लाइफ में एक समय ऐसा आता है जब महिलाएं अचानक हार्मोनल परिवर्तनों से गुजरने लगती हैं। इसके कारण उन्हें पीरियड के साथ-साथ एडल्ट एज, प्रेगनेंसी, डेलिवरी, पेरिमेनोपॉज़, मेनोपॉज़ के बदलाव से भी गुजरना पड़ता है। अक्सर महिलाओं को मेनोपॉज़ के कारण अवसाद का खतरा अधिक होता है। ज्यादातर महिलाएं इस फेज के दौरान तनाव और अवसाद से जूझने लग जाती हैं। कुछ उपाय अपनाकर वे इस समस्या अवॉयड (depression in menopause) भी कर सकती हैं।
मेनोपॉज़ या रजोनिवृत्ति तकनीकी रूप से आखिरी पीरियड के 12 महीने बाद होता है। इसके बाद ही मेनोपॉज़ फेज आता है। इससे पहले वे पेरिमेनोपॉज़ चरण में होती हैं। जब रीप्रोडक्टिव हार्मोन में बदलाव हो रहा होता है, तो इसका मेंटल हेल्थ पर प्रभाव पड़ सकता है। व्यक्ति अवसाद के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकता है। इस दौरान शरीर परिवर्तन से गुजर रहा होता है। इस चरण के दौरान पीरियड अनियमित हो जाता है। यह हेवी और लाइट फ्लो के साथ हो सकता है।
पीरियड को नियंत्रित करने वाले हॉर्मोन सेरोटोनिन को भी प्रभावित करते हैं। यह एक ब्रेन केमिकल है, जो वेलनेस और खुशी की भावनाओं को बढ़ा देता है। जब हार्मोन का स्तर गिरता है, तो सेरोटोनिन का स्तर भी गिर जाता है। यह चिड़चिड़ापन, एंग्जायटी और सैडनेस को बढ़ाने में योगदान देता है।
एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर गिरने से भी मूड में बदलाव आ सकता है। इनसे आप भावनात्मक समस्याओं से निपटने में कम सक्षम हो पाती हैं। कुछ महिलाओं के लिए ये हार्मोनल गिरावट अवसाद का कारण बन जाता है।
महिलाओं में पेरिमेनोपॉज़ के दौरान अनिद्रा का अनुभव होना आम बात है। यह आंशिक रूप से रात के समय हॉट फ्लैश के कारण होता है। नींद की कमी से उदास और चिडचिडा (depression in menopause) होने की संभावना 10 गुना तक बढ़ सकती है।
यदि बार-बार मूड में बदलाव या अवसाद के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो यह डेली लाइफ को भी प्रभावित कर सकते हैं। इसके लिए डॉक्टर से मिलना और बात करनी जरूरी है। पेरिमेनोपॉज़ या मेनोपॉज़ के दौरान कई महिलाएं हार्मोनल दवाओं के प्रति अच्छी प्रतिक्रिया देती हैं। कुछ महिलाओं को प्रोजेस्टेरोन गोलियों के साथ एस्ट्रोजन पैच दिया जा सकता है। कुछ महिलाओं को ओरल गर्भनिरोधक गोली राहत प्रदान कर सकती है।
हार्मोनल दवा लेना एक अच्छा विकल्प नहीं हो सकता है। यदि आप स्मोकिंग करती हैं या आपको हाई ब्लड प्रेशर है। ब्लड क्लॉट की समस्या की हिस्ट्री होने और पोस्टमेनोपॉज़ल की समस्या होने पर भी दवा लेना सही नहीं होता है। गंभीर अवसाद (depression in menopause) से पीड़ित लोगों को कोगनिटिव बिहेवियर थेरेपी के साथ एंटीडिप्रेसेंट ट्रीटमेंट की आवश्यकता हो सकती है। अध्ययन बताते हैं कि अवसाद वाले लोगों के लिए यह सबसे प्रभावी संयोजन है।
सही लाइफस्टाइल से पेरिमेनोपॉज़ (perimenopause) और मेनोपॉज़ के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। स्वस्थ आदतों में पौष्टिक आहार खाना, नियमित व्यायाम करना और कैफीन और शराब का सेवन सीमित करना भी शामिल है। एक बार जब हार्मोन व्यवस्थित हो जाते हैं, तो ज्यादातर महिलाओं के मूड में उतार-चढ़ाव भी बंद हो जाते हैं।
गंभीर अवसाद (Chronic depression) होने पर यह अनुमान लगाना कठिन हो सकता है कि मेनोपॉज के बाद सुधार का अनुभव होगा या नहीं। अवसाद (depression in menopause) बार-बार होने वाली बीमारी है। कभी-कभी यह लंबे समय तक ठीक नहीं हो पाती है, तो कभी-कभी अचानक ठीक हो जाती है।
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