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क्या मेनोपॉज के बाद भी संभव है आईवीएफ से मां बनना? आईवीएफ एक्सपर्ट से जानते हैं इस बारे में सब कुछ

मेनोपॉज कोई ओवरनाइट चेंज नहीं है। यह एक लंबी प्रक्रिया है और कई बार पांच से दस साल तक भी रहती है। इसलिए अगर आप आईवीएफ के द्वारा मां बनना चाहती हैं, तो आपको मेनोपाॅज के हर चरण के बारे में ठीक से पता होना चाहिए।
सभी चित्र देखे IVF ne un sabhi challanges ko kam kiya hai , jo umra ke karan pregnancy me badha ban rahe the.
आईवीएफ ने उन समस्याओं का भी समाधान खोज निकाला है, जिनके कारण बड़ी उम्र में मां बनना मुश्किल हो रहा था। चित्र : अडोबीस्टॉक
Updated: 27 Aug 2024, 05:57 pm IST
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किसी भी महिला के लिए एक मां बनने की राह बेहद व्यक्तिगत और अक्सर जटिल होती है। इसमें कई महिलाओं को गर्भधारणा के लिए ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसके निवारण के लिए चिकित्सा सहायता की आवश्यकता पड़ सकती है। हाल के वर्षों में, प्रजनन से जुड़ी टेक्नोलॉजी में हुई प्रगति, विशेष रूप से इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF), उन महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण बनकर आई है, जो पहले यह मानती थीं कि मातृत्व उनकी पहुंच से बाहर है।

एक सवाल जो अक्सर सामने आता है वह यह है कि क्या मेनोपॉज यानी रजोनिवृत्ति (मासिक चक्र का बंद होना) की अवस्था से गुजर रही महिलाएं सफलतापूर्वक आईवीएफ करवा सकती हैं (IVF after menopause) ? और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती हैं?

क्या है मेनोपॉज और प्रेगनेंसी का संबंध (Pregnancy after menopause)

मेनोपॉज एक प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया है, जो किसी महिला के मासिक चक्र के अंत को दर्शाती है। यह आमतौर पर 45 से 55 वर्ष की उम्र के दौरान होती है। हालांकि, यह ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है कि मेनोपॉज एक धीरे-धीरे होने वाली प्रक्रिया है, जो पेरिमेनोपॉज से शुरू होती है। इस दौरान हार्मोनल बदलाव शुरू होते हैं, जिससे मासिक चक्र अनियमित हो जाता है और अंततः माहवारी बंद हो जाती है।

Menopause ke bad bahut sare hormonal changes hote hain
यह बहुत सारे हॉर्मोनल बदलावों का समय होता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

पेरिमेनोपॉज है मेनोपॉज का पहला चरण (Lets understand perimenopause)

जो महिलाएं मेनोपॉज के शुरुआती चरण में होती हैं, जिसे आमतौर पर पेरिमेनोपॉज कहा जाता है।उनके लिए गर्भधारणा के लिए आईवीएफ एक व्यवहार्य विकल्प हो सकता है। इस समय के दौरान, भले ही अंडाशय में अंडाणुओं की संख्या (ओवेरियन रिजर्व) कम हो रही हो, फिर भी हार्मोन की सक्रियता और अंडाणुओं की गुणवत्ता पर्याप्त हो सकती है, जिससे आईवीएफ के माध्यम से सफल गर्भधारणा हो सके।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अंडाणुओं की उपलब्धता होनी चाहिए, चाहे वह प्राकृतिक रूप से हो या दान किए गए अंडाणुओं के माध्यम से।

प्रारंभिक मेनोपॉज में आईवीएफ की सफलता

अध्ययनों से पता चला है कि जो महिलाएं मेनोपॉज़ की प्रारंभिक अवस्था में होती हैं, उन्हें आईवीएफ उपचार के सफल परिणाम मिल सकते हैं। खासकर जब वे दान किए गए अंडाणुओं का उपयोग करती हैं। कई अध्ययनों में दिखाया गया है कि 50 साल से कम उम्र की महिलाएं जो प्रारंभिक मेनोपॉज में थीं, उनके गर्भधारणा की दर युवा महिलाओं के समान थीं, जब उन्होंने दान किए गए अंडाणुओं का उपयोग किया।

इस आयु वर्ग में आईवीएफ की सफलता दर आमतौर पर 40-50% के आसपास होती है। यह दर्शाती है कि उम्र और मेनोपॉज की स्थिति किसी महिला के सफल गर्भधारणा में बाधा नहीं बनती।

इसके अलावा, आईवीएफ तकनीकों में हुई प्रगति, जैसे प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग (PGT), ने स्वस्थ गर्भधारणा की संभावनाओं को काफी हद तक बढ़ा दिया है। यह तकनीक उन भ्रूणों का चयन करना सुगम बनाती है, जिनमें सफलता की संभावना सबसे अधिक होती है।

क्या हैं मेनोपॉज के बाद की चुनौतियां (Challenges after  menopause)

हालांकि, जब एक महिला पूरी तरह से मेनोपॉज में प्रवेश कर जाती है, यानी मासिक धर्म पूरी तरह से बंद हो जाता है, तो स्थिति बदल जाती है। इस चरण में, अंडाशय अंडाणु बनाना पूरी तरह से बंद कर देते हैं, और शरीर में महत्वपूर्ण हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिससे प्राकृतिक गर्भधारणा असंभव हो जाता है। जबकि आईवीएफ एक विकल्प बना रहता है, लेकिन यह लगभग पूरी तरह से दान किए गए अंडाणुओं पर निर्भर होता है।

इसके अलावा, मेनोपॉज की अवस्था में पहुंच चुकी महिलाएं गर्भावस्था को पूर्ण अवधि तक ले जाने का प्रयास करते समय अतिरिक्त जोखिम और चुनौतियों का सामना करती हैं। इनमें गर्भकालीन मधुमेह, उच्च रक्तचाप, और अन्य गर्भावस्था से संबंधित जटिलताओं का अधिक खतरा शामिल है, जो ज़्यादा उम्र की महिलाओं में अधिक सामान्य होते हैं। इसके साथ ही, इस श्रेणी में आईवीएफ की सफलता दर भी काफी कम हो जाती है, जो लगभग 5-10% तक गिर जाती है।

प्रारंभिक मेनोपॉज में सफल संतान प्रसव

इन चुनौतियों के बावजूद, यह बताना महत्वपूर्ण है कि मेनोपॉज के शुरुआती चरण में महिलाएं फिर भी आईवीएफ के माध्यम से सफलतापूर्वक संतान को जन्म दे सकती हैं। खासकर जब वे दान किए गए अंडाणुओं का उपयोग करती हैं। जिन महिलाओं का मासिक धर्म पूरी तरह से बंद नहीं हुआ था, उनमें सफलता की दर अधिक पाई गई, और कई मामलों में यह देखा गया कि गर्भधारणा सफल रहा और स्वस्थ संतान का जन्म हुआ।

IVF ka success rate ab badh raha hai
अगर प्रारंभिक चरण में ही आईवीएफ करवा लिया जाए तो सफलता दर अधिक होता है। चित्र : अडोबीस्टॉक

हालांकि, जो महिलाएं पूरी तरह से मेनोपॉज में प्रवेश कर चुकी हैं, उनके लिए सफल प्रसव की संभावना काफी कम हो जाती है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रारंभिक हस्तक्षेप और प्रजनन विशेषज्ञ से परामर्श लेना कितना महत्वपूर्ण है।

गर्भधारण और गर्भावस्था के लिए मेनोपॉज़ कुछ चुनौतियां पेश करता है, लेकिन यह मातृत्व की संभावना को पूरी तरह से समाप्त नहीं करता। मेनोपॉज के शुरुआती चरण में प्रवेश करने वाली महिलाएं अभी भी आईवीएफ के सफल परिणाम प्राप्त कर सकती हैं, विशेष रूप से जब दान किए गए अंडाणुओं का उपयोग किया जाता है।

याद रखें 

एक बार जब मासिक धर्म पूरी तरह से बंद हो जाता है, तो सफल आईवीएफ और संतान प्रसव की संभावना काफी कम हो जाती है। जो महिलाएं मेनोपॉज के दौरान या बाद में आईवीएफ पर विचार कर रही हैं, उनके लिए यह आवश्यक है कि वे एक योग्य प्रजनन विशेषज्ञ से सलाह लें ताकि वे अपने विकल्पों और संबंधित जोखिमों को समझ सकें।

प्रजनन से जुड़ी टेक्नोलॉजी में हुई तरक्की कई महिलाओं के लिए उम्मीदें पेश करती है। लेकिन इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से किए गए इलाज तभी सफल हो पाते हैं जब यह प्रारंभिक अवस्था में किया जाए, उम्मीदें वास्तविक हों और व्यक्तिगत रूप से देखभाल उपलब्ध कराई जाए।

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लेखक के बारे में

क्लारा आईवीएफ क्लिनिक की संस्थापक डॉ. चैताली तावरे, प्रजनन उपचार में 12 वर्षों से अधिक का अनुभव रखती हैं। उन्होंने डॉ. डी.वाई पाटिल मेडिकल कॉलेज, मुंबई से एमबीबीएस और डीजीओ किया है। ...और पढ़ें

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