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मेनोपॉज के साथ बढ़ सकता है अवसाद का जोखिम, जानिए कैसे करना है इस स्थिति का सामना

मेनोपॉज़ की प्रक्रिया के दौरान बहुत सारे हार्मोनल चेंजेज आते हैं। कुछ महिलाओं के लिए मेनोपॉज़ शारीरिक के साथ-साथ भावनात्मक उतार-चढ़ाव से भी भरा होता है। इसके कारण उन्हें तनाव और अवसाद से भी जूझना पड़ता है। कुछ उपाय अपनाकर इसे अवॉयड किया जा सकता है।
Updated On: 11 Dec 2023, 06:54 am IST
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Dr. Ritu Sethi
मेडिकली रिव्यूड
menoopause ke kya symptoms hain
प्रत्येक महिला के जीवन में होने वाली ये एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। आमतौर पर 50 से 51 वर्ष की उम्र में मेनोपॉज होता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

लाइफ में एक समय ऐसा आता है जब महिलाएं अचानक हार्मोनल परिवर्तनों से गुजरने लगती हैं। इसके कारण उन्हें पीरियड के साथ-साथ एडल्ट एज, प्रेगनेंसी, डेलिवरी, पेरिमेनोपॉज़, मेनोपॉज़ के बदलाव से भी गुजरना पड़ता है। अक्सर महिलाओं को मेनोपॉज़ के कारण अवसाद का खतरा अधिक होता है। ज्यादातर महिलाएं इस फेज के दौरान तनाव और अवसाद से जूझने लग जाती हैं। कुछ उपाय अपनाकर वे इस समस्या अवॉयड (depression in menopause) भी कर सकती हैं।

परिवर्तन से गुजरता है शरीर (Hormonal Changes) 

मेनोपॉज़ या रजोनिवृत्ति तकनीकी रूप से आखिरी पीरियड के 12 महीने बाद होता है। इसके बाद ही मेनोपॉज़ फेज आता है। इससे पहले वे पेरिमेनोपॉज़ चरण में होती हैं। जब रीप्रोडक्टिव हार्मोन में बदलाव हो रहा होता है, तो इसका मेंटल हेल्थ पर प्रभाव पड़ सकता है। व्यक्ति अवसाद के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकता है। इस दौरान शरीर परिवर्तन से गुजर रहा होता है। इस चरण के दौरान पीरियड अनियमित हो जाता है। यह हेवी और लाइट फ्लो के साथ हो सकता है।

समझिए मेनोपॉज़ और अवसाद का कनैक्शन (How does menopause contribute depression)

पीरियड को नियंत्रित करने वाले हॉर्मोन सेरोटोनिन को भी प्रभावित करते हैं। यह एक ब्रेन केमिकल है, जो वेलनेस और खुशी की भावनाओं को बढ़ा देता है। जब हार्मोन का स्तर गिरता है, तो सेरोटोनिन का स्तर भी गिर जाता है। यह चिड़चिड़ापन, एंग्जायटी और सैडनेस को बढ़ाने में योगदान देता है।

एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर गिरने से भी मूड में बदलाव आ सकता है। इनसे आप भावनात्मक समस्याओं से निपटने में कम सक्षम हो पाती हैं। कुछ महिलाओं के लिए ये हार्मोनल गिरावट अवसाद का कारण बन जाता है।

नींद की समस्या (insomnia in menopause)

महिलाओं में पेरिमेनोपॉज़ के दौरान अनिद्रा का अनुभव होना आम बात है। यह आंशिक रूप से रात के समय हॉट फ्लैश के कारण होता है। नींद की कमी से उदास और चिडचिडा (depression in menopause) होने की संभावना 10 गुना तक बढ़ सकती है।

menopause me anidra ki samasya ho jati hai.
महिलाओं में पेरिमेनोपॉज़ के दौरान अनिद्रा का अनुभव होना आम बात है। चित्र : अडोबी स्टॉक

डिप्रेशन का उपचार (Depression treatment in menopause)

यदि बार-बार मूड में बदलाव या अवसाद के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो यह डेली लाइफ को भी प्रभावित कर सकते हैं। इसके लिए डॉक्टर से मिलना और बात करनी जरूरी है। पेरिमेनोपॉज़ या मेनोपॉज़ के दौरान कई महिलाएं हार्मोनल दवाओं के प्रति अच्छी प्रतिक्रिया देती हैं। कुछ महिलाओं को प्रोजेस्टेरोन गोलियों के साथ एस्ट्रोजन पैच दिया जा सकता है। कुछ महिलाओं को ओरल गर्भनिरोधक गोली राहत प्रदान कर सकती है।

कब अवसाद के लिए दवा लेना सही नहीं होता है (Medicine for Depression)

हार्मोनल दवा लेना एक अच्छा विकल्प नहीं हो सकता है। यदि आप स्मोकिंग करती हैं या आपको हाई ब्लड प्रेशर है। ब्लड क्लॉट की समस्या की हिस्ट्री होने और पोस्टमेनोपॉज़ल की समस्या होने पर भी दवा लेना सही नहीं होता है। गंभीर अवसाद (depression in menopause) से पीड़ित लोगों को कोगनिटिव बिहेवियर थेरेपी के साथ एंटीडिप्रेसेंट ट्रीटमेंट की आवश्यकता हो सकती है। अध्ययन बताते हैं कि अवसाद वाले लोगों के लिए यह सबसे प्रभावी संयोजन है।

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कैसे करें अवॉयड (How to avoid depression in menopause)

सही लाइफस्टाइल से पेरिमेनोपॉज़ (perimenopause) और मेनोपॉज़ के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। स्वस्थ आदतों में पौष्टिक आहार खाना, नियमित व्यायाम करना और कैफीन और शराब का सेवन सीमित करना भी शामिल है। एक बार जब हार्मोन व्यवस्थित हो जाते हैं, तो ज्यादातर महिलाओं के मूड में उतार-चढ़ाव भी बंद हो जाते हैं।

menopause phase me jyadatar mahilaon ko depression hota hai.
सही लाइफस्टाइल से पेरिमेनोपॉज़ और मेनोपॉज़ के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। चित्र : अडॉबी स्टॉक

गंभीर अवसाद (Chronic depression) होने पर यह अनुमान लगाना कठिन हो सकता है कि मेनोपॉज के बाद सुधार का अनुभव होगा या नहीं। अवसाद (depression in menopause) बार-बार होने वाली बीमारी है। कभी-कभी यह लंबे समय तक ठीक नहीं हो पाती है, तो कभी-कभी अचानक ठीक हो जाती है।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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