एक महिला के जीवन में एक फेज ऐसा आता है, जब उनका मेन्सट्रूएशन सायकल या पीरियड हमेशा के लिए बंद हो जाता है। यह शारीरिक परिवर्तन पूर्व से ही निर्धारित होता है। ऐसा माना जाता है कि जब किसी महिला को कभी पीरियड हुआ हो और उस पीरियड के बाद पूरे एक वर्ष तक योनि से रक्तस्राव न हुआ हो, तो इसका मतलब है कि उसे मेनोपॉज है। इस दौरान उसे स्पॉटिंग, यानी थोड़ा-बहुत भी ब्लड नहीं आना चाहिए। यदि आपकी मां या घर की कोई बड़ी महिला इस फेज से गुजर रही है, तो आपको उन्हें न सिर्फ इसके प्रति जागरूक करना चाहिए, बल्कि मेनोपॉज मैनेजमेंट टिप्स भी जरूर देना चाहिए।
भारत में आमतौर पर महिलाओं को 47 वर्ष की उम्र में मेनोपॉज शुरू हो जाता हैं। जबकि विदेशों में मेनोपॉज की औसत उम्र 51 वर्ष है। हाल के दिनों में भारत में भी मेनोपॉज होने की उम्र बढ़ी है। अब 50 या उससे भी अधिक उम्र में महिलाओं की लाइफ में मेनोपॉज का फेज आ रहा है। ऐसा देखा गया है कि ऐसी महिलाएं, जो पीरियड के दौरान भयंकर दर्द से जूझती हैं, मेनोपॉज होने पर उन्हें दर्द से राहत मिल जाती है। लेकिन उन्हें भी सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि मेनोपॉज बहुत सारी शारीरिक परेशानियां भी अपने साथ लेकर आता है।
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मेनोपॉज के लक्षण अचानक भी दिखने शुरू हो सकते हैं। पीरियड के दौरान बहुत कम दिनों के लिए या न के बराबर ब्लड आना या काफी समय बाद पीरियड आना भी इसके लक्षण की शुरुआत हो सकती है। ऐसा लगभग 6 वर्षों तक लगातार भी हो सकता है। इसके अन्य लक्षणों में शामिल हैं
1. अनियमित पीरियड
2. ज्यादा या बहुत कम मात्रा में ब्लड निकलना
3. हॉट फ्लैश या तेज गर्माहट महसूस करना। हॉट फ्लैश के कारण ठंड के मौसम में भी महिलाएं गर्मी महसूस करने लगती हैं और उन्हें खूब पसीना आने लगता है।
4. वजन बढ़ना और शरीर में सूजन आना
5. जल्दी-जल्दी मूड बदलना, नींद न आना और डिप्रेशन की शिकायत
6. योनि में ड्राइनेस महसूस करना, सेक्स की इच्छा में कमी
7. जल्दी-जल्दी यूरिन पास करना, यूरिनरी इंफेक्शन का खतरा बढ़ना, अनियमित रूप से यूरिन पास होना
8. शारीरिक संतुलन में कमी, बार-बार गिरना या फिसल जाना।
इनके अलावा, बोन डेंसिटी यानी हड्डियों के घनत्व में भी कमी आ जाती है। हड्डियों में टूट-फूट बढ़ जाती है। फ्रैक्चर खासकर हिप फ्रैक्चर होने की संभावना बढ़ जाती है। मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर घट जाता है। इससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
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1 हॉट फ्लश यानी तेज गर्माहट के अनुभव से राहत
2 बीमारियों के खतरे में कमी
3 जीवन की गुणवत्ता में सुधार
मेनॉपॉज मैनेजमेंट के लिए हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी सबसे अधिक प्रयोग में लाई जाती है। यह मेनोपॉज के लक्षणों जैसे हॉट फ्लश, रात में अधिक पसीना आना, मूड में बदलाव, वैजाइना की ड्राइनेस, सेक्स की अनिच्छा और ऑस्टियोपोरोसिस जैसे लक्षणों को रोकने या कम करने में मदद करता है।
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हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन दोनों का प्रयोग कर इलाज किया जाता है। अगर महिला की हिस्टेरेक्टॉमी हुई है, यानी जिनका गर्भाशय निकाल दिया गया हो, तो सिर्फ एस्ट्रोजन का इस्तेमाल किया जा सकता है। यदि महिला का गर्भाशय या यूट्रस नहीं हटाया गया है, तो एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन दोनों हार्मोन के साथ थेरेपी की जाती है।
एस्ट्रोजेन थेरेपी (प्रोजेस्टेरोन के साथ या उसके बिना) हॉट फ्लश और रात में पसीना निकलने का सबसे अच्छा इलाज है। यह योनि की ड्राइनेस को भी कम करने में मदद करता है। हड्डियों में किसी प्रकार के नुकसान से भी यह बचाव करता है। इस थेरेपी की दवाएं टैबलेट, जेल, पैच, इम्प्लांट और योनि इंसर्ट जैसे क्रीम तथा रिंग के रूप में इस्तेमाल की जाती हैं।
.ब्रेस्ट में दर्द चुभन या तकलीफ महसूस करना
. योनि स्राव
.सिर दर्द
. पेट दर्द
. अपच
इस थेरेपी से महिलाओं को लाभ तो मिलता है, लेकिन इससे कुछ खतरे भी हैं। हालांकि खतरा नाम मात्र का होता है। यह खतरा प्रयोग में लाई जाने वाली थेरेपी के प्रकार पर भी निर्भर करता है। साथ ही यह कितने लंबे समय के लिए लिया गया है या थेरेपी ले रही महिला का व्यगतिगत स्वास्थ्य कैसा रहा है, इन पर भी निर्भर करता है।
यदि महिला केवल एस्ट्रोजन एचआरटी लेती है, तो स्तन कैंसर होने का खतरा कम हो सकता है। कम्बाइंड एचआरटी स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि महिला कितने लंबे समय तक एचआरटी थेरेपी लेती है। ब्रेस्ट कैंसर होने के खतरे को देखते हुए यह बेहद जरूरी है कि एचआरटी लेने के दौरान एक निश्चित अंतराल पर ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग कराते रहना चाहिए।
यह देखा गया है कि एचआरटी पैचेज या जेल के इस्तेमाल से ब्लड क्लॉट का खतरा नहीं बढ़ता है। जबकि एचआरटी टैबलेट्स के लेने से खून के जमने का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन यह खतरा न के बराबर है।
60 वर्ष की उम्र से पहले यदि एचआरटी की शुरुआत कर दी जाती है, तो स्पष्ट रूप से इससे दिल की बीमारी और स्ट्रोक का खतरा नहीं रह सकता है। वास्तव में यह रिस्क को कम कर देता है। यदि एचआरटी टैबलेट लिया जाता है, तो स्ट्रोक का थोड़ा बहुत खतरा हो सकता है। 60 वर्ष से कम उम्र रहने पर आमतौर पर महिलाओं को स्ट्रोक का खतरा नहीं रहता है। इसलिए कुलमिलाकर खतरा बहुत कम रहता है।
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.जिन्हें ब्रेस्ट कैंसर या ऑवेरियन कैंसर या यूट्रीन कैंसर हो
. ब्लड क्लॉट करने की समस्या हो
. दिल का दौरा, स्ट्रोक या वस्कुलर डिजीज होनेे का खतरा हो
.लिवर से संबंधित बीमारी हो
. जिनके हाई ब्लड प्रेशर का उपचार नहीं किया गया हो
यह कम्बाइंड एचआरटी की तरह ही होता है। यह ऐसी महिलाओं के लिए उपयोगी है, जिनका लास्ट पीरियड एक साल पहले हुआ था। टीबोलोन के खतरे भी एचआरटी की तरह ही हैं। नन-हार्मोनल दवाएं जैसे कि सेलेक्टिव एस्ट्रोजन रिसेप्टर मोड्यूलेटर्स-एसईआरएमएस कुछ बॉडी पाट्र्स में एस्ट्रोजन की तरह ही कार्य करता है और कुछ में एंटी-एस्ट्रोजन की तरह।
ये बोन डेंसिटी बढ़ाने में काफी कारगर हैं और फ्रैक्चर के खतरे को भी कम करते हैं। ये हॉट फ्लशेज को कम नहीं कर पाते हैं। अब कुछ नए एसईआरएम्स भी उपलब्ध हो गए हैं, जो हॉट फ्लशेज और रात में पसीने आने की समस्या को भी कम करते हैं। कई दवाओं के विकल्प जैसे कि आइसोफ्लेवोन्स और लिगनांस जैसे प्लांट एस्ट्रोजेन भी मौजूद हैं।
ये सोयाबीन, दालें, चने और दूसरे तरह की फलियों में पाए जाते हैं। ये मेनोपॉज की समस्याओं को कम करने में कितने कारगर हैं, यह साबित कर पाना कठिन है। इसी तरह बायोआइडेंटिकल हार्मोन, ब्लैक कोहोश, योगा, एक्यूपंचर और हिपनोसिस यानी सम्मोहन क्रिया के बारे में भी कहा जाता है कि ये मेनोपॉज के दौरान होने वाली समस्याओं को दूर करते हैं। ये सभी क्रियाएं प्रभावी हैं या नहीं, मेडिकल साइंस में अभी तक साबित नहीं हो पाया है।
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. सूती कपड़े पहनें
. ठंडा पानी पीएं और ठंडी जगह जाने की योजना बनाएं
. गर्म पेय पदार्थ, कैफीन, तेल-मसाले वाला भोजन, एल्कोहल, गर्म कमरे, गर्म मौसम और तनाव को कहें गुडबाय
. संतुलित आहार लें और कम से कम रोजान2.5-3 लीटर पानी पीएं। अपने भोजन में कैल्शियम और विटामिन डी के सप्लीमेंट को शामिल करें
. नियमित व्यायाम करें।
. कम से कम 8 घंटे की नींद लें।
. स्ट्रेस लेवल को कम करें। रिलैक्स करने वाली तकनीक को प्रयोग में लाएं। . सिगरेट पीने से बचें।
महिलाओं की लाइफ में मेनोपॉज एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। इससे बचा नहीं जा सकता है। इसे वरदान समझा जाए या अभिशाप, यह फेज आता ही है। सबसे अच्छी बात यह है कि मेनोपॉज से जुड़ी समस्याएं बहुत कम समय के लिए होती हैं। कई दवाइयां और लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर मेनोपॉज के दौरान होने वाली समस्याओं से लड़ा जा सकता है और इस फेज को आसानी से पार किया जा सकता है।
एक्सपर्ट डॉ. प्रतिमा रेड्डी एक सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट और ऑब्सट्रेटीशियन हैं। वे बेंगलुरू के फोर्टिस लाफेमे हॉस्पिटल की डायरेक्टर भी हैं।
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