World Thyroid Day 2024 : पीरियड साइकल में ये 5 बदलाव बताते हैं कि आपको है थायरॉइड टेस्ट करवाने की जरूरत

हाइपोथायरायडिज्म के कारण पीरियड साइकल में उतार चढ़ाव आने लगते हैं, जिसे एमेनोरिया कहा जाता है। जानते है थायराइड के लक्षण पीरियड साइकल के संतुलन को कैसे बिगाड़ सकते है
thyroid period cycle ko kaise prabhaavit krte hain
हाइपोथायरायडिज्म से ग्रस्त लोगों की पीरियड साइकिल छोटी होती है और अनियमित होने लगती है। चित्र : शटरस्टॉक
ज्योति सोही Published: 24 May 2024, 09:00 pm IST
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हार्मोन असंतुलन, प्रेगनेंसी और मेनोपॉज सामान्य तौर पर पीरियड साइकल में आने वाले बदलावों के मुख्य कारण साबित होते हैं। मगर इसके अलावा भी एक समस्या ऐेसी है, जो पीरियड साइकल के फ्लो को लाइट, हैवी और अनियमित बनाने लगती है। जी हां थायराइड के कारण पीरियड साइकल में उतार चढ़ाव आने लगते हैं, जिसे एमेनोरिया भी कहा जाता है। जानते है थायराइड के लक्षण पीरियड साइकल के संतुलन का कैसे बिगाड़ सकती है।

थायरॉइड क्या है

गर्दन के सामने मौजूद थायरॉइड ग्लैंड से हार्मोन रिलीज़ होते हैं, जो शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। शरीर में जब ज्यादा थायरॉइड हार्मोन बनने लगता है, तो उसे हाइपरथायरायडिज्म कहा जाता है। मगर जब थायरॉइड हार्मोन कम मात्रा में रिलीज़ होने पर उसे हाइपोथायरायडिज्म कहा जाता है। दोनों ही स्थितियां शरीर के लिए नुकसानदायक साबित होती हैं। ये समस्या पुरूषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा पाई जाती है। बढ़ने वाला तनाव, थकान, एकाग्रता की कमी, हेयरफॉल और अनियमित पीरियड साइकल इस समस्या के मुख्य लक्षण हैं।

Thyroid ke lakshnon ko manage karna jaroori hai.
हाइपोथायरायडिज्म के कारण पीरियड में अनियमितता बढ़ने लगती है। चित्र : अडोबी स्टॉक

जानें थायरॉइड कैसे पीरियड साइकल को करता है प्रभावित

इस बारे में गायनेकोलोजिस्ट डॉ रिद्धिमा शेट्टी बताती हैं कि थायरॉयड ग्लैंड हार्मोन रिलीज़ करने में मदद करती है। इससे शरीर के मोटाबॉलिज्म से लेकर पीरियड साइकल को नियमित बनाए रखने में मदद मिलती है। थायरॉयड ग्लैंड से शरीर में ट्राईआयोडोथायरोनिन और थायरोक्सिन दो हार्मोन रिलीज होते हैं। ओवरएक्टिव थायराइट का सामना करने के दौरान रिप्रोडक्टिव सिस्टम असंतुलित होने लगता है। इसके चलते पीरियड साइकल डिस्टर्ब होने लगती है।

हाइपोथायरायडिज्म के कारण पीरियड में अनियमितता बढ़ने लगती है। इसके अलावा ब्लीडिंग का प्रवाह हैवी या लाइट हो सकता है। इसके अलावा हाइपोथायरायडिज्म इंसुलिन सेंसिटीविटी को भी कम करता है। साथ ही पीसीओएस का भी कारण साबित होता है। इसके चलते ओबेसिटी और इनफर्टिलिटी का सामना करना पड़ता है।

थायरॉइट का पीरियड साइकल पर असर

1. समय से पहले मासिक धर्म की शुरूआत

अनहेल्दी लाइफस्टाइल और अस्वस्थ खानपान के चलते हाइपोथायरायडिज्म का सामना करना पड़ता है। इससे ग्रस्त गर्ल्स में कम उम्र में पीरियड साइकल आरंभ हो जाती है। ऐसे में ये लड़कियों में 10 साल की उम्र में आंरभ हो सकता है, जबकि पीरियड के लिए औसत आयु 12 है। इसे असामयिक यौवन के रूप में जाना जाता है।

Early period ki samasya
हाइपोथायरायडिज्म से ग्रस्त गर्ल्स में कम उम्र में पीरियड साइकल आरंभ हो जाती है। । चित्र : शटरस्टॉक

2. पीरियड साइकल की समय अवधि कम होना

हाइपोथायरायडिज्म से ग्रस्त लोगों की पीरियड साइकिल छोटी होती है और अनियमित होने लगती है। इस समस्या की शिकार महिलाओं में पीरियड साइकल 28 दिन की जगह 21 दिन की होती है। इस समस्या को पॉलीमेनोरिया भी कहा जाता है। इससे ग्रस्त महिलाओं में ब्लड फ्लो हैवी पाया जाता है।

3. पेनफुल पीरियड की समस्या

इस समस्या से ग्रस्त महिलाओं को पेनफुल पीरियड का सामना करना पड़ता है। शरीर में ऐसी स्थिति को डिसमेनोरिया कहा जाता है। इसके चलते सिरदर्द, थकान, पीठ दर्द, पेट में ऐंठन व दर्द का जोखिम बढ़ जाता है। पीरियड साइकल के दौरान 4 से 5 दिन तक दर्द का सामना करना पड़ता है।

Period cramp kyu badh jaate hain
पीरियड साइकल के दौरान 4 से 5 दिन तक दर्द का सामना करना पड़ता है । चित्र : शटरस्टॉक

4. सेक्स हार्मोन बाइंडिंग ग्लोब्युलिन को करता है प्रभावित

थायरॉयड सीधेतौर पर ओवरीज़ को प्रभावित करता है। साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से सेक्स हार्मोन.बाइंडिंग ग्लोब्युलिन पर भी असर डालता है। एसएचबीजी एक प्रकार का प्रोटीन है जो रिप्रोडक्टिव हार्मोन से जुड़ जाता है, ताकि वो पूरे शरीर में पहुंच पाए। ये प्रोटीन लीवर से बनता है और महिलाओं व पुरूषों में 3 सेक्स हार्मोन को बाइंड करता है।

5. इनफर्टिलिटी और मिसकैरेज

वे महिलाएं जो हाइपोथायरायडिज्म से ग्रस्त है, उन्हें प्रेगनेंसी में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा उन्हें हार्मोन असंतुलन के चलते मिसकैरेज से भी होकर गुज़रना पड़ता है। ऐसे में समय रहते थायरॉइड का इलाज करवाना बेहद आवश्यक है।

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लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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