50 की उम्र के बाद महिलाओं में बढ़ जाता है यूटरिन फाइब्रॉइड का जोखिम, जानें इसके कारण और लक्षण

यूटरिन फाइब्रॉएड की समस्या 40 वर्ष की उम्र से लेकर 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं में बेहद सामान्य है। इससे ब्लैडर पर दबाव बना रहता है। फाइब्रॉएड का आकार बड़ा होने से वे पेट दर्द का कारण भी साबित होते हैं।
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हार्मोन खासकर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नए फाइब्रॉइड के विकास और वृद्धि के प्रमुख कारणों में से एक हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक
ज्योति सोही Published: 23 Mar 2024, 20:00 pm IST
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योनि स्वास्थ्य संबधी समस्याओं के बारे में खुलकर बातचीत न कर पाना इन समस्याओं के बढ़ने का मुख्य कारण साबित होता है। ऐसे में अक्सर महिलाएं पैल्विक पेन, हैवी ब्लडफ्लो और व्हाइट डिस्चार्ज जैसे लक्षणों को नज़रअंदाज़ कर देती है। हम बात कर रहे हैं यूटरिन फाइब्रॉएड की। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विस की रिसर्च के अनुसार 50 साल की उम्र की लगभग 80 फीसदी महिलाओं में यूटरिन फाइब्रॉएड का जोखिम बना रहता है। जानते हैं कि क्या है यूटरिन फाइब्रॉएड और इसके लक्षण व कारण भी (uterine fibroids)।

सबसे पहले जानें यूटरिन फाइब्रॉएड (uterine fibroids) किसे कहते हैं

फाइब्रॉएड उन मसक्यूलर ट्यूमर्स को कहा जाता हैं जो यूटर्स में पनपने लगते हैं। फाइब्रॉएड से यूटर्स में कैंसर का खतरा नहीं रहता है। फाइब्रॉएड के लक्षण सभी महिलाओं में नज़र नहीं आते हैं। वे महिलाएं, जो फाइब्रॉएड के साथ रहते हैं, उन्हें दर्द और पीरियड के दौरान हैवी ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है। वे महिलाएं, जो गर्भाशय फाइब्रॉएड से ग्रस्त है, उसका उपचार लक्षणों पर निर्भर करता है।

फाइब्रॉएड इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्सस के अनुसार छोटे फाइब्रॉएड का साइज़ 1 से 5 सेंटीमीटर होता है। वहीं मीडियम फाइब्रॉएड का आकार 5 से 10 सेंटीमीटर पाया जाता है। इसके अलावा सबसे बड़ा फाइब्रॉएड 10 सेंटीमीटर या उससे ज्यादा का होता है।

Uterin fibroid ki kaise pehchaan karein
छोटे फाइब्रॉएड का साइज़ 1 से 5 सेंटीमीटर होता है। वहीं मीडियम फाइब्रॉएड का आकार 5 से 10 सेंटीमीटर पाया जाता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

कितनी फीसदी महिलाएं होती हैं इस समस्या का शिकार

यूएस डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विस के अनुसार 50 साल की उम्र की 20 से लेकर 80 फीसदी महिलाओं में यूटरिन फाइब्रॉएड का जोखिम बना रहता है। 40 वर्ष की उम्र से लेकर 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं में ये समस्या बेहद सामान्य है। इससे ब्लैडर पर दबाव बना रहता है, जिससे बार बार यूरिन पास करने की समस्या का सामना करना पड़ता है। फाइब्रॉएड का आकार बड़ा होने से वे पेट दर्द का कारण भी साबित होते हैं।

इन कारणों से महिलाओं में बढ़ने लगती है फाइब्रॉएड की समस्या

1. उम्र

अक्सर महिलाओं को मेनोपॉज के समीप 40 से 50 वर्ष की आयु में फाइब्रॉएड का सामना करना पड़ता है। महिलाओं में रिप्रोडक्टिव एज के दौरान एस्ट्रोजन होर्मोन का स्तर उच्च बना रहता है, जिससे फाइब्रॉएड का खतरा बढ़ जाता है। रजोनिवृत्ति के बाद फाइब्रॉएड आमतौर पर सिकुड़ जाते हैं।

2. फैमिली हिस्टरी

वे लोग, जिनके परिवार की महिलाओं को फाइब्रॉएड की समस्या रह चुकी है, उनमें इसका जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी महिला की मां इस समस्या का शिकार हो चुकी हैं, तो उनमें इस समस्या का खतरा तीन गुना ज्यादा बढ़ जाता है।

3. मोटापा

वे महिलाएं, जो मोटापे का शिकार हैं, उनमें फाइब्रॉएड का खतरा दो से तीन गुना ज्यादा पाया जाता है। ओवरवेट की शिकार महिलाएं इस समस्या से आसानी से ग्रस्त हो जाती है।

4. गलत खान पान

अत्यधिक मात्रा में रेड मीट का सेवन करने से भी इस समस्या का खतरा बढ़ने लगता है। इससे राहत पाने के लिए आहार में मौसमी फल, सब्जियां और पानी की उचित मात्रा को शामिल करना चाहिए। हरी सब्जियों का सेवन करने से महिलाओं को इस समस्या से बचाया जा सकता है।

जानते हैं यूटरिन फाइब्रॉएड के लक्षण

1. बार बार यूरिन पास करना

इस समस्या से ग्रस्त महिलाओं को यूरिन लीकेज और बार बार यूरिन पास करने की समस्या का सामना करना पड़ता है। यूटर्स वॉल पर पाए जाने वाले फाइब्रॉएड से यूटर्स बढ़ने लगता है, जिससे ब्लैडर कंप्रेस होता है और बार बार यूरिन पास करने की समस्या का सामना करना पड़ता है। फाइब्रॉएड इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्सस के अनुसार हेल्दी लोग दिन में 6 से 7 बार यूरिन पास करते हैं। वहीं फाइब्रॉएड से ग्रसत महिलाएं 9 से 12 बार यूरिन पास करती हैं।

Uterin fibroid se kaise bachein
इस समस्या से ग्रस्त महिलाओं को यूरिन लीकेज और बार बार यूरिन पास करने की समस्या का सामना करना पड़ता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

2. पीरियड के दौरान ज्यादा दर्द और ब्लीडिंग

फाइब्रॉएड से ग्रस्त महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान अधिक दर्द और ज्यादा ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है। अमेरिकन कॉलेज ऑफ ओब्स्टेट्रिशियन गायनेकोलॉजिस्ट के अनुसार ऐसी महिलाओं को 8 से 9 दिनों तक रक्तस्त्राव रहता है। अगर 6 महीनों तक लगातार हैवी ब्लीडिंग की समस्या से ग्रस्त रहते हैं, तो डॉक्टरी जांच अवश्य करवाएं।

3. कब्ज की शिकायत

एनआईएच की एक रिपोर्ट के अनुसार कब्ज, ब्लोटिंग और डायरिया से ग्रस्त 7.7 फीसदी महिलाओं में यूटरिन फाइब्रॉएड का खतरा रहता है। दरअसल, यूटरिन फाइब्रॉएड यूटर्स की वॉल पर पनपने लगते हैं, जिससे ये रेक्टम और कोलन के नज़दीक आ जाते हैं। फाइब्रॉएड के बड़ी आकार के कारण स्टूल पास करने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है, जो कब्ज का कारण साबित होता है।

4. बांझपन का जोखिम

अमेरिकन सोसायटी फॉर रिप्रोडक्टिव मेडिसिन के अनुसार 5 से 10 फीसदी महिलाओं में गर्भाशय फाइब्रॉएड इनफर्टिलिटी का कारण साबित होता है। इसके अलावा एनआईएच की एक रिपोर्ट के अनुसार 10 से 30 फीसदी महिलाओं को यूटरिन फाइब्रॉएड के कारण प्रेगनेंसी में कॉम्लीकेशन का सामना करना पड़ता है। इसके चलते मिसकैरेज, प्रीटर्म डिलीवरी और फीटल ग्रोथ प्रभावित होती है।

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लेखक के बारे में

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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