी डिज़ीज, एसटीआई यानि सेक्सुअल टरासमिटिड डिज़ीज़ और मिसकैरेज़ के बाद ब्लैक पीरियड का सामना करना पड़ता है।
प्रसूति एवं स्त्री रोग, सलाहकार, डैफोडिल्स बाय आर्टेमिसए ईस्ट ऑफ कैलाश डॉण् अपूर्वा गुप्ता बताती हैं कि लाइफस्टाइल में थोड़ा सुधार और संतुलित खान.पान से यह ठीक हो सकता है। अगर ब्लैक पीरियड के साथ हैवी डिस्चार्ज हो या बुखारए दर्द या दुर्गंध जैसा कोई लक्षण भी दिखे तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। यह किसी गंभीर संक्रमण का संकेत भी हो सकता है। इसी तरह यदि पीरियड के अलावा अन्य दिनों में गहरे रंग का रक्त स्राव हो तब भी डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। पीसीओएस के कुछ मामलों में भी ब्लैक डिस्चार्ज हो सकता है।
एक्सपर्ट के अनुसार गर्भपात यानि मिसकैरेज के बाद फीटल टिशूज और यूटरिन लाइनिंग निकलने से ब्लैक पीरियड का सामना करना पड़ता है। इसमें ब्लड फ्लो लाइट से हैवी तक हो सकात है। ब्लैक पीरियड मिसकैरेज का भी संकेत होते हैं।
सर्विक्स यानि यूटर्स के निचले हिस्से में सेल्स की एबनॉर्मल ग्रोथ के कारण ब्लैक ब्लड का सामना करना पड़ता है। आमतौर पर सेक्स के बाद और पीरियड के दौरान ब्लैक ब्लड डिस्चार्ज होनना सर्वाइकल कैंसर का संकेत हो सकता है। इसके चलते थकान, पेल्विक पेन और वेटलॉस का सामना करना पड़ता है।
पीरियड साइकल के आखिरी दिनों में ब्लैक ब्लड नज़र आने लगता है। दरअसल, लंबे वक्त तक गर्भाशय में रक्त रहने से उसके रंग में परिवर्तन आने लगता है। ऐसे में ब्लीडिंग में ब्लैक ब्लड दिखने लगता है। कई बार पीरियड की शुरूआत में भी ब्लैक डिसचार्ज होता है।
सेक्स के दौरान दर्द, पेल्विक प्रेशर का बढ़ना, स्पॉटिंग और योनि में इचिंग एसटीआई का संकेत देते हैं। यौन संचारित संक्रमण का समय पर इलाज न करवाने से पीआईडी यानि पेल्विक इंफ्लामेटरी डिज़ीज़ का खतरा बढ़ जाता है। इससे सर्विक्स और यूटर्स संक्रमण की चपेट में आने लगते हैं। ऐसे में डार्क ब्राउन और ब्लैक पीरियड ब्लड डिसचार्ज होने लगता है।
एक्सपर्ट का कहना है कि ब्लैक पीरियड के दौरान दुर्गंध, इचिंग, ऐंठन और बुखार का सामना करने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। प्रेगनेंसी, मेनोपॉज और डिलीवरी के बाद लगातार ब्लैक ब्ल्ड डिसचार्ज होने पर अनदेखा न करें। इसके अलावा पीरियड के दौरान ब्लैक डिसचार्ज का बढ़ना अनियमित पीरियड की समस्या को भी बढ़ा सकता है। पीआईडी और एसटीआई समेत किसी संक्रमण का खतरा बढ़ने पर दवाओं की मदद ली जाती है।
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