पीरियड्स के दौरान हॉर्मोन्स में उतार चढाव आने से शरीर में कई बदलाव नज़र आते हैं, खासकर क्रैम्प्स, पिंपल्स, थकान आदि कॉमन लक्षण हैं। इसके अलावा बहुत सी महिलाएं पीरियड्स में मतली और जी मिचलाने का अनुभव करती हैं। पीरियड्स में पहले से महिलाओं को मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ापन हो रहा होता है, ऐसे में जी मिचलाने (Nausea during periods) की समस्या उन्हें अधिक परेशान कर देती है। जी मिचलाने के कई कारण हो सकते हैं, इन्हे समझना बहुत जरुरी है। हालांकि, कुछ चीजों पर ध्यान दिया जाए रो मतली की भावना पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इसके अलावा कुछ खास घरेलू नुस्खे भी हैं, जो मददगार साबित हो सकते हैं।
डॉ. आस्था दयाल , डायरेक्टर – आब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजी, सी के बिरला हॉस्पिटल गुरुग्राम ने पीरियड्स के दौरान मतली और जी मिचलाने के कारण बातए हैं, साथ ही उन्होंने इसे अवॉयड करने के टिप्स पर भी बात की है (Nausea during periods)। चलिए जानते हैं इस बारे में अधिक विस्तार से।
हार्मोनल परिवर्तन, विशेष रूप से प्रोस्टाग्लैंडीन में वृद्धि, अक्सर पीरियड्स के दौरान मतली और जी मिचलाने का कारण बनते हैं। ये पदार्थ पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं और यूट्रस को अपनी परत को मुक्त करने के लिए कॉन्ट्रैक्शन में सहायता करने के अलावा सूजन, मतली और उल्टी का कारण बन सकते हैं।
भूख में उतार-चढ़ाव के कारण लो ब्लड शुगर एक अन्य कारण हो सकता है। कभी-कभी मतली एंडोमेट्रियोसिस या गंभीर पीरियड्स क्रैम्प (डिसमेनोरिया) जैसी समस्या के कारण भी होती है।
पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज (PID) एक संक्रमण है जो ऊपरी को प्रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट को प्रभावित करता है। यह आमतौर पर योनि में एसटीआई के ओवरी, यूट्रस या फैलोपियन ट्यूब में फैल जाने की वजह से होता है। इस स्थिति के कारण पीरियड्स में मलती का अनुभव हो सकता है।
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“पीरियड साइकिल के दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन का बढ़ना और गिरना पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है, जिससे मतली हो सकती है। ये हार्मोनल परिवर्तन अन्य शारीरिक कार्यों को भी प्रभावित कर सकते हैं, जिससे मतली और जी मिचलाने की भावना पैदा हो सकती है।
“मासिक धर्म के दौरान भावनात्मक तनाव और चिंता भी मतली में योगदान कर सकती है। शरीर की तनाव प्रतिक्रिया पाचन और समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, जिससे मतली हो सकती है।”
आस्था दयाल के अनुसार “ब्लड शुगर लेवल को बनाए रखना और पर्याप्त पानी पीना मतली को कम करने में मदद कर सकता है। कम और सिमित मात्रा में भोजन करें, ये आपकी मदद कर सकते हैं। प्रोसेस्ड, फ्राइड हुए या फैटी पदार्थों का सेवन कम करने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी परेशानी कम हो सकती है। अगर मतली गंभीर या लंबे समय से परेशान कर रही है (Nausea during periods), तो एंडोमेट्रियोसिस जैसी अंतर्निहित बीमारियों के ट्रीटमेंट के लिए डॉक्टर से संपर्क करना जरुरी है।”
1. अदरक की चाय : अदरक में एंटी इन्फ्लामेट्री प्रॉपर्टी पाई जाती है, इसके अलावा यह डाइजेस्टिव जूस को स्टिम्युलेट करता है और एंजाइम रिलीज करता है, जिससे पेट के एसिड न्युट्रिलाइज हो जाते हैं और मलती की शिकायत नहीं होती। एक कप पानी में एक इंच अदरक कस लें, फिर इन्हे एक साथ 5 मिनट तक उबालें और इस चाय को गरमा गर्म एन्जॉय करें।
2. पुदीना की चाय: आप घर पर आसानी से पुदीने की चाय तैयार कर सकती हैं। यह सूजन को कम करती है और पेट को ठंडक प्रदान करती है जिससे पाचन संबंधी समस्याएं दूर रहती हैं। पुदीना पीरियड्स में होने वाले दर्द से राहत पानी में आपकी मदद कर सकता है। पुदीने की पत्तियों को क्रश करके एक कप पानी के साथ उबालें और इसे एन्जॉय करें।
3. हाइड्रेशन मेंटेन रखें: हाइड्रेटेड रहने से मतली को रोकने और कम करने में मदद मिल सकती है। डिहाइड्रेशन जी मिचलाने का कारण बनते हैं। पूरे दिन पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं और कैमोमाइल या लेमन बाम जैसी हर्बल टी पीने से भी मदद मिल सकती है, जो पेट को शांत करने में मदद करती हैं। अगर आपको उल्टी का अनुभव हो रहा है, तो इलेक्ट्रोलाइट युक्त ड्रिंक लें, ये स्थिति में सुधर करने में मदद करेंगे।
4. एसेंशियल ऑयल अरोमाथेरेपी: अरोमाथेरेपी मतली को कम करने और आराम को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है। लैवेंडर, कैमोमाइल और नींबू जैसे एसेंशियल ऑइल को इसके सूदिंग इफ़ेक्ट और मतली को शांत करने वाले प्रभावों के लिए जाना जाता है। जी मिचलाने पर एसेंशियल ऑयल को सूंघे।
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